रायपुर। निलंबित आईएएस बाबूलाल अग्रवाल तो भ्रष्ट नौकरशाही की एक मिसाल है | असल में इस देश में नौकरशाही सब से बड़ी मुसीबत बन चुकी है | अगर निलंबित आईएएस बाबूलाल अग्रवाल की जमानत हो जाती है, तो स्पष्ट हो जाएगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प के बावजूद हमारी व्यवस्था भ्रष्टाचार से लड़ने को कतई तैयार नहीं है |
हालांकि बाबूलाल अग्रवाल की मुसीबतें अभी कम होती नजर नहीं आ रही है। बिलासपुर हाईकोर्ट में लगी क्रिमिनल रिट पीटिशन पर जस्टिस संजय अग्रवाल की सुनवाई से इंकार के बाद सीबीआई ने भी जमानत याचिका स्वीकार नहीं की। बाबूलाल जमानत पर तिहाड़ से बाहर आ सके, इसके लिए हाईकोर्ट में ही अलग से जमानत याचिका प्रस्तुत करनी होगी।
जेल में बिताने होंगे अभी और कुछ दिन
सीबीआई विशेष कोर्ट ने 11 दिनों की सीबीआई रिमांड के बाद निलंबित आईएएस बाबूलाल को 14 दिनों के ज्यूडिशियल रिमांड पर तिहाड़ जेल में रखे जाने का आदेश दिया था। इसके बाद से बाबूलाल तिहाड़ जेल में कैद हैं। हाईकोर्ट और सीबीआई कोर्ट में लगी याचिका निरस्त होने के बाद माना जा रहा है कि बाबूलाल को पहला पखवाड़ा तिहाड़ में काटना होगा। इसके बाद सीबीआई कोर्ट में होने वाली पेशी के दौरान तय होगा कि अगला कदम क्या होगा।
अधिकारी को बख्शने के मूड में नहीं सीबीआई
सीबीआई को रिश्वत देना बाबूलाल के लिए काफी ज्यादा महंगा साबित हो गया है। सीबीआई ने इस मामले को काफी ज्यादा गंभीरता से ले लिया है। वजह भी साफ है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस मुहिम का ऐलान किया है, उसमें सीबीआई सहित अन्य जांच एजेंसियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसे में पीएम मोदी की उम्मीदों पर सीबीआई पानी नहीं फेरना चाहती है, जिसके चलते इस मामले को लेकर सीबीआई खतरनाक मूड में है।
मिले और भी कई साक्ष्य
सूत्रों के मुताबिक बाबूलाल प्रकरण को सीबीआई ने खींचकर रखा है। इस मामले में चालान पेश करने के लिए सीबीआई के अफसर जी तोड़ मेहनत कर साक्ष्य जुटाने में लगे हुए हैं। चूंकि बात सीबीआई की साख पर बन आई है, लिहाजा सीबीआई किसी भी तरह से छूट देने के मूड में नहीं है।
आपकी प्रतिक्रिया