सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति का अधिकार अपने पास रखने को बाजिद्द है ज्यूडिशरी. सरकार अगर जयूडिशरी के कोलिजियम की ओर से भेजे गए 150 नामों में से 40 रोक भी लेती है, तो कोलिजियम उन्ही नामों पर अड जाता है क्योकि वही भाईयों-भतीजों की लिस्ट होती है. सरकार कैसे जयूडिशरी के सामने लाचार हो जाती है यह उस का सबूत है.
और यंहा संलग्न यह पत्र इस बात का सबूत है कि जज अपने बेटो- भाई- भतीजों के लिए किस हद तक चले जाते हैं.यह चिट्ठी मुंबई हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को लिखी है, जिस में निर्देश दिया गया है कि मुंमबई हाईकोर्ट के एक जज का बेटा राजस्थान घूमने आ रहा है, उस के लिए वीवीआईपी रूम बुक किए जाएँ. लाल बत्ती वाली नए माडल की इनोवा कार का इँतजाम किया जाए और क्या क्या किया जाए..
यह चिट्ठी पढ कर अंदाज लगाया जा सकता है कि भारत की न्यायपालिका किस तरह धौंस जमा कर शासन को बंधक बना कर काम कर रही है.
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