जिस तकनीक से वोल्गा साफ़ हुई,उसी से होगी गंगा साफ़

Publsihed: 08.May.2017, 16:09

वाराणसी। अब गंगा की सफाई जापान की तकनीक से होगी। इस तकनीक से सिर्फ गंगा ही नहीं, वरन अन्य नदियों की सफाई होगी। इसके लिए जापान ने लेटेस्ट माइक्रोबबल टेक्नालॉजी देने पर सहमित जताई है। इस टेक्नालॉजी को प्रदूषण नियंत्रण के लिए मुफीद बताया गया है। टेक्नालॉजी ट्रांसफर की संभावना तलाशने के लिए इंडियन एसोसिएशन आॅफ जापान का डेलीगेशन इन दिनों बीएचयू आया हुआ है।

जापान के नदी विज्ञानी ताकेओ टी ने बताया कि उनकी टीम ने माइक्रोबबल तकनीक विकसित की है, जिससे नदियों को आसानी से साफ किया जा सकता है। इसके लिए माइक्रोबबल जेनरेटर से पानी में माइक्रोबबल बनाए जाते हैं। ये माइक्रोबबल अपने साथ पानी में घुले तत्वों को ऊपरी सतह पर ले आते हैं। बाद में इसे बाहर निकाल लिया जाता है।

विज्ञानी ताकेओ टी के मुताबिक माइक्रोबबल प्रौद्योगिकी की मदद से क्योटो शहर की वोल्गा नदी को पूरी तरह साफ किया जा चुका है। अमेरिका, चीन और कोरिया में भी इसका सफल प्रयोग हो रहा है। दावा किया कि इस तकनीक से नदी-तालाब ही नहीं, समुद्र के पानी को भी पीने के लायक बनाया जा सकता है। उन्होंने पवित्र गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए माइक्रोबबल टेक्नालॉजी के अलावा जैविक मिश्रण के उपयोग की सलाह दी। यह अजैविक पदार्थों को समाप्त करता है।

जापानी टीम के मेंबर हिशमोटो ने घर के पानी को शुद्ध करने के लिए एक फिल्टर का प्रदर्शन किया, जो सूक्ष्मतम अशुद्धियों को भी रोकने में सक्षम है। इस मौके पर जापान के ओटो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय मेहरोत्रा, ओटोगवा, हिशीनुमा ने अपने विचार रखने के साथ ही वीडियो के जरिए जापानी टेक्नालॉजी का प्रदर्शन किया। दीन दयाल उपाध्याय कौशल केंद्र के डायरेक्टर प्रो. आरपी शुक्ल ने बताया कि जल्द ही इंडियन एसोसिएशन आॅफ जापान का बीएचयू के साथ टेक्नालॉजी ट्रांसफर पर समझौता संभावित है। एमओयू साइन होने के बाद जापान के सहयोग से गंगा को प्रदूषण मुक्त किया जाएगा। नदी विज्ञानी और गंगा बेसिन अथॉरिटी के मेंबर प्रो. बीडी त्रिपाठी ने जापानी टेक्नालॉजी को पर्यावरण के अनुकूल बताया है।

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