जीडीपी 5.7 प्रतिशत नहीं बल्कि 3.7 प्रतिशत पर है, लेकिन डर के कारण भाजपा वाले भी मुंह नहीं खोल रहे | पिछली एनडीए सरकार में वित्त मंत्रालय संभाल चुके भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खोखलेपन को उजागर करते हुए यह टिप्पणी की है |
गिरती विकास दर को लेकर भी पूर्व वित्त मंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि तिमाही दर तिमाही विकास दर गिरकर 5.7 पर पहुंच गई जो तीन साल में सबसे कम है। जबकि 2015 में मोदी सरकार ने विकास दर मापने का पैमाना बदल दिया था। यदि पुराने तरीकों से इसे मापा जाये तो ये 5.7 नहीं बल्कि 3.7 प्रतिशत से भी कम निकलेगी।
अग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में यशवंत सिन्हा ने लेख के जरिये कहा कि भाजपा में आज हर कोई स्थिति को समझ रहा है लेकिन डर की वजह से कोई बोल नहीं रहा।
सिन्हा कहते हैं कि, ”प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने काफी करीब से गरीबी को देखा है, उनके वित्त मंत्री इस बात के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं कि देश का हर नागरिक भी गरीबी को करीब से देखे।”
*लोगों द्वारा नकारे जाने के बावजूद वित्त मंत्री बनाकर जेटली को अर्थव्यवस्था समेत 4 महत्वपूर्ण मंत्रालय देना काम के साथ न्याय नहीं है। उन्होंने अर्थव्यवस्था की जो हालत की है उसके खिलाफ अगर नहीं बोला तो मेरे देश के प्रति कर्तव्य के साथ धोखा होगा। मुझे पता है मैं जो कह रहा हूं इससे भाजपा के कई लोग भी सहमत होंगे, लेकिन डर की वजह से बोल नहीं पा रहे*।”
यशवंत सिन्हा ने लिखा, ”निजी निवेश में आज जितनी गिरावट है उतनी दो दशक में नहीं हुई। औद्योगिक उत्पादन का बुरा हाल है, कृषि क्षेत्र परेशानी में है, बड़ी संख्या में रोजगार देने वाला निर्माण उद्योग भी संकट में है. नोटबंदी फेल रही है, गलत तरीके से जीएसटी लागू किए जाने से आज कारोबारियों के बीच खौफ का माहौल है। लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं।”
*जबकि सरकार में बैठे जिम्मेदार गिरावट की बात मानने को तैयार ही नहीं हैं। अनमने ढंग से मानते हुए भी कह देते हैं कि नोटबंदी की वजह से मंदी नहीं आई। हां यहां वो कुछ सही बोल रहे हैं क्योंकि मंदी की शुरुआत तो नोटबंदी से पहले ही हो गई थी। नोटबंदी ने सिर्फ आग में घी डालने का काम किया और जीएसटी ने उसे पूरी तरह से स्वाहा कर दिया*।
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