दूसरी तिमाही में विकास दर बढ़कर 6.3 फीसदी हुई

Publsihed: 30.Nov.2017, 22:16

नई दिल्ली | जीएसटी और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर छाई मंदी का दौर खत्म हो गया लगता है | जीडीपी ग्रोथ रेट यानी सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर में वृद्धि देखने को मिली है |दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर तिमाही) में बढ़कर जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी हो गई है | पिछली तिमाही में 5.7 फीसदी थी |राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलामनबी आज़ाद ने इन आंकड़ों को फर्जी बताते हुए कहा कि यह चुनावी शोशा है |

सीएसओ की रीलीज़ में बताया गया है कि पिछले साल की दूसरी तिमाही में भारत की कुल जीडीपी 29.79 लाख करोड़ की थी, इस बार बढ़कर 31.66 लाख करोड़ की हो गई है | यानी पिछले साल की तुलना में 1 लाख 87 हज़ार करोड़ बढ़ गया है. जो बताता है कि विकास दर 6.3 प्रतिशत हो गई है | 2017-18 की पहली तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग का ग्रोथ रेट 1.2 प्रतिशत पर आ गया था | पिछले पांच साल में यह रिकार्ड गिरावट थी | क्योंकि इसके पहले की तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग का ग्रोथ रेट 5.3 प्रतिशत था और 10.7 प्रतिशत था | पहली तिमाही के 1.2 प्रतिशत से बढ़कर अगर ग्रोथ रेट 7.0 प्रतिशत हुआ है. मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में एक तिमाही के भीतर 5.8 प्रतिशत की वृद्धि काफी महत्वपूर्ण है |

लेकिन खेती के सेक्टर से अच्छी ख़बर नहीं है | सीएसओ के मुखिया टीसीए अनंत ने भी कहा कि खेती में विकास दर की रफ्तार धीमी पड़ गई है | कृषि, वन एवं मत्स्य का ग्रोथ रेट 1.7 प्रतिशत ही रहा है. पहली तिमाही के 2.3 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत पर आया है. पिछले साल की दूसरी तिमाही का ग्रोथ रेट 4.1 प्रतिशत था | खेती में पिछले साल की दूसरी तिमाही की तुलना में दो प्रतिशत से अधिक की गिरावट के कारण ही किसान आंदोलनरत हैं |

अप्रैल-जून तिहामी में विकास दर 5.7 फीसदी था, जो लगभग 3 साल का सबसे निचला स्‍तर था | उस वक्त वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के 1 जुलाई से लागू होने से पहले ही बाजार ने इस गिरावट के संकेत दे दिये थे | हालांकि, अब इस वृद्धि से सरकार कुछ राहत की सांस जरूर ले सकती है|  मतलब साफ है कि अब नोटबंदी और जीएसटी का प्रभाव खत्म होने लगा है | सितंबर तिमाही में 6 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज करने वाले क्षेत्रों में 'विनिर्माण', 'बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाएं' और 'व्यापार, होटल, परिवहन और संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं' शामिल हैं. वहीं, कृषि क्षेत्र में काफी सुस्त दिखी और इसमें महज 1.7 फीसदी की वृद्धि दर हुई |

gdp

पहली तिमाही में विकास दर इस बार की तुलना में कम थी | जीएसटी के लागू होने के बाद ये आंकड़ा संतोषजनक है | इससे उम्मीद की जा सकती है कि अब जीएसटी के बुरे नतीजे हटने शुरू हो गये हैं | यही वजह है कि दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर का जो विकास दर बढ़कर सामने आया है, वो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं | 

अर्थशास्त्री उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि आगे बढ़ेगी क्योंकि जीएसटी से संबंधित अवरोध अब फीका पड़ता दिख रहा है और ग्लोबल ग्रोथ बढ़ रहा है | रेटिंग एजेंसी मूडी, जिसने इस महीने के शुरू में भारत के सार्वभौम रेटिंग को अच्छा बताया था | अब इससे उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 फीसदी की दर से बढ़ेगी और 2018-19 में बढ़कर 7.5 फीसदी हो जाएगी |

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