पाकिस्तान में बन रहे ग्वदर पोर्ट और आर्थिक कारिदार की सुरक्षा से चिंतित चीन अपनी फौज पाकिस्तान भेज दी है. ब्लूचिस्तान में पोर्ट और कारिडार का कडा विरोध हो रहा है. भारत ने ब्लूचिस्तान के पाक्ल विरोधी संघर्ष का समर्थन किया है. भारत के जानी दुश्मन पाकिस्तान और चीन की दोस्ती तो जगजाहिर है। दोनों मुल्क इस दोस्ती को भारत के खिलाफ एनएसजी से लेकर तमाम मंचों पर निभाते आए हैं। चीन-पाकिस्तान इकॉनामिक कॉरिडोर (CPEC) पर पाकिस्तान में चीन के कर्मचारियों के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। पाकिस्तान ने हर चीनी नागरिक की सुरक्षा के लिए दो जवान तैनात किए हैं। प्रोजेक्ट से जुड़े करीब 7000 चीनी नागरिकों के लिए पाकिस्तान ने करीब 15000 सैनिकों को ड्यूटी पर लगाया है।
चीनी नागरिक की सुरक्षा
चीनी नागरिक की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान ने तैनात किए सैनिक
चीनी नागरिक की सुरक्षा के इस महत्वपूर्ण कॉरिडोर को खतरा बलूची राष्ट्रवादियों से हैं जिन्होंने प्रोजेक्ट को कई बार निशाना बनाया है। इसके अलावा तालिबानी गुट भी प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा सकते हैं, उन्होंने पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी अफसरों को पहले भी अगवा किया है। दो हजार किलाेमीटर लंबा CPEC पाकिस्तान के लिए ‘गेम चेंजर’ के तौर पर देखा जा रहा है, जो चीन के कशगर को बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़कर आर्थिक ढांचे को मजबूत करेगा। मगर इस प्रोजेक्ट पर कई संगठनों की ढेढ़ी नजर है।
वहीं, पाकिस्तान के लिए रणनीतिक तौर पर भी यह कॉरिडोर बहुत महत्वपूर्ण है। प्रॉजेक्ट के बाज काराकोरम हाईवे को एक बार फिर से गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र से जोड़ा जा सकेगा। इसका सीधा फायदा चीन को भी मिलेगा क्योंकि चीन के लिए पाक अधिकृत कश्मीर तक पहुंचने के लिए रास्ता मिल सकेगा।
आपकी प्रतिक्रिया