रोशन लाल को हरियाणा में मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जा रहा है। रॉबर्ट वाडेरा की जमीन पर म्यूटेष्ण रोकने वाले अशोक खेमका को जब हुड्डा सरकार की ओर से बर्खास्त किया गया था तो खेमका ने आरोप लगाया था कि रोशन लाल और एक अन्य आइएएस अधिकारी ने मिल कर उन के खिलाफ साजिश रची है। खेमका ने 23 अक्तूबर 2013 को मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में रोशन लाल पर भ्रष्टाचार के कई आरोपों की सूची सोंपी थी। आरटीआई एक्ट और आयोग भ्रष्टाचार रोकने और शासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से बनाया गया था। लेकिन शासन में रह कर भ्रष्टाचार करने और भ्रष्टाचारियों का बचाव करने वाले रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने जिस तरह देश भर में इन आयोगों पर कब्जा जमाया है, उस के बाद लगता है कि संसद भले कितने कानून बना ले। ब्यूरोक्रेसी अपने बचाव का रास्ता ढूंढ लेती है। अब सूचना आयोग भी रिटायरमेंट के बाद इन के रोजगार का अड्डा बन कर रह गए हैं। कभी कभी लगता है लोकतन्त्र विफलता की ओर तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। जनता चाहे जितना सत्ता परिवर्तन कर दे, राजनीतिक दल कोई भी आए, शासन भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी का ही चलेगा । कानून मे कंही नहीं लिखा कि मुख्य सूचना आयुक्त रिटायर्ड मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव ही होगा। लेकिन केंद्र में कांग्रेस हो या भाजपा, यूपी में मायावती हो या मुलायम , तमिलनाडु में करुणानिधि हो या जयललिता , बंगाल में बुद्धदेव हों या ममता देश के हर राज्य और यंहा तक कि केंद्र में भी मुख्य सूचना आयुक्त और 80 % आयुक्त रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं। तो काहे की पारदर्शिता और काहे का भ्रष्टाचार मुक्त शासन।
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