चंडीगढ़ | हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें बढ़ गई है। सीबीआइ ने हुड्डा के खिलाफ मानेसर भूमि घोटाला मामले में आज सीबीआई की विशेष अदालत में चार्जशीट दायर कर दी है। यह मामला 2015 में दर्ज किया गया था। आरोप है कि हुड्डा के शासनकाल में सैकड़ों एकड़ जमीन अधिग्रहीत कर बिल्डरों को गलत ढ़ंग से प्लांट आवंटित कर दिया गया था।
हुड्डा व उनके शासन के समय पावरफुल रहे कई अफसरों समेत 34 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इनमें अधिकतर बिल्डर है। करीब 80 हजार पेज की चार्जशीट संबंधी दस्तावेज सीबीआइ अधिकारी दो अलमारियों में भरकर पंचकूला सीबीआइ कोर्ट में लाए |सीबीआइ के विशेष जज ने 26 फरवरी तक अन्य दस्तावेज जमा कराने को कहा है। सीबीआइ की ओर से दाखिल चार्जशीट में हुड्डा के पूर्व प्रधान सचिव एमएल तायल, पूर्व प्रधान सचिव छतर सिंह, अतिरिक्त पूर्व प्रधान सचिव एवं हुडा के तत्कालीन प्रशासक एसएस ढिल्लों, पूर्व डीटीपी जसवंत सिंह और कई बिल्डरों के नाम शामिल होने से अफसरशाही तथा बिल्डरों में हड़कंप मच गया। हुड्डा के साथ-साथ इन रिटायर्ड अफसरों की मुश्किलें भी बढ़ गई है। छतर सिंह केंद्रीय लोक सेवा आयोग में भी सदस्य रह चुके है। चार्जशीट में एबीडब्ल्यू बिल्डर्स के अतुल बंसल का नाम भी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि मानेसर जमीन घोटाले में ही 12 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्णय सुरक्षित रखा था। उस दिन सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए चार महीने का समय दिया था व हरियाणा सरकार को आदेश दिए थे कि एक सप्ताह के अंदर -अंदर इस मामले की जांच करने वाले जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे। मानेसर जमीन घोटाला करीब 1600 करोड़ का बताया जाता है।
इस मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया था। ईडी ने हुड्डा और अन्य के खिलाफ सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर आपराधिक मामला दर्ज किया था। अब इस मामले में सीबीआई ने पंचकूला की सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज कपिल राठी की अदालत में चार्जशीट पेश की है। कांग्रेस लगातार इस कारर्वाई को सियासी रंजिश करार दे रही है।
1600 करोड़ की जमीन 100 करोड़ में बेचने का आरोप
पिछली हुड्डा सरकार पर अपने कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डरों को कौडिय़ों के भाव यानी सिर्फ 100 करोड़ में बेचने का आरोप है। पूरे मामले में करीब 1600 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया जा रहा, जबकि हुड्डा बार-बार इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सुई भाजपा नेताओं की तरफ घुमाते है। उनका कहना है कि भाजपा नेताओं के अनुरोध पर अधिग्रहीत जमीन छोड़ी गई थी। यह जमीन तीन गांवों की है। किसानों ने गुरुग्राम के मानेसर थाने में केस दर्ज कराया था।
भाजपा सरकार ने 17 सितंबर 2015 को मामला सीबीआइ के सुपुर्द कर दिया। सीबीआइ ने जमीन अधिग्रहण
आरोप है कि अगस्त 2014 में निजी बिल्डरों ने हरियाणा सरकार के कुछ नेताओं के साथ मिलीभगत कर गुरुग्राम जिले में मानसेर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों के किसानों और भूस्वामियों को अधिग्रहण का भय दिखाकर उनकी करीब 400 एकड़ जमीन औने-पौने दाम पर खरीद ली थी।
अधिग्रहण का डर दिखाकर बिल्डरों
पिछली सरकार ने करीब 912 एकड़ जमीन अधिग्रहीत करने के लिए मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के ग्रामीणों को सेक्शन 4, 6 और 9 के नोटिस थमाए थे। कांग्रेस की तत्कालीन हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान आइएमटी मानेसर की स्थापना के लिए करीब 912 एकड़ जमीन का अधिग्रहीत करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस दौरान मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में करीब 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। ग्रामीणों को सेक्शन 4, 6 और 9 के नोटिस थमा दिए थे। इसके बाद बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण का डर दिखाकर जमीनों के सौदे किए और जमीनों को कौडिय़ों के भाव खरीद लिया। आरोप है कि यह पूरा घटनाक्रम तत्कालीन सरकार के संरक्षण में चल रहा था। इसी दौरान उद्योग निदेशक ने सरकारी नियमों की अवहेलना करते हुए बिल्डर द्वारा खरीदी गई जमीन को अधिग्रहण प्रक्रिया से रिलीज कर दिया।
आरोप है कि निजी बिल्डरों ने तत्कालीन सरकार तथा संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर करीब 400 एकड़ जमीन को खरीदा था। अधिसूचना रद्द करने से नाखुश किसान सीबीआई जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। राज्य में बीजेपी सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
आपकी प्रतिक्रिया