भारत से ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल खरीदेगा रूस

Publsihed: 09.Sep.2016, 14:55

रूस ने भारत से ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल खरीदने की पेशकश की है ! एसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन और पाकिस्तान के खिलाफ शुरु की गई मुहिम ने रंग दिखाना शुरु कर दिया है, अगर रूस ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों की खरीदारी करता है तो वह दक्षिण चीन सागर पर अड़े चीन से निपटने के लिए इन ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों को जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल कर सकता है। भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के डेमन्सट्रेटर के साथ फाइटर प्लेन की टेस्टिंग इस साल गर्मियों में की थी। मिसाइल के साथ पहले एयरक्राफ्ट का टेस्ट इस साल के अंत तक होने की उम्मीद है। भारतीय सेना के पास अब तक इस मिसाइल को जमीन व समुद्र से लॉन्च करने वाला माडल है। यहां प्लेन से ब्रह्मोस मिसाइल लॉन्च करने का यह पहला सिस्टम होगा। भारत पहले अपने एयरफोर्स में इसका ऑपरेशन शुरू करेगा। इसके बाद यह रूस को मिलेगा। बता दें कि मिसाइल बनाने को लेकर भारत व रूस के बीच 12 फरवरी 1998 को समझौता हुआ था। इसके बाद भारत में ब्रह्मोस एयरोस्पेस बना था।
भारत चाह्ता है अमेरिका से ड्रोन
माना जा रहा है कि अमेरिका ने ड्रोन के हमले से आईएसआईएस के नकाबपोश आतंकी जिहादी जॉन का खात्मा किया था।बताया जा रहा है कि फरवरी में भारतीय नौसेना की ओर से अमेरिकी रक्षा विभाग को 22 प्रिडेटर गार्डियन ड्रोन खरीदने के लिए पेशकश की थी । अगर ड्रोन पर डील हो जाती है तो स्ट्रैटजिक डिफेंस पार्टनर बनने के बाद भारत-अमेरिका के बीच ये बडा रक्षा सौदा होगा। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, हालांकि अभी तक अमेरिका की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन भारत की रिक्वेस्ट पर इंटर एजेंसी प्रॉसेस शुरू कर दी गई है।अगर यह डील हो जाती है तो न केवल भारत को ये मल्टीमिशन ड्रोन मिल जाएंगे, बल्कि इससे दोनों देशों के बीच स्ट्रैटजिक डिफेंस पार्टनरशिप भी नए लेवल पर पहुंच जाएगी। अफसरों का मानना है कि अगर गार्डियन और UAVs का इस्तेमाल भारत हिंद महासागर क्षेत्र में करता है तो इससे अमेरिका को कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि एशिया-पैसिफिक रीजन में अमेरिका की भी दिलचस्पी है।
सूत्रों के मुताबिक, मनोहर पर्रिकर इस मसले पर अमेरिकी रक्षा सचिव से चर्चा कर चुके हैं। पर्रिकर पिछले हफ्ते अमेरिका में थे और 29 अगस्त को उन्होंने अपने यूएस काउंटरपार्ट एश्टन कार्टर से बात की थी। मीटिंग के दौरान कार्टर ने पर्रिकर को भरोसा दिलाया था कि वो इस मसले को खुद देखेंगे। अफसरों का कहना है कि व्हाइट हाउस-पेंटागन के अलावा अमेरिकी कांग्रेस के कुछ प्रभावशाली सदस्य भी चाहते हैं कि जब तक जनवरी में ओबामा ओबामा राष्ट्रपति पद छोड़ें, तब तक ये डील पूरी हो जाए।
 

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