बीएसएफ जवान तेज बहादुर ने अपने वीडियो में इस बात का दावा किया था कि सरकार राशन का पर्याप्त सामान भेजती है, स्टोर्स भरे पड़े हैं लेकिन अधिकारी सामान को सैनिकों तक नहीं पहुंचने देते और बाहर ही सामान बेच दिया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स की गर मानें तो बीएसएफ कैंपों के आसपास रहने वाले लोगों का दावा है कि कुछ सैन्य अधिकारी उन्हें ईंधन और राशन का सामान मार्केट से आधे दाम पर बेचते हैं.
एक बीएसएफ जवान और श्रीनगर स्थित हुमाहमा बीएसएफ हेडक्वॉर्टर के आसपास रहने वाले कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि एयरपोर्ट के आसपास रहने वाले दुकानदार, कुछ बीएसएफ अधिकारियों द्वारा बेचे जाने वाले ईंधन के प्रमुख खरीददार हैं. नाम न उजागर करने की शर्त पर एक बीएसएफ जवान ने कहा, ‘ये अधिकारी स्थानीय बाजारों में राशन और खाने-पीने की चींजे बेच देते हैं. हम तक सामान पहुंच ही नहीं पाता. यहां तक हमें हमारी दैनिक उपयोग की चीजें भी नहीं मिल पातीं और वे इन्हें बाहर अपने एजेंट्स के माध्यम से मार्केट में बेच देते हैं.’
इस इलाके के एक ठेकेदार ने बताया कि हमें मार्केट से आधे दाम पर हुमहमा कैंप के कुछ अधिकारियों से डीजल और पेट्रोल मिल जाता है. इसके अलावा राशन में चावल, मसाले, दाल और रोजमर्रा की चीजें भी बेहद कम दामों में मिल जाती हैं. यही नहीं, इलाके के एक फर्नीचर डीलर ने बेहद चौंकाने वाला दावा किया है कि ऑफिस और बाकी सरकारी जरूरतों के लिए फर्नीचर खरीदने आने वाले अधिकारी हमसे मोटा कमीशन लेते हैं. फर्नीचर डीलर ने बताया कि उनका कमीशन हमारे मुनाफे से भी ज्यादा होता है. डीलर ने कहा कि बीएसएफ में कोई ई-टेंडरिंग व्यवस्था नहीं है। अधिकारी आते हैं, अपना कमिशन लेते हैं और फर्नीचर खरीद लेते हैं. कई बार तो उन्हें फर्नीचर की क्वॉलिटी से भी ज्यादा मतलब नहीं होता है.
यह हाल सिर्फ बीएसएफ का नहीं है बल्कि सीआरपीएफ के कुछ अधिकारियों का भी यही हाल है. श्रीनगर में एक महीने पहले तक बतौर आईजी (प्रशासन) तैनात रहे सीआरपीएफ के आईजी रविदीप सिंह साही ने कहा कि अगर सप्लाई में किसी तरह की गड़बड़ी है, तो वह इसकी जांच कराएंगे.
आईजी रविदीप ने कहा, ‘हमारे जवान हमारी ताकत हैं। उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं में किसी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.’ उन्होंने दावा किया कि सीआरपीएफ में चीजों को खरीदने की एक स्थापित व्यवस्था है और कोई भी इसका उल्लंघन नहीं कर सकता है. श्रीनगर में लॉ एंड ड्यूटी पर तैनात एक सीआरपीएफ के सिपाही ने इस दावे को सिरे से खारिज किया कि अधिकारी उनके साथ बुरा सलूक करते हैं। सिपाही ने कहा, ‘हमें समय पर बेहतरीन खाना मिलता है. इसके अलावा ड्यूटी खत्म होने पर, रहने की भी उचित व्यवस्था कराई जाती है.’
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