अजय सेतिया / किशोरी से बलात्कार और उस के पिता की हत्या के आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का उत्तरप्रदेश पुलिस बाल भी बांका नहीं कर पा रही | कुलदीप सिंह उन्नाव जिले के सबसे महत्वपूर्ण राजपूत नेता हैं , जिनकी राजनैतिक यात्रा यूथ कांग्रेस से शुरू हुई थी | वह पहली बार 2002 में मायावती की पार्टी से विधायक बने, 2007 में समाजवादी पार्टी से चुने गए, 2017 में चुनाव के आरम्भ होते ही दल बदल कर भाजपा में चले गए और फिर विधायक बन गए | क्योंकि कुलदीप सिंह खुद और उस के बॉस राजा भैया योगी आदित्यनाथ के समर्थक हैं, इस लिए योगी सरकार उन का बाल भी बांका नहीं होने दे रही | सुनते हैं कुलदीप सिंह सेंगर आजकल लोकसभा के लिए तैयारी कर रहे हैं | कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर फिलहाल उन्नाव जिला पंचायत की अध्यक्षा हैं ,कुलदीप सिंह के भाई अतुल सिंह की पत्नी अर्चना सिंह उस गाँव मखी की प्रधान है , जहां बलात्कार का शिकार हुई 17 वर्ष की बालिका रहती है |
हालांकि क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों में ब्राह्मणों की जनसंख्या 20 से 22 प्रतिशत तक है | दूसरे नम्बर पर हैं मुसलमान, तीसरे पर राजपूत | ब्राह्मणों को आपस में लड़ाया जाता है, मुसलमानों का कुछ हिस्सा कुलदीप सिंह सेंगर को वोट देता है, और राजपूतों में पूरी एकता है जिस कारण कुलदीप सिंह सेंगर किसी भी पार्टी में चले जाएँ, हमेशा चुनाव जीत जाते हैं | कुलदीप सिंह सेंगर के कारण ही भाजपा सदैव हारती रहती थी क्योंकि भाजपा के जनाधार का एक महत्वपूर्ण अंग राजपूत हैं जिनको कुलदीप सिंह अधिक पसन्द हैं | अब कुलदीप सिंह भाजपा में आये हैं तो भाजपा उन्हें कैसे निकाल सकती है ? राजा भैया के गुट का समर्थन भाजपा के लिए आवश्यक है, खासकर जब विरोधी शक्तियां एकजुट हो रही हैं | बलात्कार की शिकार बच्ची के पिटा और चाचा मुख्यमंत्री से मिले थे , मुख्यमंत्री ने उन्हें न्याय का आश्वासन दिया, लेकिन हुआ कुछ नहीं | अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात में दंगों के बाद नरेंद्र मोदी को सीख दी थी कि वह "राजधर्म" निभाएं | योगी आदित्यनाथ की अग्नि-परीक्षा है - राजधर्म में "राज" अधिक महत्वपूर्ण है या "धर्म" यह उनको ही तय करना है |
राजनीति के अलावा कुलदीप सिंह सेंगर का पसन्दीदा कार्य है एक ख़ास प्रकार की "समाजसेवा" - कुमारी लड़कियों के विवाह में कम-से-कम दस हज़ार रूपये की "सहायता" करते हैं | कुमारी लड़कियों की "समाजसेवा" करना इनका विशेष शौक है | जिस लड़की के साथ बलात्कार का आरोप है उसे भी एक महिला कुलदीप सिंह सेंगर के पास "सहायता" कराने के लिए ले गयी थी | उस बच्ची के पिता सुरेन्द्र सिंह की विधायक कुलदीप सिंह के घर पर हत्या की साजिश रची गई , क्योंकि उस ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का साहस किया गया था | बलात्कार की यह घटना अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल की है , कुलदीप सिंह तब समाजवादी पार्टी के विधायक थे , इस लिए पुलिस ने तब एफ़आईआर दर्ज नहीं की | जब कि निर्भय हत्याकांड के बाद बने क़ानून के अनुसार बलात्कार की ऍफ़आईआर तुरंत दायर होनी चाहिए थी | वैसे भी बलात्कार का शिकार हुई बच्ची किशोरी थी, इस लिए यह पोक्सो का मामला बनता है, जिस की ऍफ़आईआर दर्ज करने से पुलिस इनकार कर ही नहीं सकती | बलात्कार का शिकार हुई बच्ची की दादी जब पुलिस थाने में धरने पर बैठी तो पुलिस ने ऍफ़आईआर तो दायर की , लेकिन आरोपी का नाम दर्ज नहीं किया | एक फोन रिकार्डिंग में साफ़ आया था कि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ ऍफ़आईआर दर्ज करने में अपनी असमर्थता जाहिर की |
3 अप्रेल को कुलदीप सिंह सेंगर के आदमियों ने उस समय बलात्कार का शिकार हुई बच्ची के पिता सुरेन्द्र सिंह को रास्ते से उठा लिया , जब वह अपने घर जा रहे थे | सुरेन्द्र सिंह को विधायक के घर लाया गया, जहां उस की निर्ममता से पिटाई की गई , बाद में पुलिस को फोन कर के सुरेन्द्र सिंह को पुलिस के हवाले कर दिया गया | पुलिस सुरेन्द्र सिंह को विधायक के घर से ले कर गई और उस पर ही मारपीट करने का केस बना कर जेल में डाल दिया गया | सुरेन्द्र सिंह को जब कोर्ट में पेश किया गया, तो कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया था कि उसे अस्पताल लेजाया जाए , लेकिन पुलिस उसे जेल में ले गई | पुलिस ने अदालत में झूठा बयान दिया कि सुरेन्द्र सिंह पुराने अपराधी हैं, हालाँकि ऐसा कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं है | पुलिस के झूठे बयान के बाद सुरेन्द्र सिंह को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश हुआ | न्यायिक हिरासत के दौरान भी उनकी पिटाई की गयी | पोस्टमोर्टेम की रिपोर्ट है कि गुदा की नली में (Colon) बड़े-बड़े छेद थे जिस कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन अंतड़ियों में फैल गया और इस कारण "सदमे" से मृत्यु हो गयी |
पोस्टमोर्टेम की रिपोर्ट और डॉक्टर के बयान से प्रतीत होता है कि सुरेन्द्र सिंह के गुदामार्ग में पुलिस ने लाठी डालकर यातना दी ताकि वह कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ कोर्ट में दायर शिकायत वापस ले | सुरेन्द्र सिंह को अधमरा करने के बाद भी इलाज के लिए तब भेजा गया जब मौत का अन्देशा हुआ, किन्तु तब तक इन्फेक्शन पूरे पेट में फैल गया था | परन्तु पोस्टमोर्टेम रिपोर्ट का यह हिस्सा चौंकाने वाला है कि मृत्यु का कारण इन्फेक्शन नहीं बल्कि इन्फेक्शन से पंहुचा "सदमा" था | इन्फेक्शन से सदमा होता है, यह पहली बार सुना है | "सदमा" इन्फेक्शन का था या बेटी के साथ हुआ बलात्कार और उसके बाद सरकार और पुलिस का बर्ताव था | डॉक्टर का कथन है कि आँत में छेद पहले से था जो इन्फेक्शन के कारण बढ़ गया, जिसका अर्थ यह है कि छेद लाठी के कारण हुआ था जो लाठी में लगी गन्दगी से हुए इन्फेक्शन के फैलने पर बढ़ गया | पुलिस ने कानून का पालन नहीं किया यह स्पष्ट है |
अखिलेश सरकार की तरह योगी सरकार में भी पुलिस राजनीतिक इशारों के बिना तस से मास नहीं होती | उसे अदालतो की कोई परवाह नहीं है, उसे परवाह होती है तो सिर्फ अपने राजनीतिक आकाओं की | योगी सरकार बनते ही समाजवादी पार्टी के समर्थक यादवों ने पाँच ब्राह्मणों की हत्या कर दी थी , तो सरकार का बयान था कि मारे गए ब्राह्मण अपराधी थे इसकी जांच होगी | किन्तु हत्यारों के खिलाफ ऍफ़आईआर दर्ज नहीं की जा रही थी, विधानसभा में हंगामे के बाद ऍफ़आईआर दर्ज हुई थी | ब्रह्महत्या से "रामराज्य" का शुभारम्भ हुआ | आदित्यनाथ धर्मसंकट में हैं - किस "धर्म" का पालन करें ? जातीय धर्म का या असली राजधर्म का ? शक्तिशाली तो अपनी रक्षा स्वयं करने में सक्षम होते हैं, राजधर्म है अशक्त की रक्षा करना | असली क्षत्रिय वह है जो कमजोर की रक्षा करे | कुलदीप सिंह सेंगर ही राजपूत नहीं हैं, जिनके साथ अन्याय हुआ है वे भी राजपूत ही हैं, हालाँकि कमजोर हैं | वह भले कमजोर की रक्षा न करें, धर्म और राज धर्म का तो पालन करें | सनातन धर्म में बलात्कार को राक्षस का लक्षण कहा गया है, और राक्षसों का वध करने के लिए ही विष्णु के सारे अवतार होते रहे हैं | असली वैष्णव वह है जो बलात्कारियों को फाँसी के तख्ते तक पंहुचाने में सहायता करे, देश में रावण-राज्य हो तो घर में बैठकर राम-राम करने से राम नहीं मिलेंगे |
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