भाजपा को तीनों राज्यों में लग सकता है झटका

Publsihed: 06.Oct.2018, 23:02

नई दिल्ली | पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का एलान हो गया | एलान के तुरंत बाद जनता की क्या राय है , भले ही जनता के मूड को इतनी जल्दी नहीं पहचाना जा सकता , पर एबीपी ने जाने माने सेफोलोजिस्ट यशवंत देशमुख के माध्यम से ओपिनियन पोल के नाम पर तुरुत फुरत एक आकलन अपने चेनल के माध्यम से जनता के सामने रख दिया |

ओपिनियन पोल से अपना मतभेद नहीं है , फिलहाल दिख वही रहा है, जो यशवंत देशमुख का आकलन है | अपनी सत्ता वाले तीनों राज्य मध्य प्रदेश, छ्तीसगढ़ , राजस्थान भाजपा हार रही है | राजस्थान में तो बुरी तरह हारती दिख रही है | पर जो 2004 में हुआ था , वही होता भी दिख रहा है | 2004 में भाजपा ये तीनों विधानसभाएं जीती थी , इस से उत्साहित हो कर अटल बिहारी वाजपेयी की टीम ने लोकसभा के चुनाव समय से पहले करवा दिए थे और भाजपा लोकसभा चुनाव में लुढक गई |

यशवंत देशमुख का ओपिनियन पोल 2004 को दोहराने की भविष्यवाणी करता है | लोकसभा चुनावों में हवा मोदी के पक्ष में बह रही है | इन सभी तीनों राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की तरफ गया वोट लोकसभा चुनावों में मोदी के पक्ष में दुबारा भाजपा को मिलना बताया गया है | यशवंत देशमुख ने राजस्थान विधानसभा में जहां कांग्रेस को 50 प्रतिशत और भाजपा को 34 प्रतिशत वोट की भविष्यवाणी की है, यह अंतर 16 प्रतिशत का है , वहीं लोकसभा चुनावों में भाजपा का वोट कांग्रेस से 22 प्रतिशत तक ज्यादा हो जाने की भविष्यवाणी है | ऐसी हालत में तो राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटें फिर भाजपा को मिलेंगी |

यानि गैर भाजपा दल अगर यझ समझ रहे हैं कि राजस्थान , मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ जीत कर वे लोकसभा चुनावों में भी इन तीनों हिन्दी भाषी राज्यों में भाजपा पर बढ़त बना लेंगे , तो वे भारी गलतफहमी में हैं | वैसे मोदी चाहते तो अपने पक्ष में बरकरार हवा का विधानसभा चुनावों में भी इस्तेमाल करने के लिए इन विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा के साथ ही करवा सकते थे, भले ही तीनों राज्यों में चार-पांच महीनों के लिए राष्ट्रपति राज ही क्यों न लगाना पड़ता | इस से फर्क क्या पडना था , आखिर राज्यपाल भी तो भाजपा के ही हैं | रमन सिंह , वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान को भी इस का फायदा ही होता |

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