याददाश्त खो चुके एक बिहारी के हैदराबाद से लौटने की कहानी
श्री अरविन्द सिंह मंथन मैगजीन के प्रबंध संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले इस घटना का मुझ से जिक्र किया था। वह बहुत चिंतित थे कि हैदराबाद से मिले इस अनजान और याददाश्त खो चुके व्यक्ति को कैसे उस के परिजनों तक पहुंचाया जाए। आज वह अनजान व्यक्ति अपने परिजनों के पास पहुंच चुका है। तो उन्हीं के शब्दों में घटना का विवरण । - अजय सेतिया