चलो अदालत ने हिन्दुओं की व्यथा सुनी

Publsihed: 26.Feb.2021, 20:17
अजय सेतिया / इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले से इस्लामों-लेफ्टिजम-बालीवुड सदमे में है , क्योंकि पहली बार किसी अदालत ने उन के हिन्दू विरोधी रूझान पर निगाह डाली है | हाईकोर्ट ने तांडव वेब सीरीज में हिन्दू देवी-देवताओं के अपमान को गम्भीरता से लेते हुए न 

सिर्फ इसे जारी करने वाली एमाज़ोन प्राईम वीडियो की भारतीय हेड अपर्णा पुरोहित की अग्रीम जमानत याचिका खारिज कर दी बल्कि यह भी कहा कि बालीवुड ने ऐसी कई फिल्मों का निर्माण किया है , जिन में हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानजनक हालत में दिखाया गया है | इस का उदाहरण देते हुए अदालत ने राम तेरी गंगा मैली , सत्यम शिवम सुन्दरम , पीके ,ओह माई गौड़ फिल्मों का जिक्र किया | अदालत ने कहा-“ यही नहीं, ऐतिहासिक और पौराणिक व्यक्तित्व पद्मावती की छवि को छिन्न-भिन्न करने की कोशिश की गई | हिंदी फिल्म उद्योग इस प्रवृत्ति की ओर बढ़ रहा है और अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो इसके भारतीय सामाजिक,धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं | अदालत ने पश्चिम में ईसा मसीह का मजाक उड़ाने वाली फिल्म बनाने का किसी का साहस नहीं होता | शुक्र है अदालत ने प्रोफेट मोहम्मद का जिक्र नहीं किया , जिस का कार्टून छापने पर फ्रांस की मैगजीन के दफ्तर पर हमला कर के 12 लोगों को मार दिया गया था | निर्मम हत्याओं पर जहां सारी दुनिया सदमे में थी , भारत समेत दुनिया भर के मुसलमानों ने जश्न मनाया था | 

गुरूवार को जैसी ही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ के फैसले की खबर सोशल मीडिया पर आई , इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देखने की मिली | जानी मानी लेकिन एक विवादास्पद कम्युनिस्ट मुस्लिम महिला पत्रकार ने न्यायधीश पर टिप्पणी करते हुए अपने ट्विटर हेंडल पर लिखा कि उन्होंने जीसस का मजाक बनाने वाले कामेडियन रिकी गेर्वायस का जिक्र किया | सोशल मीडिया पर जहा हिन्दू समुदाय ने राहत की सांस ली है कि किसी जगह पर तो उन की सुनवाई हुई है , वहीं कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जाहिर करने वाले ज्यादातर इस्लामों-लेफ्टिजम से जुड़े लोग हैं | दो दिन पहले ही हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने वाले स्टैंड अप कामेडियन मुन्नवर और खालिस्तान समर्थक टूलकिट की टेक्निकल हैण्ड दिशा रवि को जमानत देने पर भारतीय न्यायपालिका की तारीफ़ करने वाले इस्लामों-लेफ्टिजम से जुड़े लोगों ने अपनी चिर परिचत भाषा का इस्तेमाल करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ को संघी और ट्रेनी जज तक लिख दिया | संयोग से भारत सरकार ने डिजिटल मीडिया को अनुशासित करने के लिए गुरूवार को ही गाईड लाईन जारी की थी , इस का विरोध भी इस्लामों-लेफ्टिजम से जुड़े लोग कर रहे हैं , क्योंकि नए नियमों के बाद वे जजों के खिलाफ भी इस तरह की टिप्पणियाँ नहीं कर सकेंगे, जैसेकि जस्टिस लोया के मामले में सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर की थी या रामजन्मभूमि के फैसले पर करते हैं या अब न्यायमूर्ति सिद्धार्थ पर टिप्पणियाँ शुरू की हैं | 

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने अपने फैसले में लिखा है कि बालीवुड के कुछ लोग जानबूझ कर बहुसंख्यक समुदाय के सहिष्णु होने का फायदा उठा कर उन के धर्म का उपहास उड़ाने की हरकते कर रहे हैं और इन हरकतों को कमाई का जरिया बनाए हुए हैं | अपर्णा पुरोहित को जमानत देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने जो कारण बताए हैं , वे आगे चल कर नजीर बन सकते हैं | पहला – हिन्दू देवी देवताओं को चिढाते हुए पहले फिल्म या वेबसीरिज बनाना और फिर जारी होने के बाद सीन हटाना या माफी मांगने का डिस्क्लेमर लगा देना आरोपित व्यक्ति का अपराध कम नहीं कर देता | सोशल मीडिया पर भगवान राम की लोकप्रियता की बात करना स्पष्टत भगवान राम के मंदिर निर्माण को विवादास्पद बताना है | पहले एपिसोड में दो हिंदू देवताओं के बीच के संवाद को बहुत ही अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है |  देवकीनंदन मोची का काम करने वाले निम्न जाति के व्यक्ति को गाली दे रहे हैं | अनुसूचित जातियों को आरक्षण देने के बारे में भी टिप्पणी की गई है | समाज के एक वर्ग में लम्बे समय से आक्रोश पंप रहा था कि हिन्दी फिल्मों में एक साजिश के तहत हिन्दुओं को मुसलमानों और ईसाईयों से कमतर कर के दिखाया जा रहा है | अदालत ने यह सही पकड़ा कि फिल्मों के माध्यम से हिन्दू धर्म को बदनाम करने और उच्च जातियों और अनुसूचित जातियों के बीच की खाई को चौड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है | इस वेब सीरिज में इस का स्पष्ट प्रमाण मिलता है | जबकि राज्य का उद्देश्य विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच की खाई को पाटना है और देश को सामाजिक,सांप्रदायिक और राजनीतिक रूप से एकजुट करना है | न्यायालय ने वेब सीरिज के छह एपिसोड देखने के बाद कहा कि 'अनुसूचित जाति की महिलाओं को अपमानित करने का एक स्पष्ट इरादा था | जातीय बन्धनों को तोड़ कर लड़के और लड़कियां शादी कर रहे हैं , जबकि फिल्म में संदेश दिया गया है कि यदि निम्न जाति का पुरुष उच्च जाति की महिला को डेट करता है, तो यह सदियों से निचली जाति के लोगों के साथ हुए अत्याचारों का बदला लेगा | इस के अलावा अनुसूचित जातियों के सदस्यों को जानबूझकर अपमानजनक तरीके से फिल्म में अपमानित करने के इरादे से दिखाया गया है , यह एससी एसटी एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई का मामला भी बनता है |

अदालत ने कहा कि फिल्म के नाम के रूप में "तांडव" शब्द का इस्तेमाल भी बहुसंख्यकों के लिए अपमानजनक हो सकता है | क्योंकि यह शब्द भगवान शिव को दिए गए एक विशेष कार्य से जुड़ा है जिसे निर्माता,संरक्षक और विध्वंसक माना जाता है | काल्पनिक कथा-कहानी का प्रदर्शन करते हुए भी अन्य विश्वास के लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए , जबकि वेबसीरिज का नाम ही आपतिजनक है | अपर्णा पुरोहित ने तांडव की स्ट्रीमिंग की इजाजत दे कर गैरजिम्मेदाराना काम किया है ,क्योंकि इस में अधिकाँश भारतीयों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है | अदालत ने कुछ दिन पहले अग्रीम जमानत पर सुनवाई कर के अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था , तब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था | लेकिन अब अपने फैसले में अपर्णा पुरोहित की व्यक्तिगत स्वतन्त्रता और मौलिक अधिकारों की दुहाई को खारिज करते हुए अदालत साफ़ साफ़ कहा कि वह उन्हें अग्रीम जमानत नहीं दे सकती | 

अदालत को पता था कि उन के इस फैसले के बाद इस्लामों-लेफ्टिजम में किस तरह की प्रतिक्रिया होगी , इस लिए अदालत ने पहले ही अपने फैसले में उन्हें बेनकाब करते हुए लिखा कि जब भी इस तरह के अपराध होते हैं,तो देश में असामाजिक ताकतें सक्रिय हो जाती हैं और ऐसे आरोपियों का बचाव करती हैं | बिना बालीवुड की उन हस्तियों का नाम लिए , जिन्होंने हाल ही में मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए भारत को रहने के लिए असुरक्षित बताते हुए दुनिया भर में भारत की बदनामी की थी , अदालत ने आगे लिखा-“वे विरोध और प्रदर्शन करते हैं , इसे एक मुद्दा बनाते हैं और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों के सामने उठाते हैं कि भारतीय नागरिक असहिष्णु हो गए हैं और " भारत " रहने के लिए असुरक्षित जगह बन गई है |" अदालत ने अपने फैसले में 11 सितम्बर 1983 को शिकागो की पहली धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि सभी धर्मों का लक्ष्य एक ही होता है | सभी धर्म अलग-अलग रास्तों की तरह होते हैं, लेकिन सभी एक ही महासागर में विलीन हो जाते हैं जो कि अंतिम सत्य या ईश्वर है | इसलिए, संप्रदायवाद, कट्टरता और कट्टरता को दूर करना होगा |” लेकिन स्पष्ट है यह वेब सीरिज इस भावना के उल्ट गलत इरादे से बनाई गई है |  

 

 

 

 

 

 


 

 

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