अजय सेतिया/ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाने का विचार नया नहीं है | लेकिन कांग्रेस और क्षेत्रीय दल इस से सहमत नहीं है | भाजपा को वाजपेयी के जमाने में भी यह लगता था कि एक साथ चुनाव से उन्हें राष्ट्र्व्यापी लाभ होगा , और मोदी के जमाने में भी यही लगता है | इस लिए वाजपेयी के जमाने की तरह इस बार भी एक साथ चुनाव करवाने की रणनीति पर कानूनी मत्थापच्ची हो रही है | वाजपेयी के जमाने में राजनीतिक दलों में आम सहमति के प्रयास किए गए थे, लेकिन मोदी के जमाने में संवैधानिक संस्थाओं के माध्यम से कानूनी पक्षों को मजबूत करने की तैयारी की जा रही है | कानूनी पक्षों की पूरी तैयारी के बाद राजनीतिक दलों के सामने खाका रखा जाएगा | जब तक कानूनी खाका तैयार नहीं होता, तब तक भाजपा शासित राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ करवाने की गुपचुप तैयारी की जा रही है |
चुनाव आयोग अप्रेल 2019 में लोकसभा के साथ दस या ग्यारह विधानसभाओं के चुनाव करवाने की तैयारी कर रहा है | इस संबंध में विधि और न्याय मंत्रालय की संसदीय समिति ने चुनाव आयोग के प्रतिनिधि को बुला कर बात भी है | हाल ही में विधि आयोग ने भी इस संबंध में चुनाव आयोग और सरकार को रिपोर्ट दी है, जिस में पहले चरण में 10 राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाने की सिफ़ारिश की गई है | हालांकि ये सभी चुनाव उन सभी तैयारियों के बिना होंगे , जिन के लिए संविधान में व्यापक संशोधन किए जाने हैं , ताकि बार बार के चुनाव टाले जा सकें | जिन में सब से अहम विधान सभा का कार्यकाल पाँच साल निर्धारित किया जाना जरूरी है | यानि सरकारों के अल्पमत में आने के बावजूद विधानसभाओं को भंग नहीं किया जाएगा | एक साथ चुनाव कैसे करवाए जा सकते हैं , इस का अध्ययन करने के लिए चुनाव आयोग का एक प्रतिनिधि मण्डल जून के आखिरी हफ्ते में मेक्सिको जा रहा है | मेक्सिको में पहली जुलाई से पाँच जुलाई के बीच वहाँ के राष्ट्रपति , संसद , विधानसभाओं और स्थानीय इकाईयों के चुनाव एक साथ हो रहे हैं | चुनाव आयोग का प्रतिनिधिमंडल एक सप्ताह तक मेक्सिको के चुनावों को देखेगा और वहाँ की संवैधानिक पेचीदगियों को समझ कर सरकार को रिपोर्ट पेश करेगा |
उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना विधानसभाओं के चुनाव तो वैसे भी लोकसभा चुनावों के साथ ही होने हैं | लेकिन मिजोरम, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छ्तीसगढ़ विधानसभाओं का कार्यकाल इस साल दिसंबर में समाप्त हो रहा है | इन में मिजोरम को छोड़ कर बाकी तीनों राज्य भाजपा शासित हैं | मिजोरम में ललथनहवला के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है | मिजोरम को ले कर क्या स्थिति बनेगी, अभी नहीं कह सकते, लेकिन नवंबर 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छ्तीसगढ़ विधानसभाओं को समय पूर्व भंग किए जाने की तैयारी है | क्योंकि तीनों राज्यों के मंत्रिमंडल विधानसभाएँ भंग करने की सिफ़ारिश करेंगे , इस लिए संसद से उस की पुष्टि किए जाने की कोई बाध्यता नहीं होगी , अगर बाध्यता हुई भी तो अब राज्यसभा में अडचन नहीं होगी, क्योंकि वहाँ भी कांग्रेस सांसदों की संख्या बहुत घट चुकी है | इन विधानसभाओं को चार-पाँच महीने तक भंग रखा जाएगा | इस संबंध में तीनों राज्यों से रिपोर्ट मँगवाई जा रही है | कानूनी पहलू की समीक्षा की जा रही है कि क्या विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद मौजूदा मुख्यमंत्रियों को अप्रेल तक कार्यकारी मुख्यमंत्री के तौर पर रखा जा सकता है |
अगर कानूनी अडचन के चलते राष्ट्रपति शासन लगाना भी पड़ा तो भाजपा को राष्ट्रपति शासन में ही तीनों राज्यों में चुनाव करवाने पर भी कोई ऐतराज नहीं है | भाजपा नेताओं का मानना है कि ऐसा कर के इन तीनों राज्यों में चल रहे सरकार विरोधी रुझान को थामा जा सकता है | भाजपा आलाकमान यह मान कर चल रहा है कि लोकसभा के साथ ही तीनों राज्यों का चुनाव होने से इन तीनों राज्यों को भी जीता जा सकता है, जबकि दिसंबर 2018 में चुनाव करवाने पर अगर भाजपा तीनों ही राज्यों में कर्नाटक की तरह सरकार न बना सकी तो लोकसभा चुनावों से पहले ही भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर जाएगा | हालांकि झाबुआ से लोकसभा के उपचुनाव हारने का सिलसिला कैराना तक जारी है | बीच में गुजरात में भाजपा हारते हारते बची है और कर्नाटक में जीतते जीतते हारी है | जिस से भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा ही हुआ है ,लेकिन मोदी लोकसभा चुनाव से पहले अब अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रहे हैं |
सितंबर 2019 में जिन तीन विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त हो रहा है , उन सभी तीनों राज्यों झारखंड , हरियाणा और महाराष्ट्र में भी भाजपा सरकारें हैं , इस लिए उन सभी विधानसभाओं को पाँच महीने पहले मार्च के पहले हफ्ते में भंग करने की सिफ़ारिश कर के लोकसभा के साथ ही चुनाव करवाने का रास्ता साफ किया जाएगा | जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल छ्ह साल होता है, जो कि सितंबर 2020 में समाप्त होगा , लेकिन वहाँ पीडीपी के साथ भाजपा की साझा सरकार है | इस लिए एक विचार यह भी होगा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा को भी भंग कर के साथ ही चुनाव करवा दिए जाएँ | अगर जम्मू कश्मीर का चुनाव साथ न भी हो, तो भी दस राज्यों का चुनाव तो लोकसभा के साथ हो ही सकता है | इन में मिजोरम को छोड़ कर बाकी नौ राज्यों एन भाजपा की सरकारें है और अगर लोकसभा चुनावों में मोदी का करिश्मा काम रहता है तो उस का लाभ भाजपा को उन नौ राज्यों में भी मिलेगा, जहां भाजपा के मुख्यमंत्री एंटी इमकेंबेसी यानि सत्ता विरोधी रुझान को महसूस कर रहे हैं
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