“घर वापसी” पर एतराज क्यों

Publsihed: 16.Dec.2021, 20:52

अजय सेतिया / हाल ही की दो बड़ी घटनाओं ने देश का ध्यान फिर से मुसलमानों और ईसाईयों की हिन्दू धर्म में घर वापसी की ओर आकर्षित किया है | कुरआन की 26 आयतों पर आपत्ति जता कर सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी को जब मुल्लाओं ने उन्हें इस्लाम से निकालने और उन के सिर पर इनाम रखने की घोषणा की तो उन्होंने बाकायदा हिन्दू धर्म अपनाते हुए इस्लाम को आतंक का धर्म घोषित किया | वह दुसरे सैयद हैं , जिन्होंने इस्लाम को छोड़ा है | इस से पहले जब श्री गुरुनानक देव मक्का गए थे तो एक सैयद उन का शिष्य बन गया था | कट्टरपंथी मुसलमानों ने उस की बोटी बोटी काट कर मार दिया था | भारत में किसी सेलिब्रिटी के इस्लाम छोड़ने की दूसरी घटना तब हुई , जब हेलीकाप्टर दुर्घटना में शहीद हुए भारत के पहले सीडीएस बिपिन रावत की मौत पर कुछ भारतीय मुसलमानों ने फेसबुक पर खुशी का इजहार किया | इस से क्षुब्द्ध हो कर मलयाली फिल्म निर्देशक अली अकबर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर इस्लाम छोड़ने की घोषणा की | इस घर वापसी से हिन्दुओं में उत्साह है और 2015 में बड़े विरोध के बाद रूक गए घर वापसी अभियान को फिर से शुरू किया जा रहा है |

15 दिसंबर को आरएसएस प्रमुख श्री मोहन भागवत ने चित्रकूट के एक कार्यक्रम में हजारों हिन्दुओं को घर वापसी अभियान में जुटने और छुआछूत समाप्त करने की शपथ दिलाई | भले ही आज़ाद भारत में मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के चलते सभी तथाकथित सेक्यूलर दल घर वापसी पर हाय तौबा मचाने लगते हैं , लेकिन जबरदस्ती या अन्य किसी कारण से धर्म परिवर्तन करने वालों की घर वापसी हिन्दू धर्म में नई बात नहीं है | विजय नगर साम्राज्य की की स्थापना  हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम ने 1336 ईस्वी में की थी | मोहम्म्द तुगलक ने कांपिली पर विजय के बाद इन दोनों भाइयों को बंदी बना कर जबर्दस्ती मुस्लिम धर्म मानने पर मजबूर कर दिया था , लेकिन बाद में दोनों ने हिन्दू धर्म अपना कर घर वापसी की थी | इसी तरह महात्मा गांधी के बेटे हरिहर मोहन लाल गांधी ने भी मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद हिन्दू धर्म में घर वापसी की थी | मराठा साम्राज्य के महान और कमांडर-इन-चीफ नेता जी पालकर ने घर वापसी की थी और बाद में मराठा राजा बने | मुगल शासन के बाद भी इसी तरह गाँवों के गाँव हिन्दू धर्म में वापस लौटे थे |

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014 के आखिरी महीनों में धर्मांतरण की ख़बरें मीडिया की सुर्ख़ियों में रहीं | चुनावी माहौल में लगातार साम्प्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाले कई बयान भी सामने आए | संघ परिवार और विहिप ने उत्तर प्रदेश में जिस ‘लव जिहाद’ के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की वो घर-वापसी (धर्म परिवर्तन) के बाद  ‘बहू लाओ-बेटी बचाओ’ आन्दोलन में भी परिवर्तित हुआ |  लेकिन सेक्यूलर मीडिया ने मुसलमानों के साथ हाथ मिला कर लव जिहाद के अस्तित्व को ही नकारने का काम तो किया ही , घर वापसी की घटनाओं पर भी बावेला खड़ा किया | दिसंबर 2014 में घर वापसी की दो बड़ी घटनाएं हुई थीं |  विश्व हिंदू परिषद ने गुजरात के वलसाड़ में करीब सौ ईसाईयों की हिंदू धर्म में घर वापसी करवाई थी | यह क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है , इस लिए कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई | 2014 के दिसंबर में ही आगरा में भी संघ परिवार से जुड़े हिन्दू जागरण मंच ने 57 मुसलमानों की घर वापसी करवा कर हिन्दू बनाया था | इस पर भी विपक्षी दलों ने संसद में और और सेक्यूलर मीडिया ने अखबारों , और न्यूज चेनलों पर बड़ा विवाद खड़ा किया था | लेकिन मुसलमानों और ईसाईयों में घर वापसी की घटनाएं जारी रहीं | इसके बाद अलीगढ़, वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर और अन्य शहरों मेंभी 'घर वापसी' के कार्यक्रम हुए जिन में सैंकड़ों मुस्लिमों ने घर वापसी की |

आगरा के  57 मुसलमानों को हिन्दू बनाने कि घटना को लेकर विपक्ष ने जब सदन में हंगामा किया तो, सरकार का पक्ष ज़ाहिर करते हुए तब के संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने लोक सभा में कहा था कि  "देश के सभी राज्यों में धर्म-परिवर्तन विरोधी क़ानून होना चाहिए | सरकार ऐसा क़ानून लाने के लिए तैयार है |" लेकिन घर वापसी और धर्मातरण पर संसद में हंगामा करने वाले विपक्षी दलों के रुख-रवैये से साफ़ था कि उसे तकलीफ सिर्फ घर वापसी से है, धर्मातरण से नहीं । यदि विपक्ष घर वापसी अर्थात अन्य मतावलंबियों के हिंदू धर्म अपनाने से क्षुब्ध है तो फिर उसे हिंदुओं के धर्मातरण से भी विचलित होना चाहिए | कोई नहीं जानता कि ऐसा क्यों नहीं होता ? क्या विपक्षी दल यह चाहते हैं कि धर्मातरण तो होता रहे, लेकिन घर वापसी न हो | यह संभव नहीं | जब वेंकैया नायडू ने सदन में सभी राज्यों में क़ानून की बात कही थी , तब सिर्फ पांच राज्यों-  ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य-प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में ही धर्म-परिवर्तन के ख़िलाफ़ क़ानून था , अब उस में उत्तर प्रदेश भी जुड़ चुका है , कर्नाटक में भी ज़बरदस्ती, धोखे से और लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने को जल्द ही अपराध घोषित किया जाने वाला है |

किसी दबाव या लालच में मुस्लिम या ईसाई बनने वाले अगर जाग रहे हैं और दुबारा हिन्दू बनना चाहते हैं , तो इस पर सेक्यूलर मीडिया या कांग्रेस को आपत्ति क्यों है | उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले में मुस्लिम समुदाय के एक ही परिवार के 19 लोगों ने इसी साल 9  अगस्त को  को मंदिर में पूजा-अर्चना और हवन करके हिन्दू धर्म को अपना लिया | इन लोगों का कहना है कि क़रीब 12 साल पहले इन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया था, लेकिन अब वे फिर से हिन्दू धर्म में वापसी कर रहे हैं | मुजफ्फर नगर में 18 वर्ष पहले 5 हिंदू परिवार ने अपना धर्म परिवर्तन किया था और वे मुस्लिम बन गए थे. जिन्हे 9 नवंबर को आर्य समाज मंदिर में हवन यज्ञ कर शुद्धिकरण कराया और हिंदू धर्म में वापसी दिलाई गई | सरसंघ चालक ने घर वापसी अभियान को तेज करने और हिन्दू लडकियों की सुरक्षा के लिए हिन्दू समाज को जागृत करने का अभियान शुरू किया है एक बार भी सेक्यूलर दलों और हिन्दू विरोधी वामपंथी मीडिया में सुगबुगाहट तेज हो गई है कि संघ भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहता है , लेकिन सवाल यह है कि अगर मुल्लाओं और पादरियों को हिन्दुओं को मुसलमान और ईसाई बनाने का अधिकार है , उस [पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होती तो मुसलमानों और ईसाईयों की सनातन हिन्दू धर्म में वापसी पर आपत्ति क्यों होती है | यह घर वापसी इस लिए है , क्यों भारत के मुसलमान और ईसाई कहीं बाहर से नहीं आए , उन के पूर्वज मुगल काल के अत्याचारों के कारण मुसलमान बन गए थे और इसी तरह ब्रिटिश राज में हिन्दू ईसाई बने थे | उन्हें घर वापसी का पूरा अधिकार है |

 

 

 

 

 

 

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