क्या प्रचार में कांग्रेस पिछड़ गई है

Publsihed: 18.Apr.2019, 07:48

नरेंद्र मोदी और अमित शाह दिन रात एक किए हुए हैं | दूसरी तरफ राहुल और प्रियंका का वैसा प्रचार दिखाई नहीं देता|

                           

इंडिया गेट से अजय सेतिया

 

आज दूसरे दौर का चुनाव निपट जाने के बाद एक तिहाई सीटों पर चुनाव हो चुका है , दो-तिहाई बाकी रह गई हैं | बालाकोट में एयर स्ट्राईक के बावजूद न तो नरेंद्र मोदी अपनी लहर बना पाए हैं , न राफेल और 72000 की सौगात के बावजूद राहुल गांधी कोई लहर पैदा कर सके हैं | चुनाव बिना किसी लहर के लडा जा रहा है , हाँ प्रचार की   दृष्टि से एक तरफ़ा ही लग रहा है , मोदी की हर रोज कहीं न कहीं रैली हो रही है, जिस का मीडिया पर राष्ट्रव्यापी प्रचार होता है | जबकि राहुल और प्रियंका पर मीडिया का फोकस नहीं है | इस बीच नेताओं की बदजुबानी पर ताला लगाने के लिए उठाए गए चुनाव आयोग के सख्त क़दमों ने टी.एन शेषन की याद ताज़ा की है | साम्प्रदायिक आधार पर ध्रुविकरण की कोशिश ने चुनाव आयोग को सख्ती के लिए मजबूर किया |

भले ही बालाकोट ने मोदी के पक्ष में 2014 जैसी लहर पैदा नहीं की , लेकिन शहरी मतदाताओं में वह यह छवि बनाने में कामयाब हुए हैं कि कश्मीर और पाकिस्तान मसलों पर वह कांग्रेस से बेहतर निपट सकते हैं | इस लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर उन के पक्ष में गाँवों में भी अंडर करंट हो, तो कुछ नहीं कहा जा सकता | राहुल गांधी की 6000 रूपए महीने की योजना का लक्ष्य अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक मतदाताओं को रिझाना था | पिछले लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जाति और जनजाति की आरक्षित 131 सीटों में से 78  एनडीए जीता था, इन में से 66 तो खुद भाजपा जीती थी, जबकि जबकि कांग्रेस सिर्फ 13 पर अटक गई थी | राहुल गांधी की 6000 रूपए वाली योजना का कांग्रेस को ग्रामीण सीटों पर फायदा हो सकता है | इस लिए भाजपा ने किसानों और कृषि मजदूरों को लुभाने वाली योजनाए दी हैं |

दोनों प्रमुख राजनीतिक दल सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय हैं , दोनों पार्टियों के डर्टी ट्रिक डिपार्टमेंट भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे | आरएसएस के सह सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी की तरफ से भाजपा महासचिव रामलाल को लिखी गई चिठ्ठी और मुरली मनोहा जोशी की लाल कृष्ण आडवानी को लिखी गई चिठ्ठी ने 24 घंटे तक सोशल मीडिया पर खूब धमाल मचाया , लेकिन संघ की ओर से जारी खंडन और जोशी की मुख्य चुनाव आयुक्त से की गई शिकायत ने डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट को ठंडा कर दिया | दूसरी तरफ राहुल गांधी की बेहिसाब सम्पत्ति और 9 लाख रूपए कीमत वाले फ़ार्म हाउस से छह लाख रूपए महीने किराए की आमदनी वाले आरोपों का कोई जवाब नहीं आया , तो मोदी ने खुद इस मुद्दे को उछाला | आरएसएस के प्रमुख स्वयसेवक गुरुमूर्ति का वह ट्विट खूब वायरल हुआ , जिस में पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे को बोस्टन एयर पोर्ट पर कैश और नशीली दवाईयों के साथ पकडे जाने की बात कही गई थी | पर जैसे ही बोस्टन के अखबार की कटिंग को चुनौती दी गई गुरुमूर्ति ने अपनी ट्विट वापस ले ली |

अगर सोशल मीडिया जीत हार का पैमाना हो , तो भाजपा बहुत आगे है , लेकिन फेक दस्तावेजों और चिठ्ठियों के कारण सोशल मीडिया ने भी अपनी साख खोई है | इस बार सोशल मीडिया के बूते जीत हार नहीं होनी , इसलिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह दिन रात एक किए हुए हैं | दूसरी तरफ राहुल और प्रियंका का वैसा प्रचार दिखाई नहीं देता | राहुल और प्रियंका अगर भाजपा से सीधी लड़ाई वाले दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर महाराष्ट्र , कोंकण , तटीय कर्नाटक पर फोकस कर के चुनाव प्रचार करें तो उसे ज्यादा फायदा होगा | लेकिन कांग्रेस के इन दोनों स्टार प्रचारकों का प्रचार “मिस मेनेजमेंट” का शिकार लगता है | मोदी और अमित शाह जहां एक तरफ उड़ीसा, बंगाल और पूर्वोतर में अपनी कम से कम 30 सीटें बढाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं , वहीं विधानसभा चुनावों में झटका देने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में भी स्थिति को सुधारने में कामयाब होते दिख रहे हैं | वहीं भाजपा की कोशिश है कि गुजरात को नाक का सवाल बना कर सभी 26 सीटें फिर जीती जाएं |

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