पणजी | रक्षा मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार शाम गोवा के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वह तीसरी बार राज्य के सीएम बने हैं। उनके साथ महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी के मनोहर अजगांवकर और निर्दलीय विधायक रोहन खउंटे सहित 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है।
पर्रिकर को 16 मार्च को सदन में अपना बहुमत साबित करना है। पर्रिकर ने नवंबर 2014 में गोवा के मुख्यमंत्री पद से उस वक्त इस्तीफा दे दिया था, जब पीएम मोदी ने उन्हें केंद्र में रक्षा मंत्री बनाने के लिए दिल्ली बुला लिया था।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर की मौजूदगी में शपथ लेने के बाद पर्रिकर ने कहा कि गोवा का जनादेश स्पष्ट नहीं है, लेकिन कोई विधायक कांग्रेस को समर्थन नहीं देना चाहता। उन्होंने कहा, 'मैं मानता हूं कि जनादेश स्पष्ट नहीं मिला, पर 22 विधायकों का साथ और वोट शेयर हमारे के लिए काफी है। यह चुनाव के बाद किया गया गठबंधन है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी को मिला समर्थन गोवा के विकास के लिए है। पर्रिकर ने कांग्रेस के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा, 'अगर आपके पास समर्थन था तो आप राज्यपाल के पास क्यों नहीं गए।' इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने पर्रिकर के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की मांग करने वाली कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कांग्रेस से ही कई सवाल पूछ लिए थे और बीजेपी से 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने को कहा था।
61 साल के पर्रिकर को गोवा में पार्टी को फिर से ताकतवर बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। 2012 से प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी का हाल में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन ज्यादा अच्छा नहीं रहा था, उसे 13 सीटें हासिल हुई। मुख्यमंत्री रहे लक्ष्मीकांत पार्सेकर भी चुनाव हार गए । हालांकि कुछ छोटे दलों और निर्दलीयों के समर्थन से बीजेपी वहां सरकार बना ली है। बीजेपी का कहना है कि निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों ने पर्रिकर को सीएम बनाए जाने की शर्त पर ही बीजेपी को समर्थन देने की बात कही थी।
पर्रिकर की संगठनात्मक और प्रशासनिक क्षमताओं को देखते हुए प्रधानमंत्री उन्हें रक्षा मंत्री का पद दिया था। रक्षा मंत्री के रूप में पर्रिकर के कार्यकाल के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच काफी तनाव रहा। पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले और सीजफायर के उल्लंघन की कई घटनाएं हुईं। उनके कार्यकाल को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भी याद किया जाएगा, साथ ही सेना द्वारा सीजफायर के उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भी।
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