चीन की मदद से सिन्धु पर बाँध बनवाएगा पाक

Publsihed: 14.Jun.2017, 13:21

इस्लामाबाद | पाकिस्तान को उम्मीद है कि जिस तरह चीन ने उसे भारत के खिलाफ हर मुद्दे पर समर्थन देना शुरू किया है, उसी श्रंखला में वह उसे विलंबित गिलगिट - बाल्टिस्तान क्षेत्र में सिंधु नदी पर विशाल बांध बनाने के लिए भी पैसा देगा | भारत इस बांध का विरोध कर रहा है क्योंकि यह क्षेत्र पाक अधिकृत कश्मीर में आता है | भारत की आपत्ति के कारण एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने बांध बनाने के लिए पाकिस्तान को 14 अरब डॉलर का कर्ज देने से इनकार कर दिया था |  

दो साल पहले विश्व बैंक ने भी पाकिस्तान की पनबिजली परियोजना के लिए पैसे देने से इनकार कर दिया था क्योंकि भारत इस परियोजना के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं दिया था | भारत ने विश्व बैंक से कहा कि पीओके की इस परियोजना को फंड नहीं देना चाहिए.पाकिस्तान कई वर्षों से सिंधु नदी पर बांध बनाने का काम जारी रखे हुए हैं | हालांकि फंड की कमी के कारण फिलहाल काम बंद है |

पाकिस्तान को उम्मीद है कि चीन की मदद से अगले वर्ष से बांध पर काम फिर से शुरू हो जाएगा | न्यूज एजेंसी रॉयटर को दिए एक साक्षात्कार में पाकिस्तान के योजना मंत्री अशान इकबाल ने यह दावा किया | इस बांध से पाकिस्तान 4500 मेगावॉट की बिजली का उत्पादन करना चाहता है. इकबाल ने बताया कि बीजिंग चीन की एक कंपनी को शॉर्टलिस्ट किया गया है जो 10 वर्ष की अवधि में एक स्थानीय पार्टनर के साथ बांध का निर्माण करेगी. जुलाई से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष निर्माण कार्य फिर से शुरू होगा |

भारत 57 अरब डॉलर से भी अधिक लागत से बन रहे  चीन—पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) से भी अपनी सम्प्रभुता की चिंताओं को जाहिर कर चुका है | यह गलियारा भी पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है | चीन अपनी इस महत्वाकांक्षी परियोजना 'वन बेल्ट वन रोड' को परवान चढ़ा रहा है और आर्थिक गलियारा बनाकर एशिया को यूरोप और अफ्रीका से जोड़ना चाहता है. हालांकि गिलगिट-बाल्टिस्तान के लोग इस गलियारे के निर्माण के विरोध में है |  

दियामेर-भाशा बांध पाकिस्तान सरकार के लिए गिलगित-बाल्टीस्तीन इलाके में प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है | इस बांध की योजना 2009-10 में बनाई गई थी | भारत की तत्कालीन यूपीए सरकार ने उसी समय पाकिस्तान की तत्कालीन आसिफ जरदारी सरकार से इस पर आपत्ति जताई थी. भारत की आपत्ति के बावजूद पाकिस्तान ने इस योजना को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया.जवाब में भारत ने फंड उपबल्ध कराने वाली विश्व बैंक और एशियन बैंक जैसी संस्थाओं में अपनी आपत्ति दर्ज कराई. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अक्टूबर 2014 में अमेरिका के साथ ये मुद्दा उठाते हुए कहा कि अमेरिकी संस्था यूएसएड को पीओके में इस परियोजना के लिए पैसा नहीं देना चाहिए. भारत पीओके में पाकिस्तान किसी भी परियोजना का विरोध करता रहा है क्योंकि पीओके भारत का हिस्सा है जिस पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है. मोदी सरकार इस मुद्दे को लेकर काफी मुखर रही है. 

 

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