कश्मीर में अब आपरेशन मोदी होगा

Publsihed: 21.Jun.2018, 22:51

अजय सेतिया / संघ नरेंद्र मोदी की कश्मीर निति से खफा था | महबूबा मुफ्ती खुलेआम पाक परस्तों को हवा दे रही थी ,जिस कारण आतंकवाद 1990 से भी ज्यादा भयावह हो गया है | पहले कश्मीर की अलग पहचान का आन्दोलन था, पर अब इस्लामिक आतंकवाद की समस्या पैदा हो चुकी है | आईएसआईएस के झंडे फहराए जाने लगे हैं और मुस्लिम किशोर आईएसआईएस का एक ऊंगली से सलाम वाला निशान  दिखा रहे हैं | ऊपर से महबूबा के कहने में आ कर नरेद्र मोदी ने रमजान में युद्धविराम करवा दिया | ईद से ठीक पहले 9 और 11 जून को राजनाथ सिंह के घर पर हुई संघ से जुड़े संगठनों की बैठक में कश्मीर के हालात की समीक्षा की गई | मीटिंग में सरसंघ कार्यवाह भैय्या जी जोशी और सहसर कार्यवाह कृष्ण गोपाल खुद मौजूद थे | मीटिंग का सन्देश साफ़ था –“युद्धविराम आगे नहीं बढे |” युद्धविराम से भाजपा के काडर और संघ का गुस्सा नाक तक आ गया था | संघ ने उसी की अभिव्यक्ति की | मोदी को साफ़ सन्देश दिया गया कि वह अपने मन की सुना करें | किसी महबूबा मुफ्ती के मन की न सुना करें | राजनाथ सिंह के घर पर हुई बैठक ने युद्धविराम खत्म करवाया तो सूरजकुंड में हुई तीन दिन की संघ अधिकारियों की बैठक ने महबूबा सरकार गिरवाई | 15,16,17 की सूरजकुंड बैठक में संघ ने अमित शाह को बुला कर काडर का फीडबैक समझाया था | मोदी के साथ हुई संघ-भाजपा बैठक में भी कश्मीर नीति पर सवाल उठाए गए | दो टूक बता दिया गया कि काडर और संघ की कश्मीर और रामजन्मभूमि पर क्या अपेक्षाएं हैं |

कश्मीर में संघ को आतंकवाद काबू पाने और कश्मीरी पंडितों के फिर से बसने की उम्मींद थी | चार साल एक भी कश्मीरी घाटी नहीं लौटा | महबूबा मुफ्ती ने हिन्दू बस्तियां बसाने की योजना ही ठुकरा दी थी | उलटे जम्मू में भी भाजपा-पीडीपी राज में ही रोहिंग्या मुस्लिम बसाए गए | संघ और भाजपा काडर तो 370 और 35 ए हटाने की उम्मींद लगाए बैठा था | पर जब पीआईएल के माध्यम से 35ए का केस सुप्रीमकोर्ट में आया | तो महबूबा मुफ्ती के दबाव में मोदी सरकार का रूख ही बदल गया | केंद्र सरकार ने 35ए के खिलाफ काऊँटर एफिडेविट ही दाखिल नहीं किया | अलबता वही स्टेंड ले लिया ,जो महबूबा सरकार का था | महबूबा सरकार का स्टेंड था कि 35ए की समीक्षा ही नहीं हो सकती | यह मामला अभी भी सुप्रीमकोर्ट में पेंडिंग है | अगले महीने सुनवाई हो सकती है | अपन बता दें 35ए से ही जम्मू कश्मीर विधानसभा को नागरिकता तय करने का अधिकार मिला | इसी अधिकार से शेख अब्दुल्ला ने तीन बड़ी बातें तय करवा दी थीं | एक तो यह कि बाहर से आए लोगों को जम्मू कश्मीर की नागरिकता नहीं मिलेगी | दूसरा यह कि बाहर के लोग प्रापर्टी नहीं खरीद सकते | न ही बाहर के लोगों को स्थाई नौकरी मिल सकती है | तीसरा यह कि कश्मीर की कोई लडकी किसी गैर कश्मीरी से शादी करेगी तो उसे प्रापर्टी का हक नहीं मिलेगा | इसी के कारण पाक के कब्जे वाले कश्मीर से आ कर बसे लोगों को आज तक विधानसभा में वोट का हक भी नहीं मिला | चलते चलते अपन 35ए की हेराफेरी भी बताते जाएं | संविधान लागू होने के चार साल बाद पिछले दरवाजे से संविधान में जोड़ दिया गया | संसद से मंजूरी तक नहीं ली गई | 1952 में नेहरु और शेख अब्दुला में कश्मीर पर एक समझौता हुआ | इस समझाते में कश्मीर में नागरिकता को स्टेट सब्जेक्ट मान लिया गया | नेहरु ने चुपके से अपने मंत्रिमंडल से पास करवा कर राष्ट्रपति को भेज दिया | राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रशाद ने अपने आदेश से इसे संविधान की धारा 35ए के रूप में जोड़ दिया | यह संविधान में बड़ा संशोधन था | जो दोनों सदनों में दो तिहाई से पास होना चाहिए था | पर संसद को तो बताया ही नहीं गया | अब इसी पर सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हो रही है | देखते हैं कि अब मोदी सरकार का रुख क्या होगा | मोदी सरकार ने संघ और काडर की भावनाएं समझी तो सुप्रीमकोर्ट का फैसला अहम हो जाएगा | लोकसभा चुनावो से पहले 35ए खत्म हो सकती है | फिर 370 की कोई अहमियत ही नहीं होगी | चलते चलते 370 का भी बताते जाएं | बाबा साहेब आम्बेडकर के विरोध के बावजूद नेहरू ने इसे संविधान में जुड़वाया | नेहरु की मौत के बाद 1966 में प्रकाश वीर शास्त्री इसे खत्म करने के लिए बिल लेकर आए | बिल का डा. लोहिया समेत सब ने समर्थन किया | क्योंकि यह प्राईवेट मेंबर बिल था ,सो इस सहमति से वापिस हुआ कि सरकार बिल लाएगी | फिर इंदिरा युग आ गया ,तो सेक्यूलरिज्म ने मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम बना दिया | भाजपा के कोर मुद्दों में 370 की समाप्ति भी शामिल है | और संघ ने मोदी को कोर मुद्दे और काडर की भावनाएं याद करवाई हैं |

खरी खरी बातें होने के बाद महबूबा सरकार गिराने के सिवा कोई चारा ही नहीं बचा था | रमजान में सैनिक औरंगजेब और सम्पादक शुजात बुखारी की हत्याओं ने हालात और बिगाड़ दिए थे, ये दोनों ही क्योंकि मुसलमान थे , इस लिए इसे मुद्दा बना कर सरकार गिराना भाजपा को सब से ज्यादा मुफीद लगा | राम माधव ने समर्थन वापसी का एलान करते हुए इन दोनों हत्याओं का जिक्र किया | उनने कहा कि मानवाधिकार सुरक्षित रहे नहीं और अभिव्यक्ति की आज़ादी को ख़तरा पैदा हो गया है | महबूबा सरकार गिर चुकी है राज्यपाल शासन लग चुका है | सेना को आतंकवादियों के सफाए के आदेश दिए जा चुके हैं | सेनिक बलों ने 200 आतंकवादियों के खात्मे और और हुर्रियत के सभी नेताओं को नजरबंद या गिरफ्तार करने की शुरुआत कर दी है | ब्लैक कैट कमांडों कश्मीर पहुंच चुके हैं , आने वाले दिनों में आतंकवादियों का खात्मा बड़ी तेजी होगा | इसी रणनीति के तहत सरकार गिराई गई है | मोदी ने वह जो कहा था ना यह मोदी है, उन्हीं की भाषा में जवाब देना जानता है | कश्मीर में अब वही मोदी देखने को मिलेगा जिस का एलान वह चुनावों में किया करते थे |

 

आपकी प्रतिक्रिया