अब राष्ट्रपति होगा भाजपा की मर्जी का

Publsihed: 11.Mar.2017, 11:52

नई दिल्ली। देश के पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से मोदी सरकार की कई मजबूरियाँ ख़त्म हो जाएँगी | पांच राज्यों में भाजपा की जीत का इसी साल जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भी फायदा होगा। मसलन राष्ट्रपति का चुनाव 4 हजार 896 जनप्रतिनिधि मिलकर करते हैं। इनमें से 776 सांसद लोकसभा और राज्यसभा से होते हैं। जबकि देश के अलग-अलग राज्यों के 4 हजार 120 विधायक भी राष्ट्रपति चुनावों में वोटिंग करते हैं।

इन विधायकों के वोटों का मूल्य राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है। इसलिए भाजपा के जितने विधायक इन चुनावों में जीत दर्ज करेंगे उतना ही फायदा भाजपा को होगा। उत्तर प्रदेश के विधायकों की राष्ट्रपति चुनाव में सबसे बड़ी भूमिका होगी।

नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष की एकता से लगा था कि मोदी को बड़ी चुनैती मिलना शुरू हो गया है, लेकिन उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के चुनाव नतीजों और गोवा और मणिपुर में भाजपा की अच्छी परफोर्मेंस ने सारी आशंकाएं दूर कर दी हैं |  इसका सब से बड़ा नतीजा यह होगा कि संसद के उच्च सदन राज्यसभा में समीकरण बदल जाएंगे। यहां भाजपा को लोकसभा की तरह किसी भी बिल को पास कराने के लिए दूसरों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा।

राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी की ताकत सबसे भारी हो जाएगी। केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा को राज्यसभा में भी महत्वपूर्ण बिल पास कराने के लिए ज्यादा विरोध नहीं झेलना पड़ेगा। खासकर यूपी में भाजपा को बड़े अंतर से जीत मिलने के कारण राज्यसभा में भाजपा के सांसदों की संख्या बढ़ना तय है।

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