भाजपा आरोप लगाती रही है कि चुनाव आयुक्त नवीन चावला हर खबर सोनिया गांधी को लीक करते हैं। लेकिन चुनाव आयोग की ओर से अचानक हिमाचल प्रदेश के चुनाव समय से दो महीने पहले कर दिए जाने की कांग्रेस को भनक तक नहीं लगी। अगर जरा सा भी संकेत मिलता तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपना अमेरिका दौरा रद्द करके आचार संहिता लागू होने से पहले-पहले कुछ चुनावी घोषणाएं कर देते। जब चुनाव की घोषणा हुई तो वीरभद्र सिंह अमेरिका में थे। हड़बड़ाए सारे कांग्रेसी मंत्री दिल्ली पहुंच गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। राज्य में हालात पहले से बीजेपी के पक्ष में हैं और ऊपर से दो महीने पहले चुनाव। असल में पहले चुनाव का बीज खुद मुख्यमंत्री वीरभद्र ने बोया। पूरे राज्य में एक साथ चुनाव करवाने की याचिका खुद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में डलवाई थी। हिमाचल की भरमौर, किन्नौर और लाहौल-स्पीति सीटों पर कभी भी आम चुनावों के साथ चुनाव नहीं हुए। क्योंकि इन तीनों ही सीटों के रास्ते नवंबर मध्य में बंद हो जाते हैं और मई में जाकर खुलते हैं। वीरभद्र को उम्मीद थी कि कोर्ट मई में चुनाव कराने की इजाजत देगी जिससे सरकार को दो महीने ज्यादा मिल जाएंगे। लेकिन कोर्ट ने फैसला आयोग पर छोड़ दिया और आयोग ने रास्ते बंद होने से पहले चुनाव करवाने का फैसला ले लिया।
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