इंडिया गेट से अजय सेतिया /मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को जमानत नहीं मिल रही, पर केजरीवाल का बाल भी बांका नहीं हो रहा| मैं और मेरे जैसे दर्जनों पत्रकारों की भविष्यवानियाँ गलत साबित हो रही हैं , कि केजरीवाल की गिरफ्तारी जल्द होगी| अब तो लोग कहने लगे हैं कि केजरीवाल ने सिसोदिया और संजय सिंह को फंसा कर खुद को बचा लिया है| सिसोदिया को तो सुप्रीमकोर्ट ने लंबा नाप दिया है| सुप्रीमकोर्ट ने 30 अक्टूबर को सिसोदिया को कहा था कि अगर छह आठ महीने में ट्रायल खत्म न हुआ तो हम आपकी जमानत याचिका पर विचार करेंगे| कोर्ट ने एक बात और कही थी कि अगले तीन महीनों में ट्रायल की स्पीड धीमी दिखाई दी, तो कोर्ट जमानत याचिका पर विचार करेगी| अब तीन महीने बाद जमानत का रास्ता खोलने के लिए खुद सिसोदिया के वकील ट्रायल में देरी करने लगे| चालाकी देखिए कि पहले तो दस नवंबर तक आरोपों की साफ्ट कापी माँगी गई, जब वह कापी मिल गई तो सिसोदिया के वकील ने 21 नवंबर की पेशी के समय हार्ड कापी की मांग रख दी| बड़ी अजीब बात है, जो लाखों रूपए की पेशी वाला वकील रखता है, वह सॉफ्ट कापी को डाउनलोड नहीं कर सकता| जज समझ गया की कहानी क्या है| जज ने कहा की क्या आप जानबूझ कर ट्रायल में डेरी करना चाहते हैं| अब सिसोदिया के वकील को लगा कि उसकी चोरी पकड़ी गई है, तो उसने उलटे ईडी पर आरोप लगा दिया कि वह देरी करना चाहती है| अब देखो कोर्ट के उस आदेश को डेढ़ महीना बीत गया, ट्रायल अभी शुरू नहीं हुआ है| इस का मतलब है कि 30 जनवरी को अगला डेढ़ महीना भी निकल जाता, और सुप्रीमकोर्ट अपने आदेश के मुताबिक़ जमानत याचिका पर विचार करती, और शायद जमानत मिल जाती| लेकिन अभिषेक मनु सिंघवी जमानत पर पुनर्विचार याचिका ले गए| जमानत के लिए पुनर्विचार याचिका का यह खेल पहले कभी नहीं सुना था| अब अगर सुप्रीमकोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाए, तो फिर क्या रास्ता बचता है| कोई रास्ता नहीं बचता| और पुनर्विचार याचिका वही बेंच सुनता है जिसने आप की पहली याचिका को खारिज किया है| इसलिए जमानत जैसे मामलों में कोई पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करता| कोई भी समझदार वकील पुनर्विचार याचिका की सलाह नहीं देता| लेकिन अभिषेक मनु सिंघवी जैसे समझदार वकील ने सिसोदिया की जमानत की पुनर्विचार दाखिल कर दी| और वही हुआ, सुप्रीमकोर्ट ने सिसोदिया की जमानत की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी है| अब आप सोचिए अभिषेक मनु सिंघवी जैसे समझदार वकील ने पुनर्विचार याचिका क्यों दाखिल की होगी| सिसोदिया को लोकसभा चुनावों तक लंबा निपटाने की साजिश किस की होगी| अरविन्द केजरीवाल की या सोनिया गांधी की| सोनिया गांधी का नाम मैं, इसलिए ले रहा हूँ, क्योंकि तीन राज्यों में हार के बाद सोनिया गांधी अचानक फिर से एक्टिव हो गई हैं| वह उस समय महुआ मोईत्रा के साथ खडी थी, जब बर्खास्तगी के बाद वह मीडिया से बात कर रहीं थी| वह संसद की सुरक्षा के सेंध के बाद निलंबित किए गए 15 सांसदों के साथ धरने पर भी मौजूद थीं| राहुल प्रियंका के फेल हो जाने के बाद सोनिया खुद लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाने लगी हैं| अभिषेक मनु सिंघवी ने या तो केजरीवाल की सलाह पर पुनर्विचार याचिका डाली होगी, या फिर सोनिया या राहुल गांधी की सलाह पर| लोग कह रहे हैं कि यह काम केजरीवाल का है| लेकिन यह काम केजरीवाल का नहीं है, तो यह काम जरुर गांधी परिवार का है| अभिषेक मनु सिंघवी दिल्ली सरकार और केजरीवाल के वकील जरुर हैं, लेकिन कांग्रेसी होने के कारण ताबेदार गांधी परिवार के हैं| एक हैरानी और होती है कि जो अभिषेक मनु सिंघवी एक मिनट में राहुल गांधी की जमानत करवा लाते है| जो कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेडा के पुलिस स्टेशन पहुंचने से पहले ही सुप्रीमकोर्ट से जमानत का आदेश करवा लाते हैं| वह शराब घोटाले में सिसोदिया और संजय सिंह को जमानत नहीं करवा पा रहे| संजय सिंह के साथ भी यही हुआ, उसकी जमानत याचिका तो अभिषेक मनु सिंघवी सीधे ही सुप्रीमकोर्ट ले गए, तो सुप्रीमकोर्ट ने सुनाने से ही इनकार कर दिया था| यह खेल क्या है| इस खेल के पीछे केजरीवाल हैं, या गांधी परिवार| सिसोदिया और संजय सिंह के साथ खेल कौन रहा है| अगर तो गांधी खेल रहे हैं, तो फिर मान कर चलिए कि संसद सत्र खत्म होते ही केजरीवाल को ईडी का नोटिस फिर जाएगा| अब कौन से चुनाव प्रचार का बहाना लगाएंगे|
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