अजय सेतिया / योगी सरकार से इस्तीफों का दौर तीसरे दिन भी जारी रहा | तीसरे दिन तीसरे मंत्री धर्म सिंह सैनी ने इस्तीफा दिया | स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान पहले इस्तीफा दे चुके थे | इन के साथ सात विधायक भी भाजपा छोड़ चुके हैं | इन सभी इस्तीफों की ख़ास बात यह है कि सभी ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं | तीनों मंत्रियों और विधायकों के इस्तीफों की एक बात सामान्य है कि सभी के इस्तीफों की भाषा एक ही है | तीसरी बात यह सामान्य है कि तीनों मंत्रियों ने इस्तीफे के बाद अखिलेश यादव के साथ खड़े हुए एक जैसी फोटो खिंचवाई है | इस से साफ़ दिखाई देता है कि ये सभी तस्वीरें कुछ दिन पहले तीनों ने इक्कठे जा कर एक एक कर खिंचवाई थी | इस बात का सबूत यह है कि तीनों मंत्रियों के इस्तीफों के तुरंत बाद और अखिलेश यादव के साथ मुलाकातों से पहले ही तस्वीरें जारी कर दी गईं | योगी सरकार का सूचना तन्त्र इतना कमजोर था कि उसे इन मुलाकातों की भनक तक नहीं लगी | जबकि मुम्बई में बैठे शरद पवार तक को पता था कि लखनऊ में क्या खिचडी पक रही है | उन्होंने दो दिन पहले ही कह दिया था कि तीस विधायक इस्तीफा देंगे | अगर वह सही हैं तो इस्तीफों का यह सिलसिला अभी कुछ और दिन चलेगा |
इस से पहले समय समय पर खबर आती थी कि योगी सरकार से ब्राह्मण बहुत नाराज हैं | लेकिन ब्राह्मणों की बजाए अब दिख रहा है कि पिछले चुनाव में जीत का मुख्य कारण बनने वाले ओबीसी समुदाय में गुस्सा ज्यादा है | नरेंद्र मोदी खुद ओबीसी समुदाय से आते हैं , अगर योगी सरकार में पिछड़ों के साथ कोई भेदभाव हो रहा था , तो केन्द्रीय एजेंसियों के माध्यम से उन्हें जानकारी मिलनी चाहिए थी | या तो केन्द्रीय एजेंसियों ने यह जानकारी उन तक पहुंचाई नहीं या फिर उन्होंने अनदेखी की | अपन को 2016 की एक घटना याद आती है | नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास पर पार्टी के सभी मोर्चों के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी | इस बैठक में पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्ष ने अपने समुदाय की समस्याओं और नाराजगी का उल्लेख किया तो नरेंद्र मोदी ने उन्हें यह कहते हुए चुप करवा दिया था कि वह खुद इसी समुदाय से आते हैं , और खुद चिंता करेंगे | बाद में अमित शाह ने दारा सिंह चौहान को बसपा से ला कर पिछड़ा वर्ग मोर्चे का अध्यक्ष बना दिया था | यह शायद पहला मौक़ा था जब बाहर से आए किसी नेता को इतनी बड़ी संगठनात्मक जिम्मेदारी दी गई थी | अब वही दारा सिंह पांच साल तक मंत्री रहने के बाद यह कहते हुए भाजपा से निकल गए हैं कि भाजपा दलित , पिछड़ों की विरोधी है |
भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे को ही आगे कर के चुनाव की रणनीति बना रही है | इसी लिए योगी आदित्य नाथ ने 80 प्रतिशत बनाम 20 प्रतिशत का जुमला उछाला है | पश्चिम उतर प्रदेश में पिछली बार मुजफ्फरनगर दंगों का असर था , जहां हिन्दुओं ने एकमुश्त भाजपा को वोट दिया था | जबकि अब टिकैत के आन्दोलन से हिन्दू मुस्लिम एकता की बात कही जा रही है | हालांकि टिकैत के बावजूद जाटों के लिए मुख्य मुद्दा बहु बेटियों की सुरक्षा का है | इस लिए टिकैत को भी पता है कि जाट हिन्दू हितों की रक्षा के लिए भाजपा के साथ जाएंगे | भाजपा की इस हिन्दू रणनीति को विफल करने के लिए शिव सेना मैदान में उतर आई है | संजय राउत ने गुरूवार को टिकैत के घर जा कर उनके साथ पश्चिम उतर प्रदेश में भाजपा को हराने की रणनीति बनाई | बाद में संजय राउत ने एलान किया कि शिव सेना 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी | पश्चिम उतर प्रदेश में 58 सीटें हैं , जिनमें से पिछली बार भाजपा को 53 सीटें मिलीं थी | इन सभी सीटों पर पहले दौर में ही चुनाव है , पिछली बार भाजपा की जीत का श्रीगणेश यहीं से हुआ था | भाजपा पिछली बार जाटों के अलावा दलितों और पिछड़ों को भी अपने साथ जोड़ कर जातिवादी राजनीति पर विजय पाने में कामयाब हुई थी | लेकिन अब पिछड़े वर्ग के दस विधायकों के इस्तीफे से हिंदुत्व के एजंडे को नुक्सान हो सकता है , इसलिए केशव प्रसाद मौर्य को आगे किया जा रहा है | जिन्होंने पहले , दुसरे और तीसरे दौर के चुनाव की 172 सीटों पर उम्मीन्द्र्वारों की चर्चा के लिए हुई बठक के बाद पिछली बार से ज्यादा सीटों के साथ बहुमत का दावा किया | बैठक में प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद थे |
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