बलात्कार की खबरों के कटघरे में मीडिया

Publsihed: 01.Oct.2020, 20:56

अजय सेतिया / हाथरस में दलित युवती मनीषा से कथित बलात्कार की घटना से उत्पन आक्रोश अब राजनीतिक रूप ले चुका है | इसी राजनीति के बीच उतरप्रदेश के ही बलरामपुर में ही एक और दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या की खबर आई है , बलात्कारी शाहिद पुत्र हबीबुल्ला और साहिल पुत्र हमीदुल्ला गिरफ्तार किए गए हैं | उत्तर प्रदेश के ही आजमगढ़ से और भी वीभत्स खबर आई है , जहां 8 साल की बच्ची के साथ दानिश नाम के युवक ने बलात्कार किया, उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया है | उतर प्रदेश के ही बुलन्दशहर से भी बलात्कार की खबर आई है , आरोपी रिजवान को पकड़ा गया है | उतरप्रदेश की चारों घटनाएं शर्मसार करने वाली हैं , लगता है कि किसी को क़ानून का डर नहीं | मुख्यमंत्री बनते ही मजनुओं पर डंडे चलवाने वाले योगी आदित्य नाथ की धमक ढीली पड गई लगती है |

 

इन चारों घटनाओं में से मीडिया में सिर्फ हाथरस की चर्चा है , इस के चारों आरोपी ऊंची जाति के हिन्दू हैं , और वे मुख्यमंत्री की जाति के हैं | कम से कम मीडिया को बलात्कारी की जाति धर्म देख कर रिपोर्टिंग नहीं करनी चाहिए | न ही कांग्रेस भाजपा देख कर रिपोर्टिंग करनी चाहिए | मौक़ा ताड़ राहुल गांधी और प्रियंका ने हाथरस कूच कर दिया क्योंकि हाथरस की घटना ने दिल्ली की 16 दिसम्बर 2012 की घटना की याद दिला दी है | मीडिया ने इस घटना को भी निर्भय जैसी वीभत्स घटना बताया है | जिस में पहले तीन युवकों ने बलात्कार किया, फिर उस की जीभ काटी , फिर उस की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी | इस वीभत्स जानकारी से हर संवेदनशील व्यक्ति सिहर उठेगा, तो राहुल गांधी , प्रियंका की सिहरना स्वाभाविक था | राहुल गांधी को हाथरस नहीं जाने दिया गया , उन्हें ग्रेटर नोयडा में रोक लिया गया , उन से धक्का मुक्की हुई , वह गिर गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया | एनडीटीवी का काफिला उन के साथ था इस लिए अपन को वहां से पूरी खबर मिली |

 

इस बीच इस खबर ने योगी की और भद्द पिटवाई कि पुलिस ने आधी रात को मनीषा की लाश को उस के गाँव में बिना परिजनों की मौजूदगी के जला दिया | इन खबरों के बाद योगी ने खुद उसी दिन मनीषा के पिता से वीडियो कांफ्रेंस से बात कर के कुछ वायदे किए , जो किसी का आबरू और जान की कीमत नहीं हो सकती | अब राहुल और प्रियंका की बात | 2012 में निर्भय काण्ड राष्ट्रीय शर्म का मुद्दा बना था, क्योंकि सारे राजनीतिक दलों में आक्रोश था , किसी ने राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया था | लेकिन राहुल गांधी ने मीडिया आधारित रिपोर्टों के आधार पर मनीषा के केस पर राजनीति शुरू कर दी |

 

मीडिया की सारी खबरें अब संदेह के घेरे में हैं | फोरेंसिक रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है | मनीषा की न तो रीढ़ की हड्डी टूटी थी , न जीभ काटी गई थी | मनीषा की गर्दन के पीछे की हड्डी टूटी थी , क्योंकि उस की गर्दन पर पैर रख कर दबाया गया था, किस ने दबाया था | यह बात खुद मनीषा ने बताई थी , जिस का वीडियो जारी हो चुका है | जीभ सिर्फ दांतों में फंस कर कटी थी , जैसे खाना खाते हुए कट जाती है | अंतिम संस्कार भी पिता और दादा ने खुद अपने हाथों से किया था , जिस का वीडियो वायरल हो चुका है | अब सवाल पैदा होता है कि मीडिया की खबरें सही हैं या वीडियो और फोरेंसिक रिपोर्ट सही हैं | जांच के बाद अगर वीडियो और फोरेंसिक रिपोर्ट सही पाए जाते हैं , तो क्यों नहीं उन मीडियाकर्मियों को अफवाहें और वैमनस्य फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया जाना चाहिए | आखिर महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने तो रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अनुज को सिर्फ इस लिए गिरफ्तार कर लिया था कि उस ने मुख्यमंत्री के फ़ार्म हाउस में घुसने की कोशिश की थी |

 

हाथरस की अपुष्ट खबरें छापने और दिखाने वाले इस बात के लिए परेशान है कि सोशल मीडिया में उन्हें राजस्थान की घटनाएं क्यों बताई जा रही हैं | क्योंकि कांग्रेस शाषित राजस्थान में भी बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं और गहलोत सरकार उन्हें दबाने की कोशिश कर रही है , तो इस का मतलब यह नहीं है कि हाथरस की घटना पर बात न की जाए | उन की यह बात बिलकुल जायज है, न तो बुलन्दशहर, बागपत और आजमगढ़ की घटनाओं का जिक्र करने की जरूरत है ,क्योंकि इन तीनों जगहों पर बलात्कारी मुस्लिम हैं और न ही बारां और अजमेर की बलात्कार की घटनाओं का जिक्र करने की जरूरत है क्योंकि वहां भी सभी आरोपी मुस्लिम हैं | बारां में तो दोनों बहनों के 161 में बयान होने के बाद मुख्यमंत्री ने बयान दे कर कह दिया कि बलात्कार हुआ ही नहीं , इस पर पुलिस ने दोनों आरोपियों को छोड़ दिया और दोनों बहनों को धमकी दी कि अगर उन्होंने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान न बदले तो उन के माता पिता को मार दिया जाएगा | राहुल और प्रियंका को बारां और अजमेर की घटनाएं गम्भीर नहीं लगी होंगीं या वहां कांग्रेस की सरकार है इस लिए उन्होंने राजस्थान कूच नहीं किया | लेकिन मीडिया को क्यों कोई घटना ज्यादा गम्भीर लगती है और कोई घटना कम गम्भीर लगती है |

 

 

 

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