चिकनी-चुपड़ी बातों में नहीं आए मोदी

Publsihed: 29.Sep.2020, 19:40

अजय सेतिया / चीन की तरफ से भारत के लिए कोरोनावायरस से भी बड़ा खतरा मुहं बाएँ खड़ा है | दुनिया के सब से जियोपोलिटिकल इंटेलिजेंस प्लेटफार्म  ट्रेट्फार ने खुलासा किया है कि चीन ने पिछले तीन सालों में भारतीय सीमा के पास एयरबेस, एयर डिफेंस पोजिशन और हेलीपोर्ट्स की संख्या में दोगुने से ज्यादा की बढ़ोतरी कर ली है | इसे देखकर ऐसा लगता है कि 25 से 29 अक्टूबर को होने वाले चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के वार्षिक सम्मेलन के बाद चीन भारतीय सीमा पर बड़ी सैन्य कार्रवाई कर सकता है |

ट्रेट्फार के वरिष्ठ ग्लोबल एनालिस्ट सिम टैक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि "सीमा पर चीनी सैन्य सुविधाओं के निर्माण की टाइमिंग यह बताती है कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में चल रहा गतिरोध बॉर्डर पर तनाव बढ़ाने के लिए किए जा रहे चीन के प्रयासों का हिस्सा है ताकि वह सीमावर्ती क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित कर सके |" अब यह खबर आ रही है कि चीन लद्दाख को लेकर 1959 की तथाकथित एलएसी के आधार पर बात करना चाहता है , जबकि भारत ने कभी भी चीन की तरफ से 1959 में एकतरफ़ा तय की गई एलएसी को नहीं माना था |  

1993 के बाद ऐसे कई समझौते हुए जिसका मक़सद अंतिम समझौते तक सीमा पर शांति और  यथास्थिति बनाए रखना था | यह बातचीत वाजपेयी सरकार तक लगातार चल रही थी , लेकिन 2004 में भारत में कांग्रेस की सरकार आने के बाद दोनों तरफ से सीमा निर्धारण पर बातचीत बंद हो गई, लिहाज़ा एलएसी निर्धारण की प्रक्रिया रुक गई | इस बीच चीन सरकार के साथ कांग्रेस का कोई पार्टी स्तरीय समझौता भी हुआ है | अब चीन का कहना कि एक ही एलएसी है, जो 1959 में तैयार हुई थी , विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि चीन का यह स्टेंड पिछली सहमतियों का उल्लंघन है | अगर अपन ट्रेट्फार की रिपोर्ट को देखते हैं तो स्पष्ट है कि चीन डोकलाम के बाद से एलएसी की अलायमेंट बदलने की तैयारी कर रहा है |

हालांकि दस सितंबर को विदेश मंत्रियों की बैठक में भी चीन ने अब तक के समझौतों को मानने का भरोसा दिया था | इस बातचीत में यह सहमती भी हुई थी कि दोनों तरफ फौजें नहीं बढाई जाएँगी | चीन की तरफ से यह बात इस लिए कही गई थी क्योंकि वह तो तीन साल से अपनी तैयारी कर रहा था , जबकि भारत की तरफ से कोई तैयारी नहीं थी | इस लिए भारत ने सितम्बर महीने में अपनी पूरी सैन्य तैयारी कर ली है | चीन की ओर से आश्वासन के बावजूद उस की कम्यूनिस्ट सेना का कोई भरोसा नहीं की वह अपनी पार्टी के सालाना सम्मेलन के बाद सर्दियों में ही कोई बड़ी शरारत कर सकती है |

इसलिए भारत ने लद्दाख में अब तक का सबसे बड़ा साजो-सामान (लॉजिस्टिक) अभियान चला कर पूर्वी लद्दाख में तीन अतिरिक्त सेना डिविजन की तैनाती कर ली है, जो अगले चार महीने यानी अक्टूबर से फरवरी तक वहां बनी रहेंगी | बड़ी तादाद में टी -90 और टी -72 टैंक, तोपों, अन्य सैन्य वाहनों को सभी संवेदनशील इलाकों में पहुंचा दिया गया है | भारतीय वायु सेना ने भी एलएसी से लगे क्षेत्रों में हाई अलर्ट पर रहने का फैसला किया है | वहां अक्टूबर से जनवरी के बीच तापमान शून्य से नीचे पांच डिग्री सेल्सियस से शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे के बीच रहता है | इतनी भीषण सर्दी में सेना के बचाव के लिए भारत ने यूरोप के कुछ देशों से सर्दियों के कपड़े आदि आयात किए हैं | क्षेत्र में हजारों टन भोजन, ईंधन और अन्य उपकरणों के परिवहन के लिए सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस और सी-17 ग्लोबमास्टर सहित भारतीय वायु सेना के लगभग सभी परिवहन विमानों और हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया गया है | यानी दस अक्तूतबर को हुई विदेश मंत्री स्तर की बातचीत में चीन की चिकनी चुपड़ी बातों के बावजूद मोदी सरकार नेहरु की तरह मुहं ढक कर सोने को तैयार नहीं | चीन की कम्यूनिस्ट सेना को मुहं तोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी है |

 

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