कंगना के हाथ में भगवा ,शिवसेना के हाथ में काले झंडे

Publsihed: 09.Sep.2020, 21:05

अजय सेतिया / सुशांत सिंह राजपूत की हत्या या आत्महत्या के मामले में मुम्बई पुलिस की जांच पहले दिन से संदेह के घेरे में थी , मीडिया उस पर सवाल उठा रहा था | नसीरुद्दीन शाह और आमिर खान जैसे जिन फ़िल्मी कलाकारों का कुछ दिन पहले तक दम घुटता था , उन की चुप्पी रहस्यपूर्ण थी | न वे जांच पर संदेह कर रहे थे , न बिना जांच आत्महत्या कहे जाने पर सवाल उठा रहे थे | आखिर क्या कारण था कि किसी बड़े फ़िल्मी कलाकार ने सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या पर निष्पक्ष जांच की आवाज नहीं उठाई , ऐसे वातावरण में किसी का दम क्यों नहीं घुटा , जिस में जीवन तक सुरक्षित नहीं रहा था | क्या भारत के मन में यह सवाल नहीं उठता होगा कि वे सब चुप क्यों थे , आज भी चुप हैं |

आखिर सवाल खड़ा होता है कि जब चारों तरफ से सीबीआई जांच की मांग उठ रही थी , तो शिव सेना ने मुम्बई पुलिस के बचाव में बयानबाजी क्यों की | पुलिस खुद जवाब देती , शिवसेना क्यों पुलिस के बचाव पर उतरी | इसे मराठी –गैर मराठी का सवाल क्यों बनाया गया | न तो रिया चक्रवर्ती मराठी है , न सुशांत सिंह राजपूत मराठी थे , फिर शिव सेना ने महाराष्ट्र पुलिस को निष्पक्ष जांच क्यों नहीं करने दी | शायद मामला तब तक राजनीतिक चर्चा का नहीं था , जब तक कंगना रनौत ने हत्या की आशंका जाहिर करते हुए ड्रग माफिया का एंगल नहीं जोड़ा | जैसे ही ड्रग माफिया का जिक्र आया और सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मेनेजर दिशा सालियान की तथाकथित आत्महत्या के तार उन की आत्महत्या से जोड़ कर दोनों की हत्या की आशंका प्रकट की गई , शिव सेना मैदान में उतर आई |

संजय राउत ने इसे मराठी अस्मिता का सवाल बना कर कंगना रनौत को मुम्बई में घुसने नहीं देने की चेतावनी दे डाली | न तो कंगना ने मराठी अस्मिता की शान में गुस्ताखी की थी , न शिव सेना की शान में गुस्ताखी की थी | इस लिए मराठी , गैर मराठी का तो सवाल ही नहीं था जैसा कि कुछ दिन से शिव सेना के मराठी सांसद सांय राउत ने कहना शुरू किया है | असल में बात मराठी-गैर मराठी की नहीं थी , बात ड्रग माफिया, फिल्म माफिया , पुलिस के गठजोड़ और इन तीनों के माध्यम से राजनीतिज्ञों को मिलने वाले सूटकेसों की थी , इस लिए इन तीनों का बचाव करना जरूरी हो गया था | दिशा सालियान और सुशांत सिंह के बहाने इस गठजोड़ से वाकिफ कंगना रनौत इस गठजोड़ के सामने दीवार बन रही थी | कंगना का मुहं बंद करने के लिए शिव सेना ने जिस तरह अपने प्रभुत्व वाली बीएमसी के माध्यम से उन के दफ्तर मणिकर्णिका में तोड़फोड़ करवाई , उस से शिव सेना की गुंडागर्दी वाली छवि फिर से उभर आई |

हो सकता है कि कंगना ने अपने दफ्तर में बाथरूम , सीढ़ियों , छज्जे आदि को नक्शे में न दिखाया हो , हो सकता है कि बीएम्सी ने 2018 में भी नोटिस दिया हो , लेकिन जिस तरह 24 घंटे से पहले उस समय तोड़फोड़ की गई , जिस समय हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी , उस से शिव सेना छोटी हो गई , एक अकेली कंगना बड़ी हो गई | संजय राउत समझते थे कि वह बाल ठाकरे हैं , सारी मुम्बई उन से थर थर कांपेगी | उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे यह समझते थे कि उन के नाम के पीछे ठाकरे लगा है , तो कोई उन्हें चुनौती नहीं दे सकता , लेकिन अदना सी कलाकार कंगना रनौत ने पूरी शिवसेना को सडकों पर ला दिया | जिस शिवसेना को बाला साहिब ठाकरे ने भगवा ध्वज थमाया था , वह शिव सेना कंगना के खिलाफ काले झंडे ले कर हवाई अड्डे पर खडी थी और और अदना सी फ़िल्मी हिरोईन कंगना हाथ में भगवा ध्वज ले कर बाला साहिब के वारिसों को ललकार रही है –“ उद्धव ठाकरे तुम क्या समझते हो कि फिल्म माफिया से मिल कर तुमने मुझ से बदला लिया है , आज मेरा घर टूटा है कल तुम्हारा घमंड टूटेगा |” जी हाँ भगवा की नई पहचान बनेगी कंगना |

 

 

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