श्री अरविन्द सिंह मंथन मैगजीन के प्रबंध संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले इस घटना का मुझ से जिक्र किया था। वह बहुत चिंतित थे कि हैदराबाद से मिले इस अनजान और याददाश्त खो चुके व्यक्ति को कैसे उस के परिजनों तक पहुंचाया जाए। आज वह अनजान व्यक्ति अपने परिजनों के पास पहुंच चुका है। तो उन्हीं के शब्दों में घटना का विवरण । - अजय सेतिया
अरविंद सिंह । मैं आप सब लोगों को एक स्टोरी शेयर कर रहा हूँ।स्टोरी बताते हुए मुझे बेहद प्रसन्नता की अनुभूति हो रहीहै। किसी के परिवार का कोई व्यक्ति खो जाए और वह अपने घर परिवार से दूर ऐसी अवस्था में पहुँच जाए कि अपना नाम पता भी न बता सके, तो उसकी त्रासदी सिर्फ़ समझी ही जा सकती है। लेकिन आज भी ऐसे संवेदनशील लोग हैं जो इसे समझते हैं और पूरी मदद भी कर देते हैं। एक सज्जन जो हैदराबाद में लगभग विक्षिप्त अवस्था में क़रीब दो महीने पहले पाए गए थे, और एक एक्सिडेंट केशिकार हो गए थे। ट्रक ड्राइवर ने उनके ऊपर ट्रक चढ़ा दिया थ। न दवा न दारू , न खाना-पीना , सड़क के ऊपर जीवन यापन।
उनकेदयनीय अवस्था का अनुमान लगाया जा सकता है । वहीं के एक व्यक्ति श्री लक्ष्मण जी (जो BHEL हैदराबाद में कार्यरत हैं और अपने मित्रों के सहयोग से आधार हेल्पिंग हैंड नाम की संस्था चलते हैं )को मिले। वह अपना ठीक ठीक नाम पता भी नहीं बता पा रहे थे। जैसे तैसे उन्होंने कुशीनगर का नाम लिया तो लक्ष्मण जी ने स्थानीय RSS के पदाधिकारी के माध्यम से मुझसे सम्पर्क किया। मैंने स्वयं उनसे बात की। वे अपना नाम हरिरामबता थे और जगह कुबेर स्थान के पास का कोई गाँव। अपने किसी रिश्तेदार का नाम भी वह नही बता पा रहे थे। जो कुछ उनके टूटे फूटे अन्दाज़ में उनसे पता चला, उसी आधार पर मैंने कुशीनगर के ज़िलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से बात की। इन लोगों ने मदद का आश्वासन दिया। पुलिस अधीक्षक ने कुबेर स्थान के थानाध्ययक्ष को लगाया। उन्होंने अपने क्षेत्र के सभी ग्राम प्रधानों को सूचना दी।फिर भी कोई सुराग नहीं लगा।
मैं ख़ुद भी हताश हो गया। उन लोगों ने पूछा कि अब इनका क्या किया जाए। मैंने उनसे विनम्र निवेदन किया कि कुछ दिन इन्हें और अपने पास रख लीजिए। इस बीच मैंने फिर थानाध्यक्ष से आग्रह किया कि कुछ पता करें। इसी बीच 5 नवम्बर 2017 को जब मैं कुछ कार्यवश गोवा गया हुआ था, वहीं मुझे फ़ोन पर पता चला कि उनके परिजन मिल गए और मेरी ख़ुशी का ठिकाना रहा। इसके बाद पता चला कि उनका नाम पूरा नाम हरिराम जायसवाल है और वो रहने वाले गोपालगंज (बिहार) के हैं। कुबेर स्थान तो वह किसी रिश्तेदार के यहाँ उसके दुकान पर काम करते थे। उन परिजनों की ख़ुशी बस महसूस की जा सकती है जो उन्हें पिछले तीन वर्षों से खोज रहे थे। मैं उन सभी लोगों के प्रति कृतज्ञ हूँ, जो इस कार्य में निमित्त बने। आभारी हूँ ईश्वर का जिसने एक पवित्र कार्य का माध्यम बनाया।
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