नई दिल्ली | भारत के विदेशमंत्री अरुण जेटली के बयान और डोका ला इलाके को खाली करने की बजाए भारत की ओर से सैनिकों की तैनाती बढा देने से चीन हतप्रद है | चीन ने भारत की इतनी बढी हुई हिम्मत पिछले 55 साल में पहले कभी नहीं देखी | इस लिए चीन ने खुद जी-शिखर बैठक के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करने की पेशकश की है | चीन ने जब भारत को यह धमकी दी थी कि वह 1962 को याद रखे , तो विदेशमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह 2017 है, 1962 नहीं |
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दिन पर दिन रोज बढ़ रहा है। इसी बीच चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में भारत को कड़ा सबक सिखाने की बात कही गई है। लेख में कहा गया है कि अगर भारत नहीं मानता है तो चीन के पास सेना के इस्तेमाल के अलावा कोई पर्याय नहीं बचता।
भारत और चीनी फ़ौज उस समय आमने-सामने आए, जब चीन ने तिब्बत,भारत और भूटान के तिराहे पर सेना भेज कर वहां सड़क बनाने की तैयारियां शुरू की | यह इलाका भूटान और चीन के बीच विवादास्पद है, लेकिन अगर चीन वहां सड़क बना लेता है , तो भारत से उस की दूरी बहुत घट जाएगी, जो भारत के लिए खतरे की घंटी है | इसलिए जोमपेलरी नामक एक स्थान पर जब भूटानी सेना ने एक रिज पर चीनी सैनिकों को देखा तो वे नीचे उतरे और चीनियों को वहां से चले जाने को कहा | लेकिन जब चीनी और भूटानी सेना की झड़प हो गई ,तो सिक्किम के डोका ला में मौजूद भारतीय सैनिक भी भूटानी सैनिकों की सहायता के लिए मौके पर तुरंत पहुंच गए | भूटान का कहना है कि चीन तिराहे की मौजूदा स्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं कर सकता |
चीन ने सोमवार को कहा था कि भारत ‘चीनी क्षेत्र’ में भारतीय जवानों की अवैध घुसपैठ को छिपाने के लिए भूटान का इस्तेमाल कर रहा है और इसके साथ ही उसने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाने की मांग की | यह पहला मौक़ा है कि भारत की फ़ौज ने चीन को अपने तीखे तेवर दिखाए हैं , इस लिए सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ है | भारत-अमेरिका के बढ़ते रिश्तों के संदर्भ में इस टकराव की अहमियत बढ़ गई है, क्योंकि चीन पिछले दो-तीन साल से आँख बंद कर के पाकिस्तान और वहां पनाह पाए आतंकवादियों का बचाव कर कर रहा है, जबकि भारत और अमेरिका उन आतंकवादियों को अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की कोशिश कर रहे हैं |
चीन के रवैये पर अब तक चुप्पी साधे भारत ने भारत-भूटान-चीन सीमा के तिराहे पर सैनिक जमाव घटाने के बजाए बढ़ा दिया है | अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर इसे भारत-अमेरिका गठबंधन बनाम चीन-पाकिस्तान गठबंधन के रूप में उत्पन्न तनाव के रूप में देखा जा रहा है | चीन के पाकिस्तान की ग्वादर बंदरगाह तक सिल्क आर्थिक कारीडोर बनाने के लिए करोड़ों डालर झोंके हैं, इस लिए चीन इस तनाव को कम करना चाहता है | चीन के उप विदेश मंत्री ली बेएडॉन्ग के यह खबर दी है कि जर्मनी के हमबर्ग में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ब्रिक्स की अनौपचारिक बैठक होगी | यह बैठक सम्मेलन से अलग ब्रिक्स देशों के नेताओं के लिए आयोजित होगी | इस बैठक के दौरान दोनों देशों के शीर्ष नेता सीमा पर बढे तनाव के मुद्दे पर बात कर सकते हैं | मोदी सितंबर में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन भी जा रहे हैं |
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