दुनिया भर में ईसाई धर्मांतरण कराने वाली सबसे बड़ी अमेरिकी एजेंसी “कंपैशन” ने भारत में अपना ऑफिस और सारे ऑपरेशन बंद करने का एलान कर दिया है.
“कंपैशन इंडिया” नाम के एनजीओ के जरिये से ये एजेंसी भारत में बड़े पैमाने पर गरीबों और आदिवासियों को ईसाई बनाने में लगी थी. करीब 10 महीने पहले मोदी सरकार ने इसके बिना इजाज़त विदेशी फंडिंग लेने पर रोक लगा दी थी यानी हर बार फंडिंग लेने से पहले सरकार को उसका पूरा ब्यौरा देना होगा. प्रधानमन्त्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने देश में काम कर रहे तमाम एनजीओ का ऑडिट कराया जिसमे ये बात खुलकर सामने आई थी कि अमेरिकी एनजीओ “कंपैशन” भारत में सबसे ज्यादा फंडिंग भेज रहा है और ये सारा पैसा भारत में हिंदुओं के ईसाई धर्मांतरण में लग रहा है.
भारत में पिछले 30 साल से “कंपैशन इंडिया” धर्मांतरण में लगी हुई थी. ये प्रतिवर्ष भारत में 292 करोड़ रुपये विदेशों से लाती थी और इस फंड को 344 छोटे-बड़े एनजीओ में बांटा जाता था. ये सभी एनजीओ देशविरोधी गतिविधियों में और धर्मांतरण में लिप्त पाए गए हैं.
ओबामा सरकार ने डाला था मोदी पर दबाव!
“कंपैशन इंडिया” ने अपने बयान में कहा है कि वो भारत में अपना कामकाज बंद कर रहा है क्योंकि फंडिंग के नए नियमों के चलते उसे पैसा मिलना नामुमकिन हो चुका है. आपको बता दें कि “कंपैशन इंडिया” के खिलाफ जांच और नए नियमों को लगाए जाने के कारण पिछले वर्ष ओबामा और मोदी सरकार के रिश्तों में भी मनमुटाव हो गया था. जिसके बाद ओबामा सरकार के कई मंत्रियों और अधिकारियों ने भारत आकर मोदी सरकार पर इस बात के लिए दबाव डालने की कोशिश भी की थी कि “कंपैशन इंडिया” के लिए दिक्कतें पैदा न की जाएं.
यहां तक कि “कंपैशन इंटरनेशनल” के वाइस प्रेसिडेंट स्टीफेन ओकले भी भारत आये थे और भारत के तमाम नेताओं और अफसरों से मुलाकात की थी. इस बारे में उन्होंने विदेश सचिव एस जयशंकर से भी मुलाकात की थी. लेकिन इस मुलाकात में सरकार की ओर से उन्हें एनजीओ द्वारा भारत में कराए जा रहे धर्मांतरण के सबूत दिखा दिए गए थे.
लाखों बच्चों को ईसाई धर्म के जाल में फंसाया
सब काम बिलकुल खुल्लम-खुल्ला चल रहा था, संस्था की वेबसाइट पर बाकायदा साफ शब्दों में लिखा हुआ है कि उसका लक्ष्य “गरीबी में पल रहे बच्चों को जिम्मेदार और संपन्न ईसाई नौजवान बनाना” है. मोदी सरकार की जांच में चेन्नई के “करुणा बाल विकास ट्रस्ट” और “कंपैशन ईस्ट इंडिया” नाम के दो एनजीओ सबसे पहले फंसे थे. इन दोनों एनजीओ को “कंपैशन इंटरनेशनल” से करोड़ों रुपये की फंडिंग की जा रही थी और उस पैसे से गरीबों की सहायता के नाम पर ईसाई बनाने का काम धड़ल्ले से चल रहा था. जांच के आगे बढ़ने पर बाकी अन्य एनजीओ की गतिविधियों का कच्चा-चिट्ठा भी खुलकर सामने आ गया.
मीडिया को भी पैसे दे कर खरीद रखा था कंपैशनेट इंडिया ने
सूत्रों के मुताबिक सरकार को जांच में ये बात भी पता चली कि “कंपैशन इंटरनेशनल” की ओर से भारत के कुछ मीडिया संस्थानों के मुह में भी पैसे ठूसे जा रहे थे. इन बिकाऊ अखबारों और चैनलों ने एनजीओ के खिलाफ मोदी सरकार की पाबंदी के खिलाफ बाकायदा खबरें भी छापी थीं. ये वही बिकाऊ मीडिया संस्थान हैं जिन्होंने मोदी सरकार बनने के बाद सरकार को बदनाम करने के लिए चर्च पर हमले की झूठी खबरें भी फैलाई थीं.
लावारिस और गरीब बच्चों को बनाते थे शिकार
“कंपैशन इंडिया” नाम का ये एनजीओ इतना नीच है कि उसके फंड किए हुए अधिकतर एनजीओ सड़कों पर भीख मांगने या रेडलाइट पर सामान बेचने वाले लावारिस और गरीब बच्चों को अपने यहां लेकर आते थे और इनकी गरीबी और मजबूरी का फायदा उठाकर अपने एजेंडे को पूरा करते थे. ऐसे बच्चों को एक नया नाम दिया जाता था और उन्हें बताया जाता था कि आज से उनका भगवान ईसा मसीह है. संस्था के सेंटरों पर इन गरीब बच्चों को रात में सोने की जगह और खाने के लिए एक वक्त का खाना तो मिलता था लेकिन उन्हें शिक्षित करने की जगह पहले की तरह भीख मांगने या रेडलाइट पर सामान बेचने का काम करते रहने दिया जाता था. एनजीओ के इक्का-दुक्का सेंटरों पर ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का इंतजाम होता था.
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