केंद्र सरकार ने महाकाली नदी पर पंचेश्वर बांध को मंजूरी देकर उत्तराखँड को लाजवाब तोहफा दिया है. 311 फुट ऊँचाई के साथ यह एशिया का सब से ऊँचा बांध होगा. पिछले एक दशक से बांध का खाका तैयार था. मोदी सरकार के इस फैसले से कुमाऊँ का बहुत विकास होगा, हालांकि बडे बांधों से कुछ नुकसान भी होते हैं, लेकिन विकास के साथ यह भी झेलना पडता है. हालांकि टिहरी और नर्मदा के मुकाबला पंचेश्वर बांध के निर्माण में कम गांव प्रभीवित होंगे.
बांध का प्रस्तावित डिजाईन इस खबर के साथ संलग्न है. पंचेश्वर संगम का फोटो भी संलगन है, जहां महाकाली नदी , गौरी गंगा, धौली गंगा, पूर्वी राम गंगा और सरयू का मिलन होता है. यंही पर बनना है बांध. भारत के बहुत कम गाँव डूबेंगे, लेकिन नेपाल के ज्यादा गांव डूबेंगे.हमे उन्हें मुआवजा देना पडेगा. इस बांध से बिजली से न सिर्फ कुमाऊँ चमक उठेगा अलबता यहां की बिजली दिल्ली, यूपी और नेपाल तक को बेची जा सकेगी.
पंचेश्वर बांध बनने से पर्यटन के क्षेत्र में अलग थलग पडा पूरा कुमाऊँ नए हिमाचल के रूप में विकसित होगा.क्योकि कुमाऊँ के पहाड गढवाल की तरह कच्चे नहीं हैं, कुमाऊँ में सडकों का जाल पहले से ही गढवाल से बेहतर है.
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