मानसून के लिए मेघराज की पूजा करते हैं गोवावासी

Publsihed: 02.Apr.2021, 11:03

ध्रुव रौतेला / गोवा ।अरब सागर से सटे छोटे लेकिन सुंदर गोवा प्रदेश में बसंत की धूम मची है।  कोंकणी भाषी गोवा के हिंदुओं की मान्यता है की बसंत ऋतु में शिगमो पर्व में पूजा से उनके कुल देवता प्रसन्न होते हैं । इस त्योहार में प्रकृति रूपी आराध्य देवता से प्रार्थना की जाती है की आगामी गर्मी का मौसम ठीक हो और उसके तुरंत बाद आने वाला मॉनसून यहाँ के किसानों के लिए उनकी खेती की पैदावार के लिए शुभ हो और गोवावासी फलें फूलें । पन्द्रह दिन तक चलने वाले शिगमो पर्व की इस समय गोवा में की धूम है ।

गोवा के दोनों जनपदो नॉर्थ और साउथ के ग्रामीण इलाकों में यह पर्व 14 दिनों तक अपने अपने हिसाब से मनाते हैं । ठेठ ग्रामीण और लोक अंदाज में मनाये जाने वाले इस त्योहार को पूरे महोत्सव के रूप में ही मनाया जाता है । कोंकणी भाषी गोयन लोग पारंपरिक और पौरौणिक हिन्दू कथाओं के अनुसार नाच गाकर प्रदर्शन करते हैं । गोवा में जहां मांसाहार का प्रचलन सामान्य है वहीं आस्था के रूप में इस पर्व के दौरान स्थानीय लोग 14 दिनों तक मांसाहार और शराब का सेवन बंद कर देते हैं ।

गोवा के मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत ने पहले चार शहरो पोंड़ा ,पंजिम ,मडगांव और मापदा में वृहद रूप से शिग्मोत्सव मनाने की तैयारी की थी लेकिन कोरोना के अचानक दुबारा फिर पाँव पसारने के कारण सरकार को इस निर्णय को वापस लेना पड़ा हालांकि ग्रामीण अंचलों में अपने इस लोक पर्व को लेकर लोगों में उत्साह में कोई कमी नहीं है | शहरी इलाकों में सरकार ने प्रमुख चौराहों को पारम्परिक लोक कलाओं से सजाया है ,जो बड़ी संख्या में गोवा पहुचें पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है जिसकी खूब फोटोग्राफी की जा रही है । ( फोटो संलग्न )

लोक उत्सव शिगमों में मेघराज को प्रसन्न करने हेतु गीत गाकर आहवाहन किया जाता है । परंपरागत वनवासी ,आदिवासी और जंजातीय लोग विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य करते हैं जिनमें तलगाड़ी , मोरुलो और तोनया प्रमुख हैं । माना जाता है की इस प्रथा को करने से भूमि की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती हैं । शिगमों पर्व भी अपने दो रूपों धाकतों शिगमो और वोहदलो शिगमों में मनाया जाता है ।

( ध्रुव रौतेला राज्यपाल गोवा के निजी सचिव हैं )

 

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