अब यूपीए काल की काले धन की रिपोर्टें खंगाल रही मोदी सरकार

Publsihed: 20.Sep.2017, 23:02

नई दिल्ली। कालेधन के मुद्दे पर मोदी सरकार कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए के दौर की रिपोर्ट्स को खंगाल रही है। वित्त मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि पूर्व की यूपीए सरकार के दौरान देश और विदेश में भारतीयों के कालेधन पर तैयार 3 साल पहले की रिपोर्ट्स की समीक्षा कर रहा है। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में वित्त मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि कि इन रिपोर्ट्स की अभी समीक्षा की जा रही है। इनसे निष्कर्षों को आरटीआई कानून के तहत खुलासा करने से छूट दी गई है।

3 साल पहले की रिपोर्ट्स की समीक्षा कर रही सरकार यूपीए सरकार के दौरान कालेधन पर दी गई ये रिपोर्ट्स दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) और नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) के साथ-साथ फरीदाबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (NIFM) ने तैयार की हैं। एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम की ओर से तैयार रिपोर्ट्स सरकार को क्रमश: 30 दिसंबर, 2013, 18 जुलाई, 2014 और 21 अगस्त, 2014 को सरकार को प्राप्त हुई। मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार मई 2014 में सत्ता में आई थी।

वित्त मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि आरटीआई एक्ट, 2005 की धारा 8 (1) (सी) के तहत इस जानकारी का खुलासा नहीं करने की छूट है। तीनों संस्थानों से मिली रिपोर्ट्स की सरकार समीक्षा कर रही है। इन रिपोटर्स को सरकार के जवाब के साथ अभी तक वित्त मंत्रालय की स्थायी समिति के जरिए संसद में नहीं रखा गया है। बता दें कि वर्तमान में देश और विदेश में कुल कितना काला धन है इसकी कोई आधिकारिक आकलन सामने नहीं आया है।
 

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