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Micro Analysis of Indian Political Crisis

आतंरिक लोकतंत्र के अभाव में तबाह होती कांग्रेस

Publsihed: 04.Jul.2008, 06:02

सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उम्मीदवारों के चयन और पदाधिकारियों की नियुक्ति के मामले में एक दिशा निर्देश जारी किया था कि फैसले आलाकमान पर नहीं छोड़े जाएं। संभवत: सोनिया गांधी कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा करना चाहती थी, चाहती थी कि जमीनी स्तर पर फैसले होंगे तो धीरे-धीरे कांग्रेस में आतंरिक लोकतंत्र मजबूत होगा और पार्टी की जड़ें जमेंगी। लेकिन कुछ दिनों के अंदर ही सोनिया गांधी को समझ आ गया कि पार्टी का अपने पैरों पर खड़े होने का कोई इरादा नहीं। इसलिए शुरूआती ना-नुक्कर के बाद आलाकमान को अधिकृत करने के फैसले कबूल करने लगी।