सर्जिकल स्ट्राईक में इसरो की भूमिका

Publsihed: 03.Oct.2016, 12:11

पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के लॉन्च पैड पर सेना की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान आकाश में उड़ रहे उपग्रहों से भी जवानों को खूब मदद मिली। पाकिस्तान की नजरों से दूर आकाश में उड़ रहे आधा दर्जन 'मेटॉलिक बर्ड्स' ने भारतीय सेना के मिशन की तैयारी और उसे अंजाम देने में पूरी मदद की है

अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक भारत इस क्षेत्र में अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए C4ISR को विकसित कर रहा है। C4ISR यानी कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन्स, कम्प्यूटर, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसन्स। भारत पहले ही एक एयरोस्पेस कमांड बना चुका है और 'सर्जिकल स्ट्राइक्स' को समझने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके जरिए आधी रात को हमले करने की तैयारी और उसे अंजाम देने के लिए यह कमांड महत्वपूर्ण है। 

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइेशन यानी इसरो युद्ध नहीं लड़ती और पूरी तरह से एक सिविलियन एजेंसी हैं, लेकिन इसने देश को जो क्षमताएं दी हैं, वो दुनिया में श्रेष्ठ हैं। इसरो न केवल पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों और उनके ठिकानों को गिद्ध दृष्टि से देखती है बल्कि इन ठिकानों को नष्ट करने के लिए सेना को नेविगेशन सिग्नल भी उपलब्ध कराती है। इसरो ने ऐसा ढांचा विकसित किया है, जो दिन या रात किसी भी समय जवानों की मदद करता है। 

बहुत सारे भारतीयों को इन क्षमताओं के बारे में पता नहीं है और यह सब इसरो के पोर्टल में छिपा है, क्योंकि मंगलयान और चंद्रमा मिशन सारा लाइमलाइट खींच लेते हैं। दूसरी ओर इसरो की 17000 हजार वैज्ञानिकों की टीम खामोशी के साथ सीमाओं की रक्षा में जवानों की मदद के लिए दिन रात काम करती है। 

इसरो के पूर्व चेयरमैन के कस्तूरीरंगन ने कहा, 'स्पेस एजेंसी के पास शानदार तकनीक है और इसका पूरा लाभ उठाया जा रहा है। हाई रेज्योलूशन सैटेलाइट की तस्वीरें शहरी योजना बनाने में भी मदद कर सकती है और आतंकियों के ठिकानों पर भी निगाह रख सकती है।'

कस्तूरीरंगन ने कहा कि सैटेलाइट की तस्वीरें दोस्त और दुश्मन में अंतर नहीं करती हैं। ये तय करने का अधिकार उसके यूजर को है। 

 

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