अजय सेतिया / पंजाब में आतंकवाद की फिर से शुरुआत होने के संकेत पिछले एक महीने से मिल रहे थे , करीब बीस दिन पहले सेनाध्यक्ष रावत ने चेतावनी देते हुए कहा थी कि तुरंत कार्रवाई शुरू न की गई तो बहुत देर हो गई होगी | पिछले दिनों खबर आई थी कि मुस्लिम आतंकवादी जाकिर मुस्सा पंजाब में घुस चुका है और खालिस्तानी आतंकवादियों से सम्पर्क साध रहा है | अलकायदा के आतंकी जाकिर मूसा के यहां कुछ लोगों से संपर्क में होने की सूचनाएं हैं।
आज दोपहर करीब एक बजे अमृतसर शहर से 20 किलोमीटर दूर राजा सांसी हवाई अड्डे के पास स्थित निरंकारी भवन में दो मोटरसाईकिल सवार घुसे और उन्होंने ने निरंकारी भवन में बम फैंके , जिस में 3 व्यक्ति मारे गए है और 15 के करीब जख्मी हुए हैं | यहाँ उल्लेखनीय है कि 1978 में भी आतंकवाद की शुरुआत निरंकारियों पर हमले से ही हुई थी | तब 13 अप्रैल 1978 को वैसाखी के दिन अमृतसर में निरंकारी भवन पर हमला किया गया था। इसके बाद अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, इसमें 13 अकाली कार्यकर्ता मारे गए थे। रोष दिवस में सिख धर्म प्रचार की संस्था के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। कई पर्यवेक्षक इस घटना को पंजाब में चरमपंथ की शुरुआत के तौर पर देखते हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने आतंकवाद की इस ताज़ा घटना में पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई का हाथ होने से इनकार नहीं किया है | उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार इस घटना की तह तक जा करे जांच करेगी | पिछले दिनों पठानकोट से कार हाईजैक कर चार संदिग्धों के पंजाब में घुसे होने की सूचना भी मिली थी। ये लोग जम्मू रेलवे स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज में भी नजर आए थे। दिल्ली से सुरक्षा एजेंसियों ने पांच और संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा को मेल की गई थीं।
सिर्फ तीन दिन पहले 15 नवम्बर को पंजाब के फिरोजपुर में जैश-ए-मोहम्मद के 6 से 7 आतंकवादियों के होने का खुलासा हुआ था , तब माना जा रहा था कि ये आतंकी इसी इलाके में हैं और दिल्ली की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. इस खुलासे के बाद भारत-पाक सीमा पर सख्ती और सतर्क रहने का अलर्ट जारी किया गया था . 14 नवम्बर को पंजाब के पठानकोट के माधोपुर से चार संदिग्धों के द्वारा लूटी गई कार को भी इसी आतंकी हमले की साजिश से जोड़कर देखा जा रहा था और पूरे पंजाब में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया था |
दो साल पहले नवम्बर 2016 में पजाब में करीब 10 बंदूकधारियों ने नाभा जेल पर हमला कर आतंकी संगठन खालिस्तान लिब्ररेशन फोर्स (केएलएफ) के सरगना हरमिंदर सिंह मिंटू और पांच अन्य अपराधियों को भगा ले गए थे |
पंजाब में आतंकवाद का इतिहास
1980 के दशक के दौरान पंजाब में खालिस्तान की मांग को लेकर हिंसक आन्दोलन शुरू हुआ था | जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में आंदोलन की मांगों की पूर्ति के लिए आतंकवाद शुरू किया गया | पड़ोसी देश पाकिस्तान इन आतंकवादियों को समर्थन दे रहा है, उसे 1983-84 में सिखों का व्यापक समर्थन हासिल हो गया और मामले ने खूनी मोड़ ले लिया। भिंडरावाले अपने खालिस्तानी समर्थकों के साथ स्वर्णमंदिर में घुस गए |
आतंकवादियों को स्वर्णमंदिर से बाहर निकाले के लिए आपरेशन ब्ल्यू स्टार शुरू किया। संत भिंडरांवाले ने सेना के हमले के लिए किलेबंदी की तैयारी कर ली थी। इंदिरा गांधी ने सेना को आदेश दिया कि वह मंदिर पर धावा बोलें, जिसने अंततः टैंकों का इस्तेमाल किया गया था।
चौहत्तर घंटे की गोलीबारी के बाद सेना को मंदिर पर नियंत्रण करने में सफलता हाथ लगी। ऐसा करने में अकाल तख्त के कुछ हिस्से, सिख सन्दर्भ पुस्तकालय और स्वयं स्वर्ण मंदिर के कुछ हिस्सों में क्षति पहुंची. भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार तिरासी सैन्य कर्मी इसमें मारे गये और 249 घायल हो गये। मारे गये आतंकवादियों की संख्या 493 थी और छियासी घायल हुए.
उसी वर्ष नवम्बर में इंदिरा गांधी के दो सिख अंगरक्षकों ने उन्हीं के घर में गोली मार कर हत्या कर दी , जिसे स्वर्ण मंदिर मामले से उत्प्रेरित माना जाता है, जिसके व्यापक विरोध के परिणामस्वरूप कांग्रेसियों ने देश भर में हजारों सिखों को ज़िंदा जला दिया था | विशेष रूप से नयी दिल्ली में सिखों का नरसंहार किया गया , जिस में तीन हजार से ज्यादा सिखों के मारे जाने का अनुमान है | इस के बाद पहले जूलियो रिबेरो और उसके पश्चात केपीएस गिल के नेतृत्व में भारतीय थल सेना के साथ मिलकर ऑपरेशन ब्लैक थंडर चलाया |
1985 में सिख आतंकवादियों ने कनाडा से भारत आ रहे एयर इंडिया के विमान में बम विस्फोट किया जिस में सवार सभी 329 यात्री मारे गये। यह कनाडा के इतिहास में सबसे ज्यादा भयावह आतंकवादी कार्रवाई है।
सिख आतंकवाद की समाप्ति और खालिस्तान की मांग के मुख्य स्रोत तब नष्ट हुए जब पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने एक सद्भावना संकेत के रूप में भारत सरकार को पंजाब के आतंकवाद से सम्बंधित सभी खुफिया सामग्री सौंप दी। भारत सरकार ने खुफिया जानकारियों का इस्तेमाल भारत में हो रहे आंतकवादी हमलों के पीछे सक्रिय लोगों का खात्मा करने में किया।
1993 में प्रत्यक्ष सिख आतंकवाद की समाप्ति के बाद अपेक्षाकृत शांत अवधि में आतंकवादी कृत्यों (उदाहरण है 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या) के लिए आधे दर्जन के आसपास लड़ाकू सिख संगठनों को चिह्नित किया गया। इन संगठनों में बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमांडो फोर्स, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स शामिल हैं।
खालिस्तान को कनाडा और ग्रेटब्रिटेन के सिख समुदाय से अब भी व्यापक सहायता मिल रही है।
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