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Articles Written by Ajay Setia

मनमोहन का चौका

Publsihed: 03.Nov.2007, 16:48

पिछले दिनों लाल कृष्ण आडवाणी की रहनुमाई में कर्नाटक के सिलसिले में प्रधानमंत्री से मिलने गए प्रतिनिधि मंडल में वेंकैया नायडू भी थे। हालांकि मुलाकात सिर्फ कर्नाटक के मुद्दे पर तय हुई थी, लेकिन वेंकैया नायडू ने धान की कीमत का सवाल कुछ इस तरह उठा दिया कि दक्षिण राज्यों के साथ अन्याय हो रहा है। इस पर मनमोहन सिंह वेंकैया नायडू पर बिफर पड़े। उन्होंने वेंकैया नायडू से कहा कि वह धान की कीमतों के मुद्दे पर दक्षिण और उत्तर को बांटने की कोशिश न करें। वेंकै

प्रियंका का क्रिकेट प्रेम

Publsihed: 03.Nov.2007, 16:46

टेनिस खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण की बेटी दीपिका पादुकोण भले ही महेंद्र सिंह धोनी के न्यौते पर ट्वंटी-ट्वंटी क्रिकेट मैच देखने जाए। लेकिन खेल की पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण बात जायज लगती है। जबकि राहुल-प्रियंका की ऐसी कोई पृष्ठभूमि नहीं, फिर भी दोनों ने क्रिकेट मैच के सहारे युवा वोटरों को प्रभावित करने का नया फार्मूला निकाल लिया है। वाजपेयी सरकार के समय पाकिस्तान जाकर भारत-पाक मैच देखने से भारतीय चैनलों पर मिली पब्लिसिटी के बाद राहुल-प्रियंका को यह मुफ्त का नया हथियार मिला है, जिसे इस्तेमाल करने का कोई मौका

मनमोहन का सामान्य ज्ञान

Publsihed: 03.Nov.2007, 16:44

अब तक लोग यही समझते थे कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री पद को दिए गए काम की तरह निभा रहे हैं, सीधे तौर पर राजनीति में  ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते। लेकिन आम धारणा के विपरीत अब ऐसी स्थिति नहीं रही। विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भी उस समय झटका लगा, जब कर्नाटक के सांसदों के साथ प्रधानमंत्री से मिलने गए और वहां पर मनमोहन सिंह ने एक सांसद राजीव चंद्रशेखर से पूछ लिया कि वह किस पार्टी में हैं। प्रधानमंत्री किसी सांसद के बारे में इतनी जानकारी रखते होंगे, यह आडवाणी के लिए हैरानी में डालने वाली बात थी

गुस्ताखी राजदूत की

Publsihed: 03.Nov.2007, 16:42

जब तक ब्लैकविल अमेरिका के राजदूत थे, उनका भाजपा के राजनीतिज्ञों से अच्छा तालमेल था। लेकिन मेल्फोर्ड के राजदूत बनकर आने के बाद से स्थिति बदल गई, न सिर्फ तालमेल खत्म हो गया, अलबत्ता तनाव की स्थिति भी पैदा हो गई। इसकी वजह थी मेल्फोर्ड का लाल कृष्ण आडवाणी को दूतावास में आकर मिलने की चिट्ठी भेजना। इस चिट्ठी को देखकर आडवाणी की भौंहें तन गई और उन्होंने इसका जवाब देना भी उचित नहीं समझा। नतीजा यह निकला कि एटमी करार पर आडवाणी से मुलाकात की जरूरत पड़ी, तो अमेरिका के हाथ-पांव फूल गए। आखिर न्यूयार्क में स्थित दक्षिण एशिया के प्रभारी जेम्स क्लेड ने आडवाणी के ओएसडी दीपक चोपड़ा से फोन करके तनाव क

मुसीबत जेटली की

Publsihed: 14.Oct.2007, 10:53

अरुण जेटली ने जिस भी राज्य में चुनाव की बागडोर संभाली, सफलता हासिल की। गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब के अलावा 1998 का हिमाचल चुनाव और 2006 का दिल्ली नगर निगम चुनाव भी इसका उदाहरण। राजनाथ सिंह ने अरुण जेटली को गुजरात का प्रभार नहीं देकर उनका कद घटाने की कोशिश की, लेकिन जब खुद नरेंद्र मोदी ने उन्हें ही विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाने की मांग की तो पार्टी अध्यक्ष के पास कोई चारा नहीं था। अरुण जेटली भी यही चाहते थे, आखिर यह एक तरह से राजनाथ सिंह की हार थी। लेकिन चुनाव प्रभारी बनने के बाद अरुण जेटली के सामने म

यूपीए की तिकड़ी भारी पड़ी

Publsihed: 14.Oct.2007, 10:49

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उम्मीद थी कि अमेरिका से एटमी करार के मुद्दे पर सोनिया गांधी आखिर तक उनका साथ देंगी। इसलिए उन्होंने दस अगस्त को कोलकाता के टेलीग्राफ अखबार को इंटरव्यू देकर वामपंथियों को खुली चुनौती दे दी थी। सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह का दो महीने तक पूरा साथ दिया। पहले छह अक्टूबर को प्रधानमंत्री की इफ्तार पार्टी में और अगले दिन हरियाणा की एक रैली में एटमी करार का विरोध करने वाले कम्युनिस्टों को खुद चुनौती दी। लेकिन जब यूपीए के घटक दलों के तीन बड़

ज्योतिरादित्य की ताजपोशी

Publsihed: 14.Oct.2007, 10:47

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हिंदुस्तान टाइम्स सम्मेलन में केंद्रीय मंत्रिमंडल के फेरबदल का संकेत देकर कांग्रेसियों में भगदड़ मचा दी है। अब तक मंत्री पद से वंचित रहे कांग्रेसी सांसद इसे आखिरी मौका मानकर सिर-धड़ की बाजी लगाने पर उतर आए हैं। लेकिन सोनिया गांधी के करीबी दावा कर रहे हैं कि इस बार के फेरबदल में सिर्फ युवाओं को ही मौका मिलेगा। अगर ऐसा ही हुआ तो ज्योतिरादित्य का नंबर लगना तय है। युवा सांसदों में उन्होंने अपनी छवि अलग तरह की बनाई है, वह संसद में

हिमाचल कांग्रेस में दहशत

Publsihed: 14.Oct.2007, 10:45

भाजपा आरोप लगाती रही है कि चुनाव आयुक्त नवीन चावला हर खबर सोनिया गांधी को लीक करते हैं। लेकिन चुनाव आयोग की ओर से अचानक हिमाचल प्रदेश के चुनाव समय से दो महीने पहले कर दिए जाने की कांग्रेस को भनक तक नहीं लगी। अगर जरा सा भी संकेत मिलता तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपना अमेरिका दौरा रद्द करके आचार संहिता लागू होने से पहले-पहले कुछ चुनावी घोषणाएं कर देते। जब चुनाव की घोषणा हुई तो वीरभद्र सिंह अमेरिका में थे। हड़बड़ाए सारे कांग्रेसी मंत्री दिल्ली पहुंच गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें।

मायावती का डर

Publsihed: 14.Oct.2007, 10:43

उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह को नेस्तनाबूद करके मायावती के मुख्यमंत्री बनने पर भी कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हो रहा है। अलबत्ता  हालात और विकट हो गए हैं। मुलायम सिंह की हैसियत उत्तर प्रदेश  से बाहर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की नहीं थी। लेकिन मायावती की हैसियत अब बाकी राज्यों में पांव फैलाकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की हो गई है। शुरूआती मीठी-मीठी बातों के बाद मायावती ने अब कांग्रेस के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया है। मायावती ने चुनाव में साथ देने वाले उत्तर प्रदेश के ब्राह