प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश यात्रा से लौटते ही कामन सिविल कोड पर गंभीरता दिखा कर| और कामन सिविल कोड को मुस्लिम महिलाओं के साथ जोड़ कर न सिर्फ विपक्ष के तंबू में आग लगा दी, बल्कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की भी नींद उड़ा दी| 24 घंटे के भीतर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने मीटिंग बुला ली, जिसमें मुस्लिम वकीलों को भी बुलाया गया| केजरीवाल की तरह बात बात पर नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाले असुदुद्दीन ओवेसी भी मीटिंग में पहुंचे हुए थे| जिन्होंने मोदी के भोपाल वाले बयान के दो मिनट बाद ही यूनिफार्म सिविल कोड को खारिज कर दिया था| ओवेसी ने कह दिया था कि मोदी मुसलमानों पर हिन्दू क़ानून लादना चाहते हैं| मुसलमान समान नागरिक संहिता को कभी स्वीकार नहीं करेंगे| वे क्रिमिनल ला तो इसलिए स्वीकार करते हैं, क्योंकि क्रिमिनल ला में अपराधों की सजा कम है| जबकि इस्लामिक ला में ज्यादा है| इस्लामिक ला में छोटे छोटे अपराधों में भी सजा-ए-मौत का प्रावाधान है, तो वह उन्हें सूट नहीं करता|
भारत के मुसलमान शुकर मनाते हैं कि अंग्रेज क्रिमिनल ला सभी के लिए एक कर गए| लेकिन अगर वे सिविल ला भी एक कर गए होते, तो भारत का कितना भला होता| भारत जब आज़ाद होता, तभी से कामन सिविल कोड लागू होता| जिन मुसलमानों को वह मंजूर नहीं होता, वे शरीयत वाले पाकिस्तान में चले जाते| जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी ने कामन सिविल कोड लागू नहीं करने का आश्वासन दे कर ही 8 करोड़ मुसलमानों को रोक लिया था| जो अब 22 करोड़ हो चुके हैं| गांधी और नेहरू के इसी आश्वासन के कारण संविधानसभा को अनुच्छेद 44 में लिखना पड़ा कि देश इसे वक्त आने पर लागू करेगा| कांग्रेस जैसे नेहरू के दिए 370 पर अटकी हुई थी, वैसे ही कामन सिविल कोड पर अटकी हुई है| जबकि संविधान सभा की भावना कामन सिविल कोड की थी| संविधान सभा के 298 सदस्यों की भावना की कांग्रेस की नजर में कोई कद्र नहीं , उन्हें संविधानसभा के सिर्फ एक सदस्य जवाहर लाल नेहरू का वचन निभाना है|
जबकि भारतीय जनता पार्टी और उससे पहले भारतीय जनसंघ 70 साल से इन दोनों मुद्दों को अपने एजेंडे में रखे हुए थी| 370 के खिलाफ तो जनसंघ के पहले अध्यक्ष डाक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपनी शहादत भी दी थी| अब जब दो बार से देश की जनता भाजपा को चुन रही है, तो वह भाजपा से पूछ रही है कि कामन सिविल कोड कब आएगा| उसी के लिए तो आप को चुना है| इसलिए नरेंद्र मोदी ने बड़ी मजबूती के साथ कामन सिविल कोड को पिटारे से बाहर निकाल लिया है| इस बार का विधि आयोग पिछली बार की तरह टरकाऊ रिपोर्ट नहीं देने वाला| बाकायदा ड्राफ्ट सौंपने की तैयारी है| यह बात विपक्ष के पल्ले भले न पडती हो, मुसलमानों के पल्ले पड गई है| इसलिए मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कामन सिविल कोड का अपना एक ड्राफ्ट बना कर विधि आयोग को सौंपने का फैसला किया है| भले ही उनके ड्राफ्ट में कुछ बातें शरीयत के हिसाब से होंगी, लेकिन वे लाईन पर तो आ गए| वरना अब तक तो वैसे ही धमकियां दे रहे थे, जैसे 370 खत्म होने से पहले महबूबा मुफ्ती और फारूख अब्दुल्ला दिया करते थे| मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात करके टेबल पर बैठ उनसे बात करने को तैयार हो गए हैं| लेकिन विपक्षी दलों की हालत मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त वाली है| कांग्रेस से लेकर तृणमूल कांग्रेस तक और समाजवादी पार्टी से लेकर डीएमके तक| सब की चूलें हिल गई हैं| लेकिन इस बीच एक बड़ी घटना हो गई है| 370 हटाने का समर्थन करने वाले अरविन्द केजरीवाल ने समान नागरिक संहिता का भी समर्थन करके विपक्ष के तंबू में आग लगा दी है| 23 जून की मीटिंग में उनके साथ जो व्यवहार हुआ, उसके बाद यह तय हो गया है कि केजरीवाल अपनी खिचडी अलग पकाएंगे| आम आदमी पार्टी के संगठन महामंत्री संदीप पाठक का बयान आया है कि उनकी पार्टी समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर सिद्धांतत: सहमत है|
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