मंदसौर के बहाने चौरा-चौरी की याद 

Publsihed: 08.Jun.2017, 23:48

अपन ने कल मंदसौर में किसानों के आन्दोलन का जिक्र किया था | आन्दोलन हिंसक हो गया, पुलिस फायरिंग हुई | पांच किसान मारे गए | किसानों ने पुलिस थाने जला दिए | पुलिस के वाहन जला दिए | अपन ने लिखा था कि राहुल गांधी रोक के बावजूद गुरूवार को मंदसौर कूच करेंगे | वही हुआ, राहुल बारास्ता राजस्थान नीमच पहुंचे | जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया | शाम को गेस्ट हॉउस से छूटे, तो कांग्रेस ने मृतक के एक परिवार को राजस्थान में मिलवाने का जुगाड़ कर रखा था | नीमच से बस 15 किलोमीटर चलो , तो राजस्थान बार्डर आ जाता है | वहीं निशा नाम के एक ढाबे पर राहुल ने मुतक मधुसूदन के भाई से मुलाक़ात की | राहुल ने उसे जो कहा, उसे हू-ब-हू पढ़ लीजिए -"बस मुझे तो एक बार आप से मिलना था | आप से मिलना चाहता था | आप को गले मिलना चाहता था | आप के मुद्दे उठाता रहता हूँ | मुझे पता है आप का मुद्दा वाजिब दाम और कर्ज माफी है |" मृतक के भाई ने कहा -"सैनिक मरता है, तो उसे शहीद का दर्जा मिलता है | किसान को नहीं मिलता | या तो जय जवान,जय किसान कहना छोड़ दो, या किसान को भी शहीद का दर्जा दो | " राहुल गांधी ने इस पर कोई आश्वासन नहीं दिया | हाँ संसद में सवाल उठाने का वादा किया | और मोदी पर राजनीतिक फब्बत्ती कसते हुए बोले-" उन्होंने उद्योगपतियों का एक लाख दस हजार करोड़ का कर्ज माफ़ कर दिया | पर किसानों का कर्ज माफ़ नहीं करते |" और इस तरह राहुल का एक दिन का प्रोटेस्ट पूरा हुआ | हवाई जहाज, कार, मोटरसाईकिल, बिना हेलमेट | इन बातों को छोड़ दें | लब्बोलुबाब यह कि राहुल गांधी जेल हो आए | भले ही नीमच के एक रेस्ट हॉउस को जेल बनाया गया | बड़े आदमियों के लिए ऐसे ही फर्जी जेलें बनती  हैं | वैसे भी नेता जब कहीं जाते हैं, तो सब से पहले रेस्ट हॉउस में पहुँचते हैं | उसी रेस्ट हॉउस को जेल बता दो , तो कोई जेल नहीं बन जाती | नरसिंह राव को जब पीएम पद से हटने के बाद गिरफ्तार किया गया | तो उन के घर को ही जेल बना दिया गया | इमरजेंसी में जयप्रकाश नारायण को जब दिल्ली से गिरफ्तार कर चंडीगढ़ भेजा गया | तब पीजीअई के गेस्ट हॉउस को सब-जेल नोटिफाई किया गया था | वैसे राहुल गांधी को हिंसा के दौरान मध्यप्रदेश जाने की जरुरत नहीं थी | गांधी और राहुल गांधी की कोई तुलना नहीं की जा सकती | पर घटना मिलती जुलती है | इस लिए अपन को लगा कि याद दिला दें ,ऐसे ही हालात में गांधी ने क्या किया था | कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन के दौरान 5 फरवरी 1922 को चौरी चौरा में एक घटना हो गई | चौरा-चौरी तब उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में था | किसान जलूस निकाल रहे थे |  पुलिस ने जबरन जुलूस को रोकना चाहा | किसानों ने गुस्से में आ कर थाने में आग लगा दी | जिसमें एक थानेदार और 21 सिपाहियों की मौत हो गई | इस घटना से गांधी जी स्तब्ध रह गए | 12 फ़रवरी 1922 को बारदोली में कांग्रेस की आपात बैठक बुलाई गई | जिसमें असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने का फैसला किया गया | गांधी जी ने यंग इण्डिया में लिखा था कि, "आन्दोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, हर एक यातनापूर्ण बहिष्कार, यहाँ तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ |" हू-ब-हू वैसी ही घटना मंदसौर में हुई थी | पुलिस ने रोका, तो किसानों का आन्दोलन हिंसक हो गया | भाजपा ने किसानों से चुनावों में बहुत वादे किए थे | तीन साल में वादों का एक तिहाई, तो क्या दसवां हिस्सा भी पूरा नहीं हुआ | पर किसानों की इस दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है | किसानों को गाँव-खेती छोड़ कर शहरों में झुग्गी-झौपडी में किस ने धकेला | आज़ादी के वक्त 80 फीसदी आबादी गावों में थी | लोग किसानी से खुश थे | उन को फुटपाथ पर कौन ले कर आया | किसानों ने आत्महत्या किस के राज में करनी शुरू की | शायद 2007-8 की बात है | कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों की बैठक नैनीताल में हो रही थी | उसी साल महाराष्ट्र में किसानों ने बड़े पैमाने पर आत्महत्याए की थी | कांग्रेस के विलास राव देशमुख महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे | नैनीताल बैठक में उन से जवाब तलब किया गया था | किसानों की दुर्गति के लिए 70 साल की सरकारें जिम्मेंदार हैं | अपन बहुत पीछे नहीं जाते | सिर्फ पांच साल पहले 2012 की  नेशनल सर्वे सेम्पल ओर्गेनाईजेशन की सर्वे रिपोर्ट को ही ले लें | इस रिपोर्ट के मुताबिक़  किसान की राष्ट्रीय औसत आय 6426 रूपये प्रति महीना थी | आज 2017 में यह मासिक आय सिर्फ 1750 रूपये रह गई है | आज किसान को उसकी फसल का मिनिमम सपोर्ट प्राईस भी नहीं मिलता | जबकि मिनिमम सपोर्ट प्राईस का मतलब तो सरकार की  किसान को गारंटी  है | मोदी ने किसानों और बेरोजगार युवकों को अच्छे दिनों का सपना दिखाया था | वह सपना जमीन पर उतरता दिखाई नहीं दे रहा | तो कंही कंही असंतोष बढ़ रहा है | पर उस असंतोष को हिंसक होने से रोकना राजनेताओं का फर्ज है | हिंसा की आग में घी डालना नहीं | 

आपकी प्रतिक्रिया