किसान को मरना है , आत्महत्या करे या पुलिस की गोली से मरे 

Publsihed: 07.Jun.2017, 22:35

मोदी सरकार के तीन साल हुए| तो लोकसभा टीवी पर घंटे भर की चर्चा थी उन ने तीन पत्रकारों को बुलाया हुआ था| चर्चा के आखिर में एंकर ने आख़िरी वाक्य बोलने को कहा| संयोग से अपना नंबर आखिर में आया| अपन ने पांच मुद्दों की शिनाख्त की थी| कहा था कि मोदी को बाकी के दो साल में इन पांच मुद्दों से निपटना होगा| ये पांच मुद्दे हैं किसान, बेरोजगारी, कश्मीर, आतंकवाद और नक्सलवाद| मंगलवार के अपने कालम में अपन ने कांग्रेस के लिए तीन मुद्दों की शिनाख्त की थी| किसान, बेरोजगारी, कश्मीर| अपन इन तीनों मुद्दों पर सरकार को घिरा हुआ मानते हैं| तमिलनाडू के किसानों ने दिल्ली में धरना दे कर देश का ध्यान आकर्षित किया था | जब अपन तीन मुद्दे लिख रहे थे, तभी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में दो बड़ी दुर्घटनाएं हो गई है | इन दोनों राज्यों में एक हफ्ते से किसान हड़ताल पर थे | महाराष्ट्र में चार किसानों ने आत्महत्या कर ली | मध्यप्रदेश के मंदसौर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गोली चल गई | जिस में पांच किसान मारे गए | कमल नाथ और शरद यादव का दावा है कि ज्यादा लोग मारे गए हैं | किसान भले ही हिंसा पर उतर आए थे | किसानों को भले ही कांग्रेस उकसा रही थी |  पर किसानों पर फायरिंग ने बात बिगाड़ दी | सीएम शिवराज चौहान की छवि ‘किसान हितैषी’ की रही है | वह दावा करते रहे हैं कि राज्य का किसान खुशहाल है | राज्य की कृषि विकास दर वास्तव में 20 प्रतिशत हो चुकी है | मगर सोमवार को मंदसौर की घटना ने उनकी छवि दागदार कर दी | पहले तो पुलिस ने फायरिंग से ही इनकार किया | पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नन्द कुमार सिंह की तारीफ़ करनी चाहिए | उन ने बिना लाग-लपेट कहा कि पुलिस ने गोली चलाई | इधर राहुल गांधी ने फ़ौरन ट्विट किया -"बीजेपी के न्यू इंडिया में हक़ मांगने पर हमारे अन्नदाताओं को गोली मिलती है|" बस फिर क्या था - संकेत साफ़ था| राहुल गांधी खुद मदसौर को भट्टा परसौल बनाने जाएंगे| कांग्रेस भोपाल से ले कर दिल्ली तक सक्रिय हो गई| अभिषेक मनु सिंघवी, कमलनाथ, अजय सिंह, अरुण यादव सब सक्रिय हुए| मंगलवार को हिंसा और भड़क गई | मंदसौर-नीमच से राजस्थान की ओर जा रहे राजमार्ग में जमकर हिंसा हुई | डीएम स्वतंत्र कुमार सिंह किसानों को समझाने पहुंचे | तो उन की पिटाई हो गई | एसपी ओपी त्रिपाठी पहुंचे,तो उनके साथ भी बदसलूकी हुई | पहले कांग्रेस का हाथ था या नहीं | मंगलवार की गुंडागर्दी तो बिना राजनीतिक आशीर्वाद के नहीं हुई | कारें तोडी गई | ट्रेनें रोकी गईं | राहुल गांधी, सीताराम येचुरी और शरद यादव ने इकट्ठे कूच का एलान किया है | येचुरी और शरद यादव ने भी मोर्चा संभाल लिया | नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पहली बार लगा कि बात गंभीर हो गई | सो फ़ौरन हाई लेवल मीटिंग हुई | वंकैया नायडू ने कांग्रेस पर शांत मध्यप्रदेश में आग लगाने का आरोप मढा | नरेंद्र सिंह तोमर, थावर चंद गहलोत ने भी मोर्चा सम्भाला | कांग्रेस पर मध्यप्रदेश में राजनीतिक हिंसा का आरोप लगाया | यों राहुल के मंदसौर प्रवेश पर रोक लगी है| पर राजनीति में रोक की कौन परवाह करता है | कुछ दिन मध्यप्रदेश राजनीतिक अखाड़ा बनेगा | राजनीतिक रोटियाँ सिकेंगी | किसान ठगे से रह जाएंगे | शरद यादव और येचुरी ने भी यही संकेत दिए | तीन साल बीतते ही राजनीतिक हालात गर्म होने लगे हैं | मंगलवार को येचुरी की प्रेस कांफ्रेंस में किसी हिन्दू सेना ने बवाल मचा दिया | पर उधर महाराष्ट्र में राजनीतिक रोटियाँ सेकना भी कांग्रेस -वामपंथियों के बस में नहीं | वहां बीजेपी के सहयोगी शिवसेना ने मोर्चा संभाल लिया है | शिवसेना ने कहा, ‘‘कई साल बाद, पिछले साल का मानसून उम्मीदें लेकर आया था | भारी फसल भी हुई, पर नोटबंदी के चाबुक ने किसानों को बर्बाद कर दिया | अपनी फसलों को मिट्टी के मोल बेचने पर मजबूर कर दिया | कर्ज में दबे किसान भारी घाटे में डूब गए | भाजपा अगर यूपी में कर्ज माफी कर सकती तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं | ’’अगर अपन एनजीओ के दावे मानें तो दो दशक में डेढ़ लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं | जिनमें 45 फीसदी महारास्त्र के हैं | उद्योगपति तो कर्ज ले कर विदेश भाग जाते हैं | जुगाडू उद्योगपति तो कर्ज माफी भी करवा लेते हैं | कर्जदार किसी न्यूज चैनल का मालिक हो तो बैक को वित्त मंत्री का फोन आ जाता है | बैंक का मनेजर ब्याज की दर 19 से 9 फीसदी कर देता है | कर्जदार हवाई जहाज कम्पनी का मालिक हो | नेताओं को अपने दक्षिण अफ्रिका वाले जंगल में आवभगत करवाता हो | तो उसे विदेश भागने से भी कोई नहीं रोकता | पर बेचारा कर्जदार किसान क्या करे | उस की दुनिया तो घर,परिवार,खेत,गाँव, पंचायत तक सीमित है | कोई बैंक वाला उस की दहलीज पर आ जाए , वह तो शर्म से ही मर जाता है | उस के पास आत्महत्या के सिवा कोई चारा नहीं होता | या फिर पुलिस की गोली से मरे | किसान की हालत बेहद खस्ता है | बिचौलिए अभी भी खा रहे हैं | भाजपा ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का वादा किया था | तीन साल बीत गए | किसानों की हालत जस की तस है | 2022 का नया फार्मूला आ गया है | तब तक किसानों की आमदनी डबल करने का | पर सरकार को जनादेश तो 2019 तक का है | तब तक क्या करेंगे | कितना करेंगे | फिलहाल उस की बात करनी चाहिए | ताकि किसान न पुलिस की गोली से मारें, न आत्महत्या करें |

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