बंगाल में साम्प्रदायिक हिंसा से राजनीतिक टकराव 

Publsihed: 05.Jul.2017, 22:36

बंगाल जल रहा है | शुरुआत पिछले शुक्रवार एक छोटी सी जगह बदुरिया से हुई थी | सत्रह साल के एक बच्चे की फेसबुक पर आपतिजनक टिप्पणी से हिंसा भड़की | जेजे एक्ट के अनुसार बच्चे को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए | गिरफ्तार किया गया, तो उसे थाने में नहीं रखा जाना चाहिए | उसे फौरन आबजर्वेशन होम भेजा जाना चाहिए | बच्चा हिन्दू था, उस की टिप्पणी भारतीय संविधान के खिलाफ थी | आप किसी अन्य के धर्म की आलोचना-निंदा नहीं कर सकते | बच्चे की टिप्पणी इस्लाम के खिलाफ थी | यह अपराध है | बच्चे को गिरफ्तार कर लिया गया | इस के बावजूद सैंकड़ों हिन्दुओं के घर जला दिए गए | सैंकड़ों कारे,बसें,ट्रक जला दिए गए | उस नादान बच्चे की टिप्पणी सारे हिन्दुओं की टिप्पणी नहीं थी | चौबीस परगना जिले में 2000 लोगों की भीड़ ने हिन्दुओं की सम्पत्ति जलाई | पुलिस ने किसी हिन्दू की सुरक्षा नहीं की | चौबीस परगना में 1947 जैसा दोहराया गया | चौबीस परगना में 1984 जैसा दोहराया गया | चौबीस परगना में 2002 जैसा दोहराया गया | बस जगह बदल गई थी , हिंसक भीड़ बदल गई थी, भीड़ के शिकार बदल गए थे | भाजपा के एक डेलीगेशन ने राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से शिकायत की | राज्यपाल के पास वैसे भी रिपोर्टें पहुँच रही थी | राज्य की पुलिस ठीक से काम नहीं कर रही थी | तृणमूल कांग्रेस के सांसद-विधायक भीड़ को भड़का रहे थे | दो सांसदों इदरिस अली और हसन इमरान अहमद के भाषणों से हिंसा भड़की | सोमवार को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी से बात की | फोन पर हुई बातचीत में जरुर कुछ गर्मागर्मी हुई होगी | ममता का बातचीत का तरीका कौन नहीं जानता | केशरीनाथ त्रिपाठी के तेवर भी कौन नहीं जानता | वह यूपी के स्पीकर रहे हैं | स्पीकर रहते हुए उन ने विधायकों से कैसे निपटा था | वह भी पुराने लोग नहीं भूले होंगे | ममता बनर्जी ने खुलेआम राज्यपाल के खिलाफ टिप्पणी की |  कहा कि - "राजभवन को भाजपा और आरएसएस का दफ्तर बना दिया है | मैं उनके बात करने के तरीके से मैं आहत हूं | वह मुझ से ऐसे बात की जैसे ब्लाक भाजपा के नेता से बात की जा रही हो | गवर्नर कौन होता है क़ानून व्यवस्था पर मुझ से बात करने वाला | एक बार लगा कि कुर्सी छोड़ दूं  | लेकिन मैं बता दू कि मैं यहां किसी की दया पर नहीं हूं |" इतना कम नहीं था कि शिक्षा मंत्री पार्था चेटर्जी ने भी राज्यपाल के खिलाफ टिप्पणी की | केशरीनाथ त्रिपाठी भी गुस्से में थे | उन ने ममता बनर्जी के बात करने के तरीके पर होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह से शिकायत की | तो होम मिनिस्टर  ने उन्हें समझाया-" आप तो सुलझे हुए हैं | हालात को थोड़ा शांत रह कर संभालिए |" राज्यपाल और राष्ट्रपति के खिलाफ टिप्पणियाँ नहीं हुआ करती थी | अनेकों बार अनेकों मुख्यमंत्रियों का राज्यपालों से टकराव रहा | राम लाल ठाकुर ने तो आंध्र में एनटी रामाराव को बर्खास्त ही कर दिया था | भानु प्रकाश सिंह ने भी गोवा में विल्फ्रेड डिसूजा को बर्खास्त कर दिया था | बूटा सिंह ने तो नितीश कुमार को सरकार बनाने का न्योता तक नहीं दिया था | वैसे तीनों गवर्नरों को पद से हाथ धोना पडा था | पर राज्यपालों के खिलाफ इस तरह की टिप्पणियाँ  किसी ने नहीं की | जैसी ममता बनर्जी ने की | राष्ट्रपति को लिख कर शिकायत भी की | होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह को फोन कर के शिकायत की | राजनाथ सिंह ने ममता से क़ानून व्यवस्था पर स्पेशल रिपोर्ट माँगी | तो ममता का लहजा यंहा भी वैसा ही था | वह बोली -" रात को रूटीन रिपोर्ट मिल जाएगी | आप अपने गवर्नर को संभालिए | उसे बात करने का तरीका नहीं है | " ममता बनर्जी बगाल में केंद्र का दखल नहीं चाहती | भले ही भीड़ पूरे बंगाल को जला कर राख कर दे | इस लिए वह केंद्र को क़ानून व्यवस्था की रिपोर्ट देने को भी तैयार नहीं | केंद्र और राज्य के टकराव तो बहुत देखे हैं | पर संविधान को किनारे कर अहम् का ऐसा टकराव कभी नहीं देखा | मुख्तार अब्बास नकवी ने ठीक कहा -"ममता पहले तो सिर्फ घमंड से बात कर रहीं थी, लेकिन अब असंवैधानिक तरीके से काम और व्यवहार कर रही हैं |" बुधवार को राजभवन से राज्यपाल का बयान जारी हुआ | इसे ममता सरकार को चेतावनी भी समझना चाहिए | ऐसा ही टकराव येद्दुरप्पा और हंस राज भारद्वाज में हुआ था | जब दोनों ओर से बयानबाजी हुई थी |  राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने शिक्षा मंत्री पार्था चेटर्जी के बयान पर तो आपत्ति जाहिर की ही| ममता के उन आरोपों को भी गलत बताया | जिन में राजभवन को भाजपा या आरआररस का दफ्तर बताया गया था | उनने कहा - "राजभवन पर दोषारोपण करने की बजाए प्रदेश की स्थिति को संभाले, जो लगातार बिगड़ रही है |अगर मुख्यमंत्री चुनी हुई है , तो मैं भी चुनी हुई केन्द सरकार का प्रतिनिधी हूँ | मुझे भी के राष्ट्रपति ने तैनात किया है और मेरी भी सवैधानिक जिम्मेदारी है | मेरे  पास जो भी ज्ञापन या जानकारियाँ आती हैं , वे रद्दी की टोकरी में फैंकने के लिए नहीं होती |" शुक्रवार शाम तक का वाकयुद्ध इतना ही था | पर अपन दोनों की जहनियत जानते हैं, युद्ध तो अभी शुरू हुआ है | 

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