अब दो रंगे और दो बिल्लों को फांसी 

Publsihed: 05.May.2017, 22:27

गीता और संजय चोपड़ा का अपहरण मामला कम लोगों को याद होगा | जिन की उम्र अब साठ की होगी , उन्हें ही याद होगा | यह घटना 26 अगस्त 1978 की है | अब जो साथ साल के हैं, तब वे 20-21 के रहे होंगे | यह नई दिल्ली में हुआ एक कुख्यात अपराध था | दो बच्चों गीता और संजय चोपड़ा का फिरौती के इरादे से अपहरण किया गया था | अपहरणकर्ता कुलजीत सिंह और जसबीर सिंह बाद में रंगा और बिल्ला के नाम से मशहूर हुए | रंगा और बिल्ला मीडिया का दिया हुआ नाम था | बच्चों के  पिता नौसेना अधिकारी थे | जब रंगा-बिल्ला को यह जानकारी मिली , तो उन ने इरादा इरादा बदल लिया | सबूत को खत्म करने के लिए दोनों ने संजय की हत्या कर दी | गीता के साथ बलात्कार किया और फिर उसे भी मार डाला | तीन दिन बाद दोनों बच्चों की लाशें मिली थी | इस घटना ने सारे देश को हिला कर रख दिया था | रंगा और बिल्ला शहर छोड़ कर भाग गए | कुछ महीने बाद एक ट्रेन में उन्हें गिरफ्तार किया गया | चार साल बाद 1982 में दोनों को फाँसी पर लटका दिया गया | इस घटना के 34 साल बाद 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली फिर दहल गई थी | दिल्ली के इस जघन्य अपराध पर पूरे देश में आक्रोश फैला | यह वारदात दिल्ली के दक्षिणी दिल्‍ली के मुनीरका इलाके में हुई | पढाई के लिए दिल्ली आने वालों का मनपसंद इलाका है यह | बढ़ती सर्दी के साथ सड़क पर ट्रैफिक भी कम था | तकरीबन नौ बजे एक लड़की अपने दोस्‍त के साथ बस का इन्तजार कर रही थी |  वह लड़की बाद में निर्भय के नाम से जानी गई | उसे अपने घर पालम विहार जाना था | तकरीबन साढ़े नौ बजे एक सफेद बस रुकी | उसमें से एक शख्‍स ने उन लोगों को बस में चढ़ने का ऑफर दिया | थोड़ा हिचकते हुए वे दोनों बस में चढ़ गए | उस बस में ड्राइवर समेत छह लोग पहले से मौजूद थे | राम सिंह (32) मुकेश सिंह (32)पवन गुप्‍ता (24) विनय शर्मा (26) अक्षय ठाकुर (33) छटा था 17 साल का नाबालिग | थोड़ी देर बाद उन दरिंदों ने वह कृत्‍य किया जिससे मानवता भी शर्मसार हो गई |  दोनों को बुरी तरह से पीटा और निर्भया के साथ गैंगरेप किया | चौंतीस साल पहले  मीडिया ने दो अपराधियों को बिल्ला और रंगा कहा था | मीडिया ने इस बच्ची को निर्भय नाम दिया | इस वारदात ने गीता और संजय चोपड़ा की याद दिला दी |  वे दोनों भाई बहन थे | ये दोनों दोस्त थे | उन दोनों को दरिंदों ने मार दिया था | इन दोनों को भी बस के नीचे दे कर मारना चाहते थे | सफल नहीं हुए तो महिपालपुर फ्लाईओवर के पास फेंक कर चले गए | कराहते युवक ने किसी तरह पीसीआर वैन बुलाई | जिसने उनको अस्‍पताल पहुंचाया | निर्भय 11 दिन तक अस्पताल में मौत से जूझ रही थी | तब देश के युवक सडकों पर उतर चुके थे | ऐसा आन्दोलन खडा हुआ, जिस ने देश की अंतरात्‍मा को झकझोर डाला था |  प्रतिबंध के बावजूद हजूम इंडिया गेट के लान में पहुँच गया था | गौह्त्या पर प्रतिबंध और जेपी आन्दोलन की याद ताज़ा हो गई | नरसिंह राव के जमाने में इंडिया गेट पर प्रदर्शन प्रतिबंधित कर दिए गए थे | बाबरी ढांचा टूटने के बाद 1992 में मुरली मनोहर जोशी ने इंडिया गेट कूच की कोशिश की थी | पानी की तेज बौछारों ने उन्हें रोका ही नहीं, जख्मी भी कर दिया था | इस घटना के बीस साल बाद सफलतापूर्वक इंडिया गेट कूच हुआ | रायसीना हिल पर पहुंचे युवाओं के हजूम ने थियानमेन चौक की याद दिला दी | वह तो मनमोहन सरकार का दखल था, जो खून की नदी नहीं बही | वरना चीन और भारत की पुलिस में ज्यादा फर्क नहीं | प्रदर्शन के दूसरे दिन पुलिस की दरिन्दगी भूलने वाली नहीं | ग्यारह दिनों के बाद निर्भया की मौत हो गई | सभी छह अपराधी पकडे जा चुके थे | पहली बार देखा कि केंद्र सरकार को सख्त क़ानून बनाना पडा | जेएस वर्मा की अध्यक्षता में कमेटी बनी | कमेटी ने कानूनों में बदलाव की सिफारिश की | सिफारिशों को मान कर पहले ऑर्डिनेंस जारी हुआ , फिर संसद ने बिल पास किया | महिलाओं की मांग थी कि बलात्कार और हत्या के मामले में उम्र चाहे कुछ भी हो | आरोपी के खिलाफ मुकद्दमा व्यस्क की तरह ही चले | मनमोहन सरकार ने जुवेनाईल जस्टिस एक्ट में फेरबदल नहीं किया | नतीजतन छटा अपराधी तीन साल में छूट गया | नाबालिग पर जुवेनाईल जस्टिस एक्ट के तहत मुकद्दमा चला | जुवेनाईल जस्टिस एक्ट में अधिकतम तीन साल की सजा थी | वह दिसंबर, 2015 में सजा पूरी करने के बाद रिहा हो चुका | इसी शख्‍स ने निर्भया को बस में चढ़ने के लिए कहा था | अब मोदी सरकार ने जुवेनाईल जस्टिस एक्ट भी बदल दिया है | अपराधी अगर 16 साल या ऊपर का होगा तो मुकद्दमा सामान्य कोर्ट में जा सकता है |  बलात्कार और हत्या के मामले अधिकतम सज़ा तीन साल नहीं होगी | इन चार सालों में बहुत कुछ बदला है | क़ानून सख्त हुए हैं | एसिड अटैक से ले कर पीछा करने तक के क़ानून सख्त हुए हैं | उधर पांच व्यस्क अपराधी अभी तक जेल में हैं  |  राम सिंह ने 10 मार्च 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी | विनय शर्मा ने भी जेल में आत्महत्या की कोशिश की थी | शुक्रवार को बाकी चारों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया | निचली अदालत ने 13 सितंबर, 2013 को चारों को सजा-ए-मौत दी थी | 13 मार्च, 2014 को दिल्‍ली हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा | पांच मई को सुप्रीम कोर्ट ने भी चारों की सजा-ए-मौत बरकरार रखी है | रंगा और बिल्ला को भी फांसी दी गई थी | चौंतीस साल बाद इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है | अब दो रंगा, दो बिल्ला  फांसी पर चढ़ेंगे | सुप्रीमकोर्ट ने जब फैसला सुनाया तो निर्भया के माता-पिता कोर्ट में मौजूद थे | फैसला सुनकर निर्भया की मां की आंखों में आंसू आ गए | सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया | जजों का सुनकर निर्भया की मां ने तालियां बजाईं | इसके बाद कोर्ट रूम में अंतिम बेंच पर बैठे लोग भी ताली बजाने लगे | कोर्ट में ताली बजाने के मौके यादगार होते हैं | 

आपकी प्रतिक्रिया