राहुल की पीठ में छुरा घोंप रहे नेहरूवादी 

Publsihed: 05.Dec.2017, 22:45

अजय सेतिया / आज बाबरी ढांचा टूटने की 25वीं साल गिरह है | रामभक्तों ने 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा तोड़ दिया था | तब से तीन केस अदालत में चल रहे हैं | एक बाबरी ढांचा तोड़ने वालों के खिलाफ | एक ढांचा तोड़ने की साजिश रचने का केस | तीसरा केस विवादास्पद जमीन के टाईटल का | टाईटल का केस अंतिम दौर से गुजर रहा है | इलाहाबाद हाई कोर्ट 30 सितम्बर 2010 को फैसला सुनाया था |  फैसले से पहले विवादास्पद जमीन की खुदाई करवाई गई थी | खुदाई करने वाली टीम में आधे मुस्लिम और आधे हिन्दू थे | खुदाई में मंदिर के अवशेष मिले थे | हाईकोर्ट के फैसले में मंदिर के अवशेषों का जिक्र है | तीनों जजों ने माना था कि बाबरी ढांचा मन्दिर के मलबे पर खडा था | सभी जजों ने  सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा ठुकरा दिया था | पर दो जजों सुधीर अग्रवाल और एसयू खान ने संतुलन बनाने वाला फैसला दिया | विवादित जमीन का एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया | इन जजों ने कहा कि मुस्लिम वहां लम्बे समय तक नमाज पढ़ते रहे हैं | इस लिए एक तिहाई जमीन उन्हें दे दी जाए | हाई कोर्ट ने कहा कि परिसर के एक हिस्से में भगवान राम विराजमान हैं | वह राम जन्मभूमि मंदिर के लिए दिया जाता है | दूसरे पर सीता रसोई और राम चबूतरा बना है | उस पर निर्मोही अखाड़े का कब्जा रहा है | इसलिए यह हिस्सा निर्मोही अखाड़े के ही पास रहेगा | कोर्ट के इस फैसले पर सभी पक्ष असहमत थे | सो तीनों पक्ष सुप्रीमकोर्ट चले गए |  निर्मोही अखाड़ा, भगवान राम विराजमान, अखिल भारत हिंदू महासभा, जमीयत उलेमा- ए- हिंद और यूपी सुन्नाी सेंट्रल वक्फ बोर्ड | सुप्रीमकोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के  फैसले को स्थगित तो किया ही | हाईकोर्ट के फैसले को अजीब और अचरज भरा भी बताया | सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि जो किसी पक्ष ने मांगा ही नहीं था | हाईकोर्ट उस विवादित स्थल के विभाजन तक पहुंच गया | पिछले सात साल से मामला सुप्रीम कोर्ट में लटका है | सुब्रह्मन्यम स्वामी इस साल के शुरू में कोर्ट गए | उन ने कोर्ट में कहा कि कोर्ट कितने दिन मुकद्दमें पर बैठी रहेगी | उन ने रोज रोज सुनवाई कर मामला जल्द नि[पटाने की अर्ज की | उसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 दिसम्बर से दैनिक सुनवाई का फैसला सुनाया था | बीच में कोर्ट ने गुजारिश की थी कि बातचीत से विवाद सुलझाने की कोशिश हो | पिछले दिनों श्रीश्री रवि शंकर ने बीच बचाव की पहल की थी | शिया वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि बाबरी ढांचा असल में शिया मस्जिद थी | इस लिए असली दावा उन का है | शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीमकोर्ट में लिख कर दिया कि वहां मंदिर बना दिया जाए | मस्जिद लखनऊ  में बनाई जाए | पर बातचीत किसी सिरे पर नहीं पहुँची | बीच में सुना था कि श्रीश्री रवि शंकर बातचीत से हल के लिए कोर्ट से और वक्त मांगेंगे | पर ऐसी याचिका दाखिल नहीं हुई | यानी श्रीश्री रवि शंकर ने बातचीत से हल पर हथियार डाल दिए | मंगलवार से दैनिक सुनवाई शुरू होनी थी | पर जैसे ही कोर्ट शुरू हुई , दो नई याचिकाएं दाखिल हो गई | एक याचिका अवार्ड वापसी गैंग की तरफ से थी | अवार्ड वापसी  गैंग के 32 सदस्यों की रहनुमाई तीस्ता शीतालवाद कर रही थी | वही गुजरात में मोदी के खिलाफ मुहीम चलाने वाली | याचिका में ज्यादातर वामपंथी टाईप लोग हैं | जिन का मकसद किसी न किसी तरह हिन्दुओं का विरोध करना है | इस याचिका से जाहिर हो गया कि तीस्ता शीतालवाद के पीछे कौन था | इस गैंग की याचिका में वही बात कही गई है , जो यूपीए सरकार ने रामसेतू के मामले में कही थी | अपन याद दिला दें | यूपीए सरकार राम सेतू तोड़ना चाहती थी | इस लिए उस ने कोर्ट में कहा - इस बात के कोई सबूत नहीं कि राम थे भी या नहीं | मंगलवार को अवार्ड वापसी गैंग ने रामजन्मभूमि के बारे में भी यही तर्क दिया | याचिका में यह भी कहा गया कि धर्म अफीम है | यह वामपंथी थ्योरी है | अब इस से यह भी जाहिर हो गया कि रामसेतू पर यूपीए के हल्फिया बयान के पीछे कौन था | यानी इसी गैंग ने कांग्रेस को गुमराह किया था | दूसरी याचिका यूपी के सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दाखिल की | जिस के तीनों वकील कांग्रेसी हैं | कपिल सिब्बल, राजीव धवन और दुष्यंत दावे | तीनों का तर्क था कि मोदी सरकार कोर्ट के कंधे पर बन्दूक रख कर मंदिर बनाना चाहती है | मोदी ने रामजन्मभूमि मंदिर बनवाने का वादा किया था | वह कोर्ट से फैसला करवा कर मंदिर बनवाना चाहती है | इन तीनों ने दलील दी कि 15 जुलाई 2019 तक सुनवाई स्थगित की जाए | यानी लोकसभा चुनाव के बाद फैसला हो | यानी नेहरूवादी सोमनाथ मंदिर की तरह रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण रोकने को भी सामने आ गए हैं | हालांकि कोर्ट ने सिब्बल एंड कम्पनी की बात नहीं मानी | पर दो महीने के लिए तो सुनवाई टाल दी | अब सुनवाई फरवरी से शुरू होगी | यानी गुजरात चुनाव तक राहत | सवाल खड़ा होता है क्या नेहरूवादी राहुल गांधी को सही रास्ते पर जाने देंगे | क्या राहुल इन सिब्बलों के रहते कांग्रेस को सही रास्ते पर ला पाएंगे | तीन कांग्रेसी वकीलों की याचिका ने गुजरात में राहुल गांधी के किए कराए पर पानी फेर दिया है | राहुल कांग्रेस को अल्पसंख्यकवाद से निकालने में जुटे हैं | पर नेहरूवादी उन की पीठ में छूरा घोंप रहे हैं | भाजपा ने तो आरोप लगा दिया है कि राहुल ने ही सिब्बल को हरी झंडी दे कर कोर्ट भेजा है | अब राहुल गांधी को साबित करना होगा कि सिब्बल का स्टेंड कांग्रेस का स्टेंड नहीं | अमित शाह ने राहुल गांधी से जवाब माँगा है | 
 

आपकी प्रतिक्रिया