देश में खुद की जमीन खिसकाने वाले काम,बाहर कामयाबी 

Publsihed: 04.Sep.2017, 23:59

नरेंद्र मोदी को एक बड़ी सफलता मिली है | अपन मंत्रिमंडल विस्तार की बात नहीं कर रहे | उसे अपन कोई सफलता नहीं मानते | वह असफलता की ओर बढ़ने का पहला कदम है | नौ नए मंत्रियों में से चार ब्यूरोक्रेट का होना भाजपा कैडर का मनोबल तोड़ गया है | अपनी कई सांसदों से बात हुई | चार चार बार से जीत रहे सांसदों से बात हुई | जिन का पब्लिक लाईफ में अच्छा अनुभव है , उन से बात हुई | करीब करीब सभी बेहद गुस्से में हैं | लगभग सभी ने छूटते ही कहा -"हम मूर्ख हैं क्या !" अपन तो शुरू से ही मान रहे थे कि 2018 आते आते पार्टी में आक्रोश बढेगा | जिस की शुरुआत 3 सितम्बर के मंत्रिमंडल फेरबदल से हो गई है | उमा भारती ने तेवर दिखा कर सांसदों को रास्ता बता दिया है | खासकर आर के सिंह को मंत्री बनाए जाने पर गुस्सा है | काडर में भी गुस्सा पनपा है | आरके सिंह ने 1990 में आडवाणी का राम रथ रोका था | वह तो चलो उन ने तब के मुख्यमंत्री लालू यादव का हुक्म बजाया था | पर देश के गृहमंत्री रहते आरके सिंह ने आरएसएस को आतंकी संगठन बताया था | 2013 में उन ने अनेक अखबारों , न्यूज चेनलों को इंटरव्यू दे कर संघ को आतंकी संगठन कहा था | सोशल मीडिया पर उन के वे बयान चल रहे हैं | रिटायर होने के बाद भी वह संघ-भाजपा के खिलाफ थे | जब नीतीश कुमार ने उन्हें अपना एडवाईजर नहीं बनाया , तब वह भाजपा की तरफ आए थे | पता नहीं कैसे जुगाड़ से लोकसभा टिकट पा गए | फिर उन ने विधान सभा में अपनी जाति वालों को टिकट दिलाने की कोशिश की | फेल हो गए , तो उन ने बयान दिया था कि भाजपा में टिकट बिके हैं | यह तो विचारधारा के स्तर पर गुस्से की बात | भाजपा के सांसद तो ब्यूरोक्रेट्स को मंत्री बनाने को लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी बताने लगे हैं | सो कुल मिला कर अपना मानना है कि आक्रोश का नींव पत्थर मोदी ने खुद रख लिया है | संसदीय लोकतंत्र प्रणाली में अमेरिका जैसी राष्ट्रपति प्रणाली नहीं चल सकती | खैर अपन ने शुरू में ही कहा था कि मोदी को एक बड़ी सफलता मिली है | अपन उस सफलता वाले असली मुद्दे पर आते हैं | नए मंत्रियों को शपथ दिलाने के फौरन बाद मोदी चीन रवाना हो गए थे | ब्रिक्स यानी ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका | बी-ब्राजील, आर-रूस, आई-इंडिया ,सी-चीन, एस-साऊथ अफ्रीका | जहां पहुंचते ही हवाई जहाज के सामने ही उन का गीत संगीत और नृत्य से जोरदार स्वागत हुआ | श्यामन शहर के विंधम ग्रैंड होटल में उनके ठहरने का इंतजाम था | वहां उन का स्‍वागत 'होठों से छू लो तुम ' गीत के साथ हुआ | 1981 में रिलीज हुई फिल्म प्रेम गीत में इसे जगजीत सिंह ने गाया था | चीन से डोक्लाम तकरार के बाद मोदी की चीन यात्रा का खासा महत्व है | खासकर चीन के पाकिस्तान के करीब आने और भारत के अमेरिका के करीब चले जाने के कारण | चीन लगातार पाकिस्तानी आतंकवादियों पर प्रतिबंध का विरोध करता रहा है | इस की मुख्य वजह भारत का आतंकवादीयों पर प्रतिबंध लगाने की मांग है | जैसी उम्मींद थी मोदी ने ब्रिक्स प्‍लैनरी सेशन में सुरक्षा का मुद्दा उठाया | उन ने समझाने वाले लहजे से यह भी कहा कि शांति और विकास के लिए एकदूसरे का सहयोग जरूरी है | मोदी को सफलता तब मिली जब ब्रिक्‍स घोषणापत्र में आतंकवाद का जिक्र हो गया | जिक्र भी पाकिस्‍तान के आतंकवादी संगठनों का हुआ | लश्‍कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्‍मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्‍तान, हक्‍कानी नेटवर्क और हिज्‍ब-उत-तहरीर का नाम लेकर आलोचना की गई | घोषणापत्र में कहा गया कि आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है | यह भी कहा गया कि आतंकी संगठनों की वित्तीय मदद रोकी जाए | पाकिस्तान का जिक्र भले नहीं हुआ | पर ये सब संगठन चल तो पाकिस्तान की जमीन से रहे हैं |घोषणापत्र में सभी पांचों सदस्‍य देशों की सहमति होती है | इसका फायदा दुनिया के अन्‍य मंचों पर भी  मिलता है | यह इसलिए भी अहमियत रखता है कि ब्रिक्‍स चीन में हो रहा है | चीन अब तक पाकिस्तान के इन्हीं आतंकी संगठनों का समर्थन कर रहा था |  यानी पाकिस्‍तान को लेकर चीन के रूख में बदलाव की सम्भावना बनती  है | पहले चीन ने कोशिश की थी कि भारत आतंकवाद और पाकिस्तान का मुद्दा न उठाए | पर भारत ने साफ़ कह दिया कि चीन हमें गाईड करने की कोशिश न करे | घोषणा पत्र में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के नाम आने से नरेंद्र मोदी का खुश होना स्वाभाविक है | अब अपनी निगाह समापन भाषण पर है | जहां मोदी पाकिस्तान को आतंकवाद को पनाह देने वाला देश कह सकते हैं | आतंकवाद के मसले पर हाल ही में अमेरिका ने बहुत कडा रूख अपनाया है | पाकिस्तान को दो-टूक धमकी दी है | अब यह तो हो नहीं सकता कि गवाह चुस्ती  दिखा जाए और मुद्दई सुस्त रहे | 
 

 

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