गोल कुंडम का तीसरा मोर्चा

Publsihed: 04.Apr.2018, 19:50

अजय सेतिया / कांग्रेस के राजनीतिक पंडित बदलती राजनीतिक फिजां पर नजर टिकाए हुए हैं | राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी के बाद अचानक से तीसरे मोर्चे की गतिविधियाँ बढ़ गई हैं | कांग्रेस के साथ गठबंधन करने वाले अखिलेश यादव भी खुद को तीसरे मोर्चे के साथ जोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं | तीसरे मोर्चे में जान फूंकने के लिए पिछली बार सरकार बनाने वाले लोकतांत्रिक मोर्चे का कोई न कोई नेता दिल्ली आ रहा है | कुछ गतिविधियाँ दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में हो रही हैं, तो कुछ संसद के केन्द्रीय कक्ष में भी, जिसे हिन्दी भाषी सांसदों ने अब नया नाम "गोल कुंडम" दिया है | गोल कुंडम राजनीतिक हवा का रूख बताता है | इस हफ्ते के तीन दिन बहुत कुछ कहते हैं , पहले दिन सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने दिल्ली में डेरा जमाया और राजनीति की गोटियाँ बिछाई | वह शरद पंवार और संजय राउत के साथ दिखाई दी | शरद पंवार मौटे तौर पर कांग्रेस के साथ हैं , हालांकि प्रफुल्ल पटेल ने गुजरात में मोदी की मदद की थी, लेकिन शरद पवार पिछले दिनों सोनिया गांधी के भोज में भी शामिल हुए थे | उधर संजय राऊत की पार्टी शिव सेना राजग में शामिल है और केंद्र के साथ साथ महाराष्ट्र में भी भाजपा सरकार में हिस्सेदार है | यानी ममता बेनर्जी ने यूपीए और एनडीए दोनों में सेंध लगाना शुरू किया है | यह सोमवार का दिन था जब संजय राऊत ने कहा कि शिवसेना कर्नाटक में कम से कम 60 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है |

मंगलवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू दिल्ली में प्रकट हुए और उन्होंने राजनीतिक तापमान को और तेज कर दिया | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आंध्र भवन जा कर चंद्रबाबू नायडू से मुलाक़ात की | यह मुलाक़ात इस लिए अहम है, क्योंकि वह ममता बेनर्जी के करीब आए हैं और हाल ही में कमल हासन की ओर से तमिलनाडू में क्षेत्रीय पार्टी लांच किए जाने के मौके पर मुख्य अतिथि थे | तमिलनाडू को ले कर पूरी तरह असमंजस की स्थिति बनी हुई है | डीएमके के सितारे बुलंद बताए जा रहे हैं, लेकिन वह किस करवट बैठेंगे, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता | डीएमके एक ऐसी पार्टी है , जो लोकतांत्रिक मोर्चा , संयुक्त मोर्चा और राष्ट्रीय मोर्चा यानी तीनों मोर्चों में रह चुकी है | इस लिए केजरीवाल के माध्यम से ममता बनर्जी ने कमल हासन का रास्ता खोला है | तीसरे मोर्चे के लिए ममता बेनर्जी सर्वाधिक सक्रिय है, उन्होंने महाराष्ट्र के दो विपरीत ध्रुवों एनसीपी और शिवसेना से सम्पर्क साधा है | केजरीवाल और कमल हासन से सम्पर्क साधा है , तो एक दुसरे के घोर विरोधी चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्र शेखर राव से भी एक दुसरे के पक्ष में बयान दिलवा दिए हैं | ममता बेनर्जी के बाद चन्द्र बाबू नायडू ने दिल्ली आ कर मोर्चा सम्भाला और मोदी सरकार के खिलाफ अपनी पार्टी की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए लाबिंग की | 

गोल कुंडम किसी भी लाबिंग के लिए मुफीद जगह मानी जाती रही है | सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी कभी कभी गोल कुंडम में आ कर वरिष्ठ पत्रकारों से फीड बैक लेते रहते हैं | लाल कृष्ण आडवानी अभी भी कभी कभी गोल कुंडम में आ कर फ़िल्टर काफी का स्वाद चखते हैं | मुरली मनोहर जोशी तो अक्सर रोज दिखाई देते हैं | अब जब से राज्यसभा के सदस्य बने हैं अमित शाह भी कभी कभी अपनी टोली में घिरे हुए दिखते हैं | खैर इस हफ्ते के दुसरे दिन चन्द्र बाबू नायडू भी एक घंटे से ज्यादा गोल कुंडम में दिखाई दे कर राजनीतिक गोटियाँ  बिछाते हुए दिल्ली की राजनीतिक गर्मी बढाते रहे | लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार के समय चंद्रबाबू नायडू संयोजक थे और उनकी तूती बोलती थी | चन्द्र बाबू नायडू को देख तीसरे मोर्चे की आहट महसूस करने वाले राजद , सपा , एनसीपी  और अन्य छोटे दलों के सांसदों और पूर्व सांसदों की बांछें खिली हुई थी | इस लिए मंगलवार को चंद्रबाबू नायडू के साथ फोटो खिंचवाने वालों की होड़ लगी थी | चंद्रबाबू नायडू के साथ सब से ज्यादा महत्वपूर्ण मुलाकात राजनीतिक बनवास भोग रहे मुरली मनोहर जोशी की रही | मार्ग दर्शक मंडल में भेज दिए जाने के बाद भी वह राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति पद की उम्मींद लगाए बैठे थे | अब कोई संभावना नहीं बची है | हालांकि वह यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा , अरुण शौरी या कीर्ती आज़ाद की तरह मुहं फट नहीं हुए हैं, पर आजकल उन की जुबान से मोदी की तारीफ़ नहीं निकलती | सुनते हैं चंद्रबाबू नायडू ने पंडित जी से आशीर्वाद माँगा था और ब्राह्मण ने आशीर्वाद दे दिया है | 

बुधवार को मोर्चा अखिलेश यादव ने सम्भाला | वैसे तो जब से अखिलेश यादव ने गौरखपुर और फूलपुर में अपना जलवा दिखाया है , तब से संसद के गलियारों में सपा सांसदों खासकर राम गोपाल यादव की ताकत बढ़ी  हुई दिख ही रही है | जिस दिन गौरखपुर और फूलपुर का रिजल्ट आना था , उस दिन सपा के सांसद अपनी लाल टोपियाँ अपनी जेब में डालकर लाए थे | जैसे ही रिजल्ट आए टोपियाँ जेबों से निकल कर उन के सिरों पर विराजमान हो गईं थी | राज्यसभा, लोकसभा और गोल कुंडम में उस दिन लाल टोपियों की धूम थी | उस के बाद बुधवार को पहली बार अखिलेश यादव संसद में अपना रूतबा दिखाने आए , तो गोल कुंडम में भी दिखे | संसद भवन की सीढ़ियों से ले कर हर कौने में उन के साथ फोटो खिंचवाने वालों की होड़ थी | यहाँ तक कि सुरक्षा कर्मियों ने भी अखिलेश यादव के साथ फोटो खिंचवाए | लेकिन वह फोटो बहुत ज्यादा याद रखे जाने वाला होगा जिस में अखिलेश यादव के साथ सपा, राजद सांसदों के अलावा एन्सेपी की सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले , इंद्र कुमार गुजराल के बेटे और अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल और प्रकाश सिंह बादल की पुत्रवधू बीबी हरसिमरत कौर बादल भी मौजूद थी | हरसिमरत कौर एनडीए सरकार में मंत्री भी हैं | शिवसेना के बाद अकाली दल के एनडीए से खिसकने की अटकले हैं | नरेश गुजराल ने हाल ही में एनडीए से अकाली दल की नाराजगी का इजहार यह कहते हुए किया था कि गठबंधन चलाने के लिए वाजपेयी जैसे टच की जरुरत होती है |  

इस तरह केजरीवाल को शामिल करते हुए दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट शुरू हो गई है | लेकिन उस में वामपंथी दलों की भूमिका दिखाई नहीं देती, जबकि इस से पहले जब भी तीसरे मोर्चे का जन्म हुआ , उस में वामपंथी दलों की अहम भूमिका थी | राजनीतिक गलियारों में वामपंथी दलों को ले कर असमंजस की स्थिति है , बंगाल में उनकी ममता बेनर्जी से सीधी टक्कर है और केरल में कांग्रेस से , तो वे किधर जाएं | बंगाल के बड़े नेता के तौर पर सीता राम येचुरी हैं , जो कांग्रेस से गठबंधन की पैरवी करते रहे हैं , लेकिन केरल के प्रभावी नेता प्रकाश कारत ने उन की एक नहीं चलने दी | हालांकि त्रिपुरा में वामपंथियों की करारी हार के बाद माकपा में प्रकाश कारत की हैसियत घटी है और सीता राम येचुरी की ताकत बड़ी है | माकपा में यह महसूस किया जा रहा है कि उन का पहला दुश्मन भाजपा है, न कि कांग्रेस , इसलिए कांग्रेस के साथ गठबंधन का मार्ग खोला जाना चाहिए | ममता बेनर्जी अगर तीसरे मोर्चे की लीडर बन कर उभरती है तो आने वाले दिनों में माकपा में खुल कर केरल बनाम बंगाल होगा और उसे तय करना होगा कि उसे दुसरे मोर्चे अर्थात कांग्रेस के साथ जाना है या तीसरे मोर्चे के साथ | यानी उसे केरल में अपनी जड़ों में मठ्ठा डालना है या बंगाल में | 
 

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