अजय सेतिया/ बाकी सब मुद्दे अपन छोड़ भी दें|नोटबंदी ,जीएसटी , बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं जैसे आर्थिक मुद्दे अपन भूल भी जाएँ | तो भी कश्मीर की विफलता सब को खटक रही है | पाँचवाँ आखिरी साल शुरू हो गया | नरेंद्र मोदी ने आतंकियों की फंडिंग बंद करने के लिए नोटबंदी कर के भी देख ली | हूरियत के नेताओं की नजरबंदी कर के भी देख ली | रमजान के महीने में एक तरफा युद्धबंदी कर के भी देख ली | सर्जिकल स्ट्राईक कर के भी देख लिया | बिना न्योते पाकिस्तान जा कर भी देख लिया | पर न पाकिस्तान ने युद्धविराम माना | न उस के पालतू आतंकियों ने आतंकवाद छोड़ा | न कश्मीर के मुस्लिम युवाओं ने आतंकवादियों का साथ देना छोड़ा | कहा गया था कि नोटबंदी से पत्थरबाजी बंद होगी | जो नोटबंदी के बाद पहले से भी ज्यादा बढ़ गई | अब तो सेनिको को गाड़ियों से खींच कर उतारने की कोशिश हो रही है | पिछले दिनों सारे देश ने टीवी चेनलों पर सेना की गाड़ी पर चौतरफा पथराव वाला वीडियो देखा | सोमवार को फिर सोपोर , सोफिया और पुलवामा में पथराव हुआ | पाकिस्तान की तरफ से युद्धविराम का उलंघन जारी है | पाकिस्तान में अब करीब करीब सारे मुसलमान हैं | जो हिन्दू और ईसाई बचे थे | वे भी अब गिनती के ही रह गए | जब 100 फीसदी मुस्लिम फौज रमजान के महीने में कत्ल-ओ-गारत से बाज़ नहीं आती | सोमवार को भी दो सुरक्षाकर्मियों की लाशें उन के घर पहुंची | तो हिन्दू हृदय सम्राट नरेंद्र मोदी युद्धविराम कर हिंदुओं को क्यों मरवा रहे हैं | अब यह सवाल देश भर में उठ रहा है | सवाल यह भी उठ रहा है कि महबूबा मुफ्ती भाजपा की साझीदार है या भाजपा विरोधी | वह पाकिस्तान प्रांत की मुख्यमंत्री हैं या भारत के प्रांत की | वह पाकिस्तान की गोलीबारी की निंदा नहीं करती | वह पाकिस्तान से बातचीत की वकालत करती हैं | वह पथरबाज़ों को भटका हुआ बता कर उन की वकालत करती है | उन्हें रिहा करती है | उल्टे सेना के खिलाफ एफआईआर करवाती है | वह हूरियत कान्फ्रेंस की निंदा नहीं करती | हूरियत से बातचीत की वकालत करती हैं | अपन को समझ नहीं आ रहा हूरियत नेताओं पर जो छापेमारी हुई थी | बड़े पैमाने पर संपत्ति पकड़े जाने की जो बातें छ्पवाई गई थीं | उन का फिर बाद में क्या हुआ | क्या महबूबा मुफ्ती ने सभी मामले बंद करवा दिए | हूरियत के खिलाफ आक्रोश भड़क रहा है | इस के बावजूद महबूबा का समर्थन जारी है | अपन ताज़ा घटना को ही ले लेते हैं | चौबीस साल का क़ैसर अहमद नौहट्टा में सीआरपीएफ की गाड़ी के नीचे आ गया था | वह एक दुर्घटना थी | उसी के बाद भीड़ ने सीआरपीएफ की गाड़ी पर चारों तरफ से हमला किया था | क़ैसर अहमद इस दुर्घटना में मर गया , तो हुर्रियत वालों ने उस की लाश सड़क के बीचों बीच रख दी | महबूबा मुफ्ती ने सीआरपीएफ के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज करवाई | लोग उस के घर बैठने पहुंचे | तब मातम मनाने आए लोगों के सामने परिवार का गुस्सा फूटा | क़ैसर अहमद के अब्बा ने खड़े हो कर सब से सवाल पूछे | उसने कहा-" हमारा बच्चा मर गया , और आप के बच्चे बेहतरीन शिक्षा पा रहे हैं | खुद गिलानी की पोती डीपीएस में पढ़ती है | मैं भी किसी समय गिलानी के लिए जान देने को तैयार था | वह हमें कहते थे अपने बच्चों को क्रिश्चियन स्कूलों में मत पढ़ाओ | गिलानी साहब का स्टेटमेंट है यह | वही गिलानी बोल रहे हैं कि मैं बधाई देता हूँ | और यह यूथ के लिए स्टूडेंट के लिए रोल माडल है | जब कि क़ैसर , जिस की दो बहनो को पता भी नहीं कि शहादत है क्या | उन्हें नहीं पता कि उन का भाई क्यों मरा | क़ैसर को पता भी नहीं था की धर्म क्या है | ये निज़ाम-ए-मुस्तफा चलाएँगे | जिस व्यक्ति को मौत के बाद एक घंटे के अंदर सपूर्दे खाक हो जाना चाहिए , आप उसे सड़क पर रख कर नुमाइश करते हो | क्या यह निज़ाम-ए-मुस्तफा है ? क्या यह शरीयत है ? ये तो निजाम-ए-मुस्तफा था ही नहीं कभी | हमारे पैगंबर रसूल ने कभी किसी मय्यत का इंतजार नहीं करवाया | सिर्फ नारेबाजी हो रही है | हमे एक जवाब दो की लीडरशिप क्या कर रही है ? एक शहीद अपनी कब्र में क्या करेगा ? ऐसे लाखों लोग है जो अब डरते हैं हुर्रियत के नाम से | " जिन के बच्चे मर हैं , उनकी हुर्रियत के खिलाफ यह खुली बगावत है | वे अपने बच्चों की रोज हो रही मौतों से सहमे हुए हैं | मोदी सरकार के लिए महबूबा से पिंड छुड़ाने का बेहतरीन मौका है | जो हुर्रियत की झौली में बैठी है | क्या भाजपा कोई फैसला करेगी | कठुआ कांड के वक्त अपन को लगता था अब मोदी का रूख कडा होगा | भाजपा के विधायक सरकार गिराने के मूड में थे | पर मोदी ने हाथ पीछे खींच लिए | महबूबा को हिन्दू विरोधी साजिश का खेल खेलने दिया | महबूबा से यह भी नहीं पूछा कि उसे सीबीआई जांच पर एतराज क्यों है | यह सत्ता में हिस्सेदारी का खेल कब तक चलता रहेगा | मोदी की कश्मीर नीति उन के जी का जंजाल बनने वाली है |
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