क्या भाजपा सांसदों का मोहभंग हो गया मोदी से 

Publsihed: 04.Jan.2018, 12:13

क्या भारतीय जनता पार्टी में निराशा की स्थिति पैदा हो गई है | क्या पार्टी में नरेंद्र मोदी का इकबाल खत्म हो गया है | बुधवार को ऐसी दो घटनाएं हुई हैं , जो इस ओर इशारा करती हैं | हर सप्ताह की तरह बुधवार को भाजपा संसदीय पार्टी की बैठक थी | बैठक सुबह साढे नौ बजे बुलाई गई थी | अक्सर बैठक डेढ़ घंटा चलती है , इस लिए 11 बजे संसद की बैठक शुरू होने से डेढ़ घंटा पहले ही बुलाई जाती है | इस बुधवार की बैठक संसद के शीत सत्र की आख़िरी बैठक थी | जिस में भाजपा संसदीय दल के नेता नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण भाषण होना था | भाजपा आलाकमान उम्मींद कर रहा होगा कि हाजिरी सौ फीसदी होगी | भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी अब राज्य सभा के सदस्य हैं | इस लिए उन का भाषण भी होना था | भाजपा ने संसद सत्र के आख़िरी तीन चार दिनों के लिए व्हिप भी जारी किया हुआ था | जिस का असर भाजपा की संसदीय दल की बैठक पर भी दिखना चाहिए था | पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह बैठक में सांसदों की हाजिरी देख कर हैरान हुए होंगे | अपन को छटी बार के एक सांसद ने बताया कि 50 से 60 फीसदी के बीच हाजिरी थी | जिस सांसद ने अपन को यह विस्फोटक जानकारी दी , वह खुद इस हालत पर हैरान रहे | उस का यह भी कहना था कि उन्होंने वाजपेयी के समय इतनी कम हाजिरी कभी नहीं देखी थी | यह हालत तब है जब नरेंद्र मोदी सांसदों को कई बार चेतावनी दे चुके हैं | क्या यह सासंदों का नरेद्र मोदी के नेतृत्व से मोह भंग होने का संकेत तो नहीं | क्या कारण हो सकता है कि चेतावनियों के बावजूद सांसद परवाह नहीं कर रहे | नरेंद्र मोदी एक बैठक में टिकट काटने की धमकी भी दे चुके हैं | इस के बावजूद सांसद उस बैठक में नहीं आ रहे, जिस में मोदी खुद मौजूद होते हैं | क्या कारण है कि उन्हें टिकट कटने का भी डर नहीं | बैठक में इतनी कम हाजिरी का नरेंद्र मोदी को गहरा सदमा लगा | जब से वह प्रधानमंत्री बने हैं संसदीय दल की हर बैठक में उन का भाषण होता है | जिस को कई भाजपा सांसद प्रवचन भी कहते हैं | पर इस बुधवार की बैठक की हाजिरी देख कर मोदी ने भाषण देने से भी इनकार कर दिया | संसदीय मंत्री अनंत कुमार ने संसदीय कार्यों की रिपोर्ट पेश की | रविशंकर प्रशाद ने कानूनों के बारे में अपनी बात रखी | कुछ छुटपुट बातें और भी हुई | जब सब निपट गया , तो अनंत कुमार ने नरेंद्र मोदी के पास जा कर उन्हें बोलने के लिए कहा | पर उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ नहीं कहना | अमित शाह ने भी कुछ कहने से इनकार कर दिया | यह हाल सिर्फ भाजपा संसदीय दल की बैठक का नहीं | बुधवार को लोकसभा में पिछड़ा वर्ग आयोग क़ानून में संशोधन का बिल पास होना था | यह संविधान संशोधन का बिल है | लोकसभा में पास हो चुका था | पर राज्यसभा ने लोकसभा से पास बिल में कुछ संशोधन किए हैं | इस लिए बिल दुबारा लाया गया | रविशंकर प्रशाद ने जब बिल पेश किया , तो बड़े जोश में थे कि बिल पास हो जाएगा | पर गैलरी में बैठे क़ानून मंत्रालय के अधिकारियों ने जब सदन में मौजूद  सांसद गिने | तो ठीठुरती सर्दी में अधिकारियों के माथे पर पसीना आ गया | सदन में जरुरी दो-तिहाही सांसद मौजूद नहीं थे | उन ने संसदीय कार्य मंत्री को चिट भेजी, जो तुरंत उठ कर स्पीकर के पास गए | आनन फानन में सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित हो गई | यह हालत तब हुई है जब भाजपा ने व्हिप जारी किया हुआ था | भाजपा सांसदों के बीच नरेंद्र मोदी का इकबाल खत्म होने का एक और उदाहरण है | यह तीसरा उदाहरण जजों के वेतन बढाने वाले प्रस्ताव के समय दिखा | जब रविशंकर प्रशाद ने लोकसभा में जजों का वेतन बढाने का प्रस्ताव पेश किया | तब सदन में सांसदों के वेतन पर हंगामा हो गया | शुरुआत भले ही छोटे दलों के सांसदों ने की | पर उस में पहले भाजपा के सहयोगी दलों के सांसद शामिल हुए | बाद में भाजपा सांसदों ने भी सांसदों के वेतन भत्ते बढाने की मांग उठाई | जब कि पहले कभी भाजपा के किसी सांसद की ऐसे मुददे उठाने की हिम्मत नहीं होती थी | खासकर ऐसे मुद्दे ,जिन का सम्बन्ध सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हो | गृह मंत्रालय दो साल पहले सांसदों के वेतन भत्ते और पेंशन की फाईल मोदी को भेज चुका है | नरेंद्र इस फाईल पर न सिर्फ कुंडली मार कर बैठे हैं | अलबत्ता फाईल पर दस्तखत करने से इनकार कर चुके हैं | पिछले साल कुछ सांसद और पूर्व सांसद मोदी से मिले थे | मोदी ने उन की बात सुन कर उन्हें खरी खरी सुना कर लौटाया था | यानी मोदी का साफ़ सन्देश था कि वेतन नहीं बढ़ाएंगे | इस के बावजूद लोकसभा में भाजपा सांसदों का विरोध जताना उन के आक्रोश का इशारा है | भाजपा सांसदों का विरोध इतना जोरदार था कि रविशंकर प्रशाद उन्हें चुप नहीं करवा सके थे | भाजपा सांसदों की इतनी हिम्मत पैदा होने की वजह गुजरात है | जहां मोदी और अमित शाह को चुनाव जीतने के लिए नाकों चने चबाने पड़े | गुजरात में मोदी और अमित शाह के नेतृत्व को भाजपा के अंदर से चुनौती मिलने लगी है | उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल का मंत्री पद का चार्ज लेने से इनकार करना अनहोनी घटना थी | कोई सोच नहीं सकता था कि गुजरात में कोई ऐसी हिम्मत भी कर सकता है | अमित शाह को बाच बचाव करना पडा | पटेल को वित्तमंत्रालय लौटाना पडा | अपना मानना है पटेल के तेवर दिखाने से कुंठित सांसदों को हिम्मत मिली है | मंगलवार को अमित शाह ने संसद के सेंट्रल हाल में करीब आधा घंटा पत्रकारों से बात की | इस बातचीत में अमित शाह ने कबूल किया कि गुजरात में कुछ गलतियां हुई हैं | उन्होंने माना कि किसान भाजपा से खफा हैं | इस लिए सौराष्ट्र में भाजपा को ग्रामीण सीटों पर जोरदार झटका लगा है | अमित शाह ने राजनीतिक गलतियों की बात भी कबूल की | शायद उन का इशारा उपमुख्यमंत्री को लेकर था | नितिन पटेल को मुख्यमंत्री बनाए जाने का वायदा था | पर उन के पर कुतरते हुए उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया | जिस पर पटेल ने कडा रुख अपनाया था | अभी तो कई और मंत्रियों के खुले विद्रोह की खबरें भी आ रही हैं | 

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