भारत का जर्जर रेलवे ढांचा बनाम इंडिया की शाइनिंग बुलेट ट्रेन 

Publsihed: 29.Sep.2017, 20:23

अजय सेतिया / जिस दिन बुलेट ट्रेन का एलान हुआ | अपन ने उस दिन स्कूलों और अस्पतालों की दुर्दशा का सवाल उठाया था | तो कई लोगों को परेशानी हुई | अपना तब भी मानना यही था | आज भी मानना यही है | भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य की उपेक्षा कर के बुलेट ट्रेन चलाने की जरुरत नहीं | पहले मौजूदा रेल व्यवस्था को तो ठीक कर लेना चाहिए | देश में 11,563 नों मैन फाटक हैं | जहां हर साल सैंकड़ों लोग मरते हैं | रेलवे के सैंकड़ों पुल जर्जर हालत में है | पिछले रेलमंत्री सुरेश प्रभु महाराष्ट्र के थे | न तो वह भाजपा में थे, न ही सांसद | नरेंद्र मोदी उन्हें एक्सपर्ट बता कर लाए थे | संविधान में लिखा है कि राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत के नेता को पीएम नियुक्त करेगा | पीएम अपना मंत्रिमंडल गठित करेगा | अब पीएम की मर्जी है कि वह जिसे मर्जी मंत्री बनाए | पीएम की पार्टी को कोई एतराज न हो, तो कोई जितना चाहे एतराज करता रहे | कुछ फर्क नहीं पड़ता | मोदी जिसे एक्सपर्ट बता कर या समझकर लाए थे | वह सुरेश प्रभु महा नकारा साबित हुए | वह चार्टर अकाउंटेंट थे और चार्टर  अकाउंटेंट की तरह ही रेल मंत्रालय चलाते रहे | गनीखांन चौधरी के वक्त से अपन रेल मंत्री देख रहे हैं | माधव राव सिंधिया भी सिर्फ तीन साल रेल मंत्री रहे थे | तीन साल में ही देश की राजधानी से प्रदेशों की राजधानियों को जोड़ने वाली शताब्दी ट्रेन का तोहफा दे गए | सुरेश प्रभु के नाम ऐसी कोई उपलब्धि नहीं | जिस के लिए उन्हें कभी याद किया जाएगा | सिर्फ रेल मंत्रालय में लगी पटिका पर लिखा नाम ही उन के रेल मत्री होने की याद दिलाएगा | जहां जार्ज फर्नाडिस ,ममता बेनर्जी, नीतीश कुमार, लालू यादव , रामबिलास का जोर किराया जस का तस बनाए रखने पर रहता था | वहां सुरेश प्रभु ने तीन साल तक बिना संसद को विशवास में लिए रेल किराया बढाया | उन ने बिना संसद की मंजूरी लिए मांग के हिसाब से किराया बढाने का फार्मूला देश पर थोंप दिया | वह बिना सुविधाएं बढाए, बिना सुरक्षा के कदम उठाए | बिना नो मैन फाटक पर फाटक लगवाए किराए बढाते रहे | शायद वह सिर्फ लोगों की जेब कतरने के लिए लाए गए थे | पर जब एक्सीडेंटो से हाहाकार मची, तब मोदी ने उन्हें हटाने का फैसला किया | सुरेश प्रभु की सब से बड़ी लापरवाही तो अब उन के हटने के बाद सामने आई है | कैग ने पांच बार लिखा था कि मुंबई में परेल-एलफिंस्टन स्टेशन के बीच का पुल संकरा है , हादसा कभी भी हो सकता है | यह पुल अंग्रेजों के समय बना था | तब एक वक्त ओसतन सिर्फ बीस लोग पुल पर होते थे | आज एक वक्त आठ सौ लोग पुल पर होते हैं | मुम्बई के लोकल शिवसेना सांसद ने जनवरी 2016 में पुल के बारे में चिठ्ठी लिखी थी | सुरेश प्रभु रेल मंत्री थे, वह खुद शिव सेना से ही आए हैं | खुद मुम्बई के है, कितनी बार इस पुल से गुजरे होंगे | प्रभु को चाहिए था कि वह फ़ौरन नारे पुल का निर्माण शुरू करवाते | पर वह पुल मंजूर करवा कर भी पौने दो साल तक लम्बी तान कर सोए रहे | सुरेश प्रभु किराया बढाने वाली बनियागिरी का खामियाजा मुम्बई की जनता ने शुक्रवार को सुबह भुगता | जब बारिश के कारण पुल पर भीड़ बढ़ गई | ज्यादा भीड़ की वजह से भगदड़ मच गई | और भगदड़ में 27 लोगों की जान चली गई | अपन खस्ता हाल इन्फ्रास्ट्रक्चर का तो माडर्नईजेशन कर नहीं पा रहे | ट्रेनों पर बढ़ रही भीड़ पर तो काबू पाने का बंदोबस्त नहीं | और 1,10,000 करोड़ रूपए से 500 किलोमीटर के लिए बुलेट ट्रेन चला रहे हैं | जिस पर सिर्फ वही लोग सफ़र करेंगे , जो हवाई जहाज पर सफर करते हैं | एक देश में दो देशों की रफ्तार पहले से ज्यादा तेज हो गई है | एक देश लोकल पेसंजर ट्रेनों पर सफ़र करने वाला है | जो असली भारत है | जिस के पेसंजर पटरी से ट्रेन उतरने पर भी मरते हैं | बिना गेट के फाटक को पार कर ट्रेन के नीचे आ कर भी मरते हैं | दूसरा देश हवाई जहाज पर सफ़र करने वाला देश है | जिसे इंडिया कहते हैं | जिस की चिंता में सरकार मरे जा रही है | सरकार न आम लोगों के लिए पुल बनाती है, न फाटक लगाती है | पर हवाई जहाज पर सफर करने वालों के हवाई अड्डे पर जाने का टाईम बचाने के लिए सरकार सवा लाख करोड़ की बुलेट ट्रेन चलाती है | सचमुच मेरा देश बदल रहा है | अलबता बुलेट ट्रेन से इंडिया चमकने वाला है | यह वही चमक है, जो 2004 में शाईनिंग थी |  भारत  की वास्तविक समस्या को भाजपा सरकार के कर्ता-धर्ता न 2004 में समझ सके थे, न 2017 में समझ पा रहे हैं | लोग कहते हैं पिछली गलतियों से सबक सीखना चाहिए | पर कोई सीखे तब ना |

 

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