सोमनाथ मंदिर जा कर घिर गए राहुल गांधी 

Publsihed: 29.Nov.2017, 22:26

अजय सेतिया / राहुल गांधी ने सोमनाथ मंदिर जा कर गुजरात के पुराने जख्म हरे कर दिए | राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी के नाना सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किए जाने के खिलाफ थे | नेहरु सरकार के गृह मंत्री सरदार पटेल सरकारी खर्चे पर सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाना चाहते थे | सोमनाथ मंदिर सदियों से हिन्दुओं की अस्मिता का सवाल बना रहा |  तुर्कों, अफगानियों और मुगलों ने इसे बार बार तोड़ा था | अपन हिन्दू कांग्रेसी नेताओं के मदिर बनवाने की जिद्द और नेहरु के विरोध की चर्चा बाद में करेंगे | पहले मंदिर को बार बार तोड़ने का इतिहास जान लें | सोमनाथ मंदिर ईसा से पहले अस्तित्व में था | दूसरी बार मंदिर का पुनर्निर्माण सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया | आठवीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने के लिए अपनी सेना भेजी | प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका तीसरी बार पुनर्निर्माण किया | अरब यात्री अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृतान्त में मंदिर की तारीफ़ में लिखा | जिससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन 1024 सोमनाथ मंदिर पर हमला किया | गजनवी के हमले से मंदिर बचाने के लिए 50 हजार हिन्दुओं ने अपनी जान गवाई  | मंदिर तोड़ा और लूटा तो की बार गया था | पर आदि शिवलिंग बचा रहा था | हर बार उसी आदि शिवलिंग का पुनर्स्थापन हुआ | पर महमूद गजनी ने आदि शिवलिंग को भी खंडित किया | मंदिर की सम्पत्ति लूटी और उसे नष्ट कर दिया | इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया | सन 1297 में दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर क़ब्ज़ा किया | तो सन 1300 में अलाउद्दीन खिलजी ने इसे पाँचवीं बार गिराया | अलाउद्दीन की सेना ने शिवलिंग को फिर खंडित किया | मंदिर का फिर छटी बार पुनर्निर्माण हुआ | मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे 1706 में फिर गिरा दिया | राजा कुमार पाल ने आख़िरी बार मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था | सौराष्ट्र के मुख्यमन्त्री उच्छंगराय नवलशंकर ढेबर ने 14 अप्रैल 1940 को खंडहर की खुदाई करवाई | जिस में से निकली ब्रह्मशिला पर शिव का ज्योतिर्लिग स्थापित किया गया | पटेल चाहते थे कि तुर्कों, अरबियों, मुगलों, अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ भारत सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करे | महात्मा गांधी भी सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण पर सहमत थे | सोमनाथ का मंदिर हिन्दुओं की अस्मिता का सवाल बन गया था | पर नेहरु इस के खिलाफ थे | नवम्बर, 1947 में सरदार पटेल ने जूनागढ़ की एक मीटिंग में मंदिर पुनर्निर्माण की घोषणा की | उन्होंने कहा था कि सरकार सोमनाथ मन्दिर का पुनर्निर्माण करेगी | भगवान शंकर के ज्योतिर्लिंग की पुनर्प्रतिष्ठा की जाएगी | जो भारत के हिन्दू समाज की भावनाओं एवं सम्मान का प्रतीक होगा | तब तक नेहरु और पटेल में मंदिर को ले कर विवाद हो चुका था | नेहरु ने कहा था कि यह हिन्दुओं का तीर्थ स्थल है, सरकार क्यों बनवाए | गांधी ने बीच बचाव किया था , पर नेहरु ने गांधी की बात भी नहीं मानी थी | तब गांधी ने सरदार पटेल से कहा कि वह जनता से चन्दा इक्कट्ठा कर मंदिर बनवाएं | पटेल ने जूनागढ़ में यह भी एलान किया कि पुनर्निर्माण सरकारी पैसे से नहीं होगा | पटेल न होते तो सोमनाथ मंदिर निर्माण नहीं होता | भारत के तत्कालीन खाद्य एवं कृषि मंत्री के. एम. मुंशी मन्दिर पुनर्निर्माण समिति के अध्यक्ष बने | तो नेहरु ने के.एम्.मुंशी को भी सख्त चिठ्ठी लिख कर कहा कि वह मंत्री रहते हुए ऐसा कैसे कर सकते हैं | पर हिन्दू कांग्रेसी नेहरु की अवहेलना कर मंदिर निर्माण में जुटे रहे | भारत के राष्ट्रपति डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद ने मंदिर का उदघाटन करने का फैसला किया | तो नेहरु ने उस पर भी एतराज किया | उन का कहना था कि वह राष्ट्रपति के नाते ऐसा नहीं कर सकते | पर डा.राजेन्द्र प्रशाद उद्घाटन पर बाजिद्द थे | उन ने एक नागरिक के नाते उद्घाटन किया | नेहरु राष्ट्रपति को भी अपनी जेब में रखना चाहते थे | उद्घाटन समारोह में डा.राजेन्द्र प्रशाद ने कहा -" राख में से ऊपर उठते हुए, पुनर्प्रतिष्ठित भगवान सोमनाथ का यह मन्दिर, संसार में यह घोषणा करता है कि विश्व का कोई भी व्यक्ति या शक्ति ऐसी किसी वस्तु या स्थान को नष्ट करने का अधिकार नहीं रखती जिसके प्रति आम जनमानस की अगाध श्रद्धा व विश्वास हो |" नेहरु डा.राजेन्द्र प्रशाद से इतना चिढ गए थे कि उन को रिटायरमेंट के बाद घर भी नहीं दिया | वह पटना जाकर सदाकत आश्रम के सीलन भरे कमरे में रहे | वह दमा  के मरीज थे ,उनकी तबीयत खराब रहने लगी | एक बार जयप्रकाश नारायण उनसे मिलने गए | वह देश के पहले राष्ट्रपति  और संविधान सभा के पहले अध्यक्ष की हालत देख कर अंदर तक हिल गए | जेपी की आँखे गीली हो गईं | उन्होंने चंदा इक्कट्ठा कर सीलन भरे कमरे को रहने लायक करवाया | उसी कमरे में राजेन्द्र बाबू की 28 फरवरी,1963 को मौत हो गई | क्या आप मानेंगे कि उनके अंतिम संस्कार में नेहरु नहीं गए | नेहरु उस दिन एक प्रोग्राम में जयपुर चले गए | राजस्थान के राज्यपाल डा.संपूर्णानंद अंत्येष्टि में शामिल होने पटना जा रहे थे | नेहरु ने संपूर्णानंद से फोन पर कहा -"यह कैसे हो सकता है कि प्रधानमंत्री किसी राज्य में जाए और उस का राज्यपाल गायब हो |" यह खुलासा डा.संपूर्णानंद के पी.ए. वाल्मिकी चौधरी ने अपनी पुस्तक में किया है | इन घटनाओं से जाहिर है नेहरु सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन से कितने चिढ़े हुए थे | अब देश में हिन्दू उभार का राजनीतिक लाभ लेने उसी सोमनाथ मंदिर में 62 साल बाद राहुल गांधी गए | तो नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज सोमनाथ मंदिर को याद करने वाले क्या अपना इतिहास भूल गए | आपके ही परिवार के सदस्य नेहरु सोमनाथ मंदिर बनाए जाने के विचार से खुश नहीं थे | नेहरु ने राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को मंदिर का उदघाटन करने से भी रोका था | " मंदिर मंदिर घूम रहे राहुल ने गुजरात के जख्म हरे कर दिए | 

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