चुनावी मोड़ में आ रहे हैं मोदी

Publsihed: 03.Sep.2018, 19:20

अजय सेतिया / साल 2018-19 की पहली तिमाही में जीडीपी की दर 8.2 फीसदी से सरकार गदगद है | अब टीम मोदी को पिछले चार साल की मंदी का ठीकरा रघुराम राजन के सिर फोड़ने का मौक़ा मिला है | रघुराम राजन ने रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से हटने के बाद नोटबंदी पर सवाल उठाए थे | वह गाहे-ब-गाहे मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं | इसलिए कांग्रेस और वामपंथी उन्हें सिर पर उठाए घूम रहे थे | मोदी सरकार की आर्थिक नीतिया चार साल पूरी तरह फेल रही थी | जिस पर मनमोहन सिंह और पी.चिदम्बरम भी प्रहार कर रहे थे | सरकार की नीतियाँ बनाने वाले नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपना मुहं सिला हुआ था | अब जैसे ही 8.2 फीसदी जीडीपी का एलान हुआ राजीव कुमार भी शेर की तरह दहाड़े हैं | उन्हें रघुराम राजन, मनमोहन सिंह और पी.चिदम्बरम पर प्रहार का मौक़ा मिला है | उन ने कहा है कि नोटबंदी की वजह से मंदी नहीं आई थी | जैसाकि मनमोहन सिंह और पी.चिदंबरम से जैसे लोग कह रहे थे | गिरावट असल में रघुराम राजन की गलत नीतियों की वजह से थी | उन्होंने कहा, "आर्थिक वृद्धि में गिरावट इसलिए हो रही थी, क्योंकि रघुराम राजन के कार्यकाल में एनपीए की पहचान के लिए नए मैकेनिज़्म लाए गए | जिन के चलते एनपीए बढ़ता चला गया | बढ़ता एनपीए देख बैंकिंग सेक्टर ने उद्योगों को कर्ज देना बंद कर दिया , नतीजतन आर्थिक मंदी आई |

जबकि कांग्रेस और बाकी विपक्षी दलों की थ्योरी दूसरी है | उनका कहना कि मोदी ने काला धन निकालने के नाम पर नोटबंदी कर के उद्ध्योग धंधे चौपट कर दिए | मोदी तीन लाख करोड़ रूपए के काले धन का दावा कर रहे थे | जबकि आरबीआई के आंकडो में कहा गया है कि 99.3 फीसदी नोट वापस आ गये | पी चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी की वजह से देश को 2.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है | नोटबंदी के आंकड़ों ने सरकार की किरकरी की है | पर बढी हुई जीडीपी ने सरकार का हौंसला बढाया है | इस लिए नरेंद्र मोदी ने पहली बार बैंकों के एनपीए का ठीकरा सार्वजनिक तौर पर मनमोहन सिंह के सर फोड़ा है | उनका आरोप है कि सोनिया गांधी के घर से आए फोन के बाद बड़े बड़े लोन हो जाते थे , जो बाद में एनपीए हुए | और बकौल राजीव कुमार वही आर्थिक मंदी का कारण बने | नोटबंदी की विफलता का खुलासा होने के बाद अब सरकार ने नई मोर्चेबंदी शुरू की है | अब बताया जा रहा है कि नोटबंदी के क्या क्या फायदे हुए | जैसे नोटबंदी के कारण ही 56 लाख नए करदाता बढे हैं | जो बढ़ कर अब 1 करोड़ 26 लाख हो गए | क्रेडिट और डेबिट कार्ड का प्रचलन 65 फीसदी बढ़ गया है | बैंकिग सिस्टम में 3 लाख करोड़ की बढ़ोतरी हुई है | डिजिटल पेमंट में 56 फीसदी की बढोतरी हो गई | 73.62 करोड़ बैंक खाते आधार से जुड़ गए | 35000 फर्जी कम्पनियों के खाते सील हुए | दो लाख दस हजार फर्जी कम्पनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द हुआ | 25 लाख रूपए से ज्यादा जमा करवाने वाले 1.16 लाख लोगों को नोटिस गया है |  इस के अलावा 4900 करोड़ का काला धन घोषित हुआ और 16000 करोड़ बैंकों में जमा नहीं हुआ | यानि यह सारा काला धन था | चार लाख 73 हजार संदेहास्पद  बैंक खाते पकडे गए , जो काले धन को सफेद करने का धंधा करते होंगे |

तीन चार महीने पहले भाजपा में जो निराशा का माहौल था , उस में अब सुधार हो रहा है | नोटबंदी के आंकड़ों ने झटका दिया , तो जीडीपी ने हौंसला बंधा दिया | शहरी नक्सलियों की गिरफ्तारी पर सुप्रीमकोर्ट और हाई कोर्ट ने झटका दिया, तो आतंकवाद पर पाक को मद्दद बंद करने की अमेरिका एलान ने मोदी की नीतियों को सफल बताने का मौक़ा दे दिया | अब पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते दामों का झटका है , तो दस लाख करोड़ रुपए के आयकर ने हौंसला बढाया है | जो मंदी खत्म होने का पैमाना है | चुनाव से पहले ही पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में लाने की सुगबुगाहट है | यानी टू डाल डाल , तो मैं पात पात | चुनावों में विपक्ष का सामना करने की पूरी तयारियाँ की जा रही हैं | राजस्थान , मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री जनसम्पर्क यात्राओं पर निकल हुए हैं | इस के बावजूद यह बात अपने पल्ले नहीं पड रही कि मोदी लोकसभा चुनावों से तीन महीने पहले इन भाजपाई राज्यों में चुनाव करवाएंगे | अगर भाजपा इन तीन राज्यों में हार गई तो मोदी का भविष्य भी चौपट होगा | इसलिए मोदी के विपक्ष पर ताज़ा हमलों से दिसम्बर में लोकसभा चुनाव का माहौल फिर से बना हुआ है | पर अगर ऐसा होता, तो मोदी तेलंगाना के सीएम को विधानसभा भंग करने की हरी झंडी दे देते | चंद्रशेखर राव वक्त से पहले चुनाव करवाने के मूड में हैं | पर मोदी ने बिना कोई संकेत दिए वापस लौटा दिया | इस लिए संडे की बड़ी रैली में होने वाली घोषणा रुक गई | अपना अंदेशा फिर वही है कि दर्जन भर विधानसभाओं के चुनाव साथ तो होंगे, पर फरवरी से अप्रेल 19 के बीच कभी |

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